चीन घबराया हुआ है, यह 1962 वाला भारत नहीं है; किरेन रिजिजू ने खूब सुनाया
रिजिजू ने कहा कि भारत PM मोदी के नेतृत्व में एक महान शक्ति के रूप में उभरा है। रिजिजू ने कहा कि भारत दूसरों के लिए समस्याएं पैदा नहीं करेगा, हालांकि, अगर देश परेशान होता है तो वह उचित प्रतिक्रिया देगा
अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा पेश करने की चीन की हालिया कोशिशों के बीच उसने विभिन्न स्थानों के 30 नए नामों की चौथी सूची जारी की है। इसको लेकर भारत पहले ही करारा जवाब दे चुका है। अब केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने भी चीन को फटकार लगाई। रिजिजू ने मंगलवार को कहा कि कम्युनिस्ट देश 'घबराया हुआ' है क्योंकि सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का तेजी से विकास किया जा रहा है।
रिजिजू ने एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “चीनी कांग्रेस सरकार से बहुत खुश थे क्योंकि उनकी नीति सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास न करने की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस की सीमा नीति को पलट दिया है। सीमावर्ती इलाकों में बुनियादी ढांचे का विकास होने से चीन घबराया हुआ है।”
इससे पहले चीन के सरकारी ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने रविवार को बताया कि चीनी नागरिक मामलों के मंत्रालय ने ‘जंगनान’ में मानकीकृत भौगोलिक नामों की चौथी सूची जारी की। चीन अरुणाचल प्रदेश को ‘जंगनान’ कहता है और दक्षिण तिब्बत के हिस्से के रूप में इस राज्य पर अपना दावा करता है। चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के स्थानों का नाम बदलने की कवायद को भारत खारिज करता रहा है। उसका कहना है कि यह राज्य देश का अभिन्न अंग है और ‘‘काल्पनिक’’ नाम रखने से इस वास्तविकता में कोई बदलाव नहीं आएगा।
चीन की हरकत पर प्रतिक्रिया देते हुए रिजिजू ने कहा, ''चीन ने अरुणाचल प्रदेश में कुछ जगहों को कुछ नाम दिए हैं। लेकिन, मुझे समझ नहीं आता कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं। हम इससे बहुत अपसेट हैं और हम चीनी सरकार द्वारा संचालित इस तरह की दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों को पूरी तरह से खारिज करते हैं।"
उन्होंने कहा, "हमारी सरकार के विदेश मंत्रालय ने बहुत उचित प्रतिक्रिया दी है। लेकिन, मुझे लगता है कि चीन बहुत घबराया हुआ है क्योंकि पहले कांग्रेस के समय में इन सीमावर्ती क्षेत्रों को पूरी तरह से अविकसित छोड़ दिया गया था और मोदीजी के समय में, सभी प्रमुख राजमार्ग, सड़कें, पुल, सभी 4 जी नेटवर्क, जल आपूर्ति, बिजली, सभी बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों में, विशेष रूप से अरुणाचल प्रदेश की लंबे समय से उपेक्षा की गई थी।”
उन्होंने कहा कि भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक महान शक्ति के रूप में उभरा है। रिजिजू ने कहा कि भारत दूसरों के लिए समस्याएं पैदा नहीं करेगा, हालांकि, अगर देश परेशान होता है तो वह उचित प्रतिक्रिया देगा। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदीजी ने कांग्रेस पार्टी की नकारात्मक सीमा नीति को उलट दिया है। तो, अब चूंकि सीमावर्ती इलाकों में आधुनिक विकास की रोशनी दिख रही है, इसलिए चीन इस पर प्रतिक्रिया दे रहा है। चीन असहज महसूस कर रहा है। वे आपत्ति जता रहे हैं कि भारत सीमावर्ती इलाकों में इतना बुनियादी ढांचा क्यों बना रहा है। इसीलिए वे इस तरह के अनैतिक आचरण का सहारा ले रहे हैं। लेकिन, ये भारत कांग्रेस के समय का भारत नहीं है। यह 1962 का भारत नहीं है।''
चीनी मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर क्षेत्र के लिए 30 अतिरिक्त नाम पोस्ट किए गए। यह सूची एक मई से प्रभावी होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुच्छेद 13 के अनुसार, इस घोषणा के क्रियान्वयन में कहा गया है कि ‘‘चीन के क्षेत्रीय दावों और संप्रभुता अधिकारों को नुकसान पहुंचा सकने वाले विदेशी भाषाओं में रखे गए, स्थानों के नामों को बिना प्राधिकार के सीधे उद्धृत या अनुवादित नहीं किया जाएगा।’’ चीनी नागरिक मामलों के मंत्रालय ने ‘‘जंगनान’’ में छह स्थानों के ‘‘मानकीकृत नामों’’ की पहली सूची 2017 में जारी की थी, जबकि 15 स्थानों की दूसरी सूची 2021 में जारी की गई थी। इसके बाद 2023 में 11 स्थानों के नामों के साथ एक और सूची जारी की गई थी।
अरुणाचल प्रदेश पर दावों को लेकर चीन की हालिया बयानबाजी उस समय शुरू हुई जब उसने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राज्य के दौरे को लेकर भारत के साथ राजनयिक विरोध दर्ज कराया था। इस दौरे में मोदी ने अरुणाचल प्रदेश में 13,000 फुट की ऊंचाई पर बनी सेला सुरंग को राष्ट्र को समर्पित किया था। चीनी विदेश और रक्षा मंत्रालयों ने क्षेत्र पर चीन का दावा पेश करते हुए कई बयान जारी किए थे। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अरुणाचल प्रदेश पर चीन द्वारा बार-बार किये जा रहे दावे को 23 मार्च को ‘‘बेतुका’’ करार देते हुए इसे खारिज कर दिया था और कहा था कि यह सीमांत राज्य ‘‘भारत का स्वाभाविक हिस्सा’’ है।