हरकतों से बाज नहीं आ रहा चीन, पैंगोंग झील के पास करने लगा खुदाई; सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा
ब्लैकस्काई द्वारा प्रदान की गई तस्वीरों के अनुसार, 2021-22 के दौरान बनाए गए बेस में भूमिगत बंकर हैं। इनका उपयोग हथियार, ईंधन या अन्य आपूर्ति को स्टोर करने के लिए किया जा सकता है।
चीन अपनी विस्तारवाद की नीति से बाज नहीं आ रहा है। एक तरफ भारत के विदेश मंत्री के साथ चीनी विदेश मंत्री वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जारी गतिरोध का समाधान निकालने के लिए बैठक करते हैं। वहीं, दूसरी तरफ चीनी सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के पास फिर अपनी हरकतें बढ़ा दी हैं। चीनी सेना यहां लंबे समय तक रहने के लिए खुदाई कर रही है। उसने यहां हथियार और ईंधन के भंडारण के लिए भूमिगत बंकर बनाए हैं। वहीं, अपने बख्तरबंद वाहनों को सुरक्षित रखने के लिए कठोर आश्रयों का निर्माण किया है। सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों से इसका खुलासा हुआ है।
पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर पहाड़ों के बीच बसा सिरजाप में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) का बेस है। यह झील के आसपास तैनात चीनी सैनिकों का मुख्यालय है। इसे भारत द्वारा दावा किए गए क्षेत्र में बनाया गया है। यह वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से लगभग 5 किमी दूर स्थित है। मई 2020 में एलएसी पर गतिरोध शुरू होने तक इस क्षेत्र में कोई नहीं रहता था।
ब्लैकस्काई द्वारा प्रदान की गई तस्वीरों के अनुसार, 2021-22 के दौरान बनाए गए बेस में भूमिगत बंकर हैं। इनका उपयोग हथियार, ईंधन या अन्य आपूर्ति को स्टोर करने के लिए किया जा सकता है। इसी साल 30 मई को ली गई एक तस्वीर में एक बड़े अंडरग्राउंड बंकर के आठ प्रवेश द्वार स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं। एक और छोटा बंकर है, जिसमें पांच प्रवेश द्वार हैं। दोनों आसपास ही स्थित है।
ब्लैकस्काई के एक विश्लेषक ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, "बेस में बख्तरबंद वाहनों की पार्किंग की सुविधा, परीक्षण रेंज, ईंधन और गोला-बारूद भंडारण की व्यवस्था है।" विश्लेषक ने कहा कि बेस को सड़कों और खाइयों के एक व्यापक नेटवर्क से जोड़ा गया है।
यह बेस गलवान घाटी से 120 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है। जहां जून 2020 में एक क्रूर झड़प हुई थी। इसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। कम से कम चार चीनी सैनिक मारे गए थे।
तस्वीरों पर भारतीय अधिकारियों की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। पैंगोंग झील के आसपास के क्षेत्र में तैनात एक पूर्व भारतीय सेना कमांडर ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि चीन द्वारा भूमिगत बंकरों के निर्माण में वृद्धि सैन्य दृष्टि से बिल्कुल सही है। उन्होंने कहा, “आज के युद्ध के मैदान में उपग्रहों या हवाई निगरानी प्लेटफार्मों का उपयोग करके सब कुछ सटीक रूप से देखा जा सकता है। हमारे पास ऐसा कोई भूमिगत आश्रय नहीं है। बेहतर सुरक्षा बनाने के लिए सुरंग बनाना ही एकमात्र तरीका है।”
मामले से परिचित लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि भारत ने 2020 में गतिरोध शुरू होने के बाद से सैन्य गतिशीलता बढ़ाई है। रसद सहायता के लिए अपने सीमावर्ती क्षेत्रों में विभिन्न सड़कें, पुल, सुरंगें, हवाई क्षेत्र और हेलीपैड बनाए हैं।
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