हिमाचल में सिर्फ रिवाज के सहारे नहीं जीती कांग्रेस, रणनीति और मुद्दों ने दिलाई जीत
Himachal Congress: पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) लागू करने की गारंटी ने पार्टी की जीत में अहम भूमिका निभाई है। इससे पहले राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पार्टी ओपीएस बहाली का निर्णय कर चुकी है।
क्या हिमाचल प्रदेश चुनाव में जीत ने कांग्रेस को कामयाबी का फॉर्मूला दे दिया है? पार्टी को आगामी चुनावों के लिए असरदार मुद्दे और रणनीति का खाका मिल गया है। प्रदेश में पार्टी की जीत का सिर्फ रिवाज नहीं कहा जा सकता। ऐसा होता, तो उत्तराखंड और केरल में भी इस वक्त कांग्रेस की सरकार होती।
वर्ष 2019 के बाद कांग्रेस को इस पहली जीत में कई सबक छिपे हैं, क्योंकि लोकसभा चुनाव में भाजपा को हिमाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा 69% वोट मिले थे। ऐसे में प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के रिवाज के बावजूद यह लड़ाई आसान नहीं थी। पार्टी इन चुनाव में भाजपा से 16 फीसदी वोट छीनकर अपने वोट में जोड़ने में सफल रही है। प्रदेश कांग्रेस ने एकजुटता और आपसी तालमेल के साथ लड़ाई लड़ी। जीत के जरिए संगठन में एकजुटता की ताकत का संदेश देने में कामयाब रही है।
ये रणनीति अपनाई
1. चुनावी वादों और सरकार की विफलताओं को घर-घर पहुंचाने के लिए टीम तैयार की।
2. प्रचार के दौरान नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला करने से परहेज किया।
3. केंद्रीय प्रचारकों ने यकीन दिलाया कि घोषणापत्र के इन वादों को पूरा किया जाएगा।
महिला मतदाताओं पर फोकस
कांग्रेस ने मतदाताओं को यकीन दिलाने के लिए हर घर लक्ष्मी अभियान को चुना। पार्टी कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर योजना के लिए फॉर्म भरवाए। इसके बाद पार्टी दफ्तर से उन्हें फोन कर बताया गया कि फॉर्म मिल गया है और सरकार के गठन के बाद उन्हें योजना का लाभ जरूर मिलेगा। इससे भी लोगों में वादों के प्रति भरोसा बढ़ा। हर घर लक्ष्मी अभियान के तहत महिलाओं को हर माह 1500 रुपये देने का वादा किया है। हिमाचल में 49.27% आबादी महिलाओं की है।
पेंशन योजना की भूमिका अहम
पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) लागू करने की गारंटी ने पार्टी की जीत में अहम भूमिका निभाई है। इससे पहले राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पार्टी ओपीएस बहाली का निर्णय कर चुकी है।
लोकसभा में भी रहेगा मुद्दा?
हिमाचल प्रदेश में ओपीएस मुद्दे को मिली सफलता के बाद कांग्रेस दूसरे प्रदेशों और लोकसभा चुनाव में भी आजमाएगी। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि ओपीएस के रूप में एक प्रभावी मुद्दा मिल गया है। वर्ष 2023 की शुरुआत में त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में भी पार्टी को इसका लाभ मिलेगा। दरअसल, 2019 में पार्टी ने न्याय योजना का वादा किया था, पर चुनाव में यह मुद्दा लोगों को भरोसा जीतने में नाकाम रहा था।
राजस्थान-छत्तीसगढ के लिए संदेश
हिमाचल प्रदेश चुनाव में जीत राजस्थान और छत्तीसगढ़ चुनाव के लिए भी मिसाल है। इस जीत ने साफ कर दिया है कि पार्टी को एकजुट होकर चुनाव मैदान में उतरना होगा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट व छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव को एकजुट होकर प्रचार करना होगा।
प्रियंका गांधी की जिम्मेदारी बढ़ेगी
हिमाचल में जीत के बाद कांग्रेस में पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की जिम्मेदारी बढ़ सकती है। प्रियंका हिमाचल चुनाव में मुख्य प्रचारक थी। उन्होंने प्रदेश के लगभग सभी प्रमुख क्षेत्रों में सभाएं और रोड शो किए। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि प्रियंका गांधी आगामी चुनावों में भी प्रचार करेंगी।
भाजपा का 16% वोट कांग्रेस में शिफ्ट
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 69.7 प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस के हिस्से में सिर्फ 27 फीसदी मत आए थे। 2022 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो भाजपा को 43 प्रतिश मत मिले। वहीं, कांग्रेस कांग्रेस 43.9 मतों के साथ सरकार बनाने जा रही है।
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को विधानसभा चुनावों में जीत दिलवाने में पुरानी पेंशन योजना की बहुत बड़ी भूमिका थी। प्रचार अभियान अच्छा रहा। प्रबंधन भी बेहतरीन था। प्रियंका गांधी खुद प्रचार करने पहुंचीं। -अशोक गहलोत, राजस्थान के मुख्यमंत्री