मनमोहन सिंह सरकार की महत्वाकांक्षी योजना पर चली कैंची, मोदी सरकार ने बजट में 33% की कटौती
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से बुधवार को पेश किए गए केंद्रीय बजट के अनुसार, शुरुआत में साल 2022-23 के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय को 1,35,944.29 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे।

केंद्रीय बजट 2023-24 में ग्रामीण विकास मंत्रालय को 1,57,545 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जोकि चालू वित्त वर्ष में मंत्रालय की ओर से किए गए अनुमानित व्यय से लगभग 13 प्रतिशत कम है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा) के लिए आवंटन में भी लगभग एक-तिहाई की कटौती की गई। मालूम हो कि यूपीए के शासनकाल में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सरकार की ओर से यह महत्वाकांक्षी योजना लागू की गई थी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से बुधवार को पेश किए गए केंद्रीय बजट के अनुसार, शुरुआत में 2022-23 के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय को 1,35,944.29 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। हालांकि संशोधित अनुमानों के अनुसार, जो संभावित व्यय की मध्य-वर्ष की समीक्षा है, यह बढ़कर 1,81,121 करोड़ रुपये हो गया है। वर्ष 2021-22 में ग्रामीण विकास मंत्रालय का वास्तविक व्यय 1,60,433.4 करोड़ रुपये था।
'मनरेगा के लिए 60,000 करोड़ रुपये आवंटित'
मनरेगा को 2023-24 के लिए 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो पिछले वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान से लगभग 32 प्रतिशत कम है। वित्त वर्ष 2022-23 में सरकार ने बजट में मनरेगा के लिए 73,000 करोड़ रुपये आवंटित किए थे, जबकि संशोधित अनुमान के मुताबिक खर्च 89,400 करोड़ रुपये था। मनरेगा के बजट में हुई इस बड़ी कटौती पर कांग्रेस नेताओं ने सवाल खड़े किए हैं। विपक्ष के नेताओं का कहना है कि यह फैसला भूमिहीन किसानों और गरीब मजदूरों के हितों के विपरीत है।
'मनरेगा में 30 हजार करोड़ रुपये की कटौती'
राजस्थान में हनुमानगढ़ जिला कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्र दादरी ने कहा कि मनरेगा जैसी अति महत्वाकांक्षी योजना के बजट में 30 हजार करोड़ रुपये की कटौती हुई है। यह साबित करता है कि बजट भूमिहीन किसानों, गरीब मजदूरों और वंचित वर्ग के हितों के विपरीत है। दादरी ने कहा कि कृषि और किसान कल्याण कोष की राशि में बढ़ोतरी करने के बजाए इस वर्ष 7500 करोड रुपयों की कटौती की गई है। किसानों की सर्वाधिक आवश्यकता की जरूरत यूरिया के लिए बजट में गत वर्ष के मुकाबले इस वर्ष 23000 करोड रुपयों की कटौती की गई है। केंद्र सरकार ने किसानों के हितों पर कुल्हाड़ी चलाई है।
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