SC कॉलेजियम ने दिया झटका, नहीं मानी कलकत्ता हाईकोर्ट के 9 जजों को स्थाई करने की सिफारिश
Supreme CourtCollegium: हाईकोर्ट कॉलेजियम ने यह फैसला 29 अप्रैल को सर्वसम्मति से सिफारिश करने के बावजूद लिया था कि नौ जजों को स्थायी किया जाना चाहिए और केंद्र सरकार भी इससे सहमत थी।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने बुधवार को कलकत्ता हाईकोर्ट के नौ अतिरिक्त न्यायाधीशों को स्थायी जज बनाने की सिफारिश को ठुकरा दिया है। हालांकि, उन्हें एक साल का सेवा विस्तार मिला है। सिफारिश में कहा गया है कि जस्टिस बिस्वरूप चौधरी, पार्थ सारथी सेन, प्रसेनजीत बिस्वास, उदय कुमार, अजय कुमार गुप्ता, सुप्रतिम भट्टाचार्य, पार्थ सारथी चटर्जी, अपूर्व सिन्हा रे और मोहम्मद शब्बर रशीदी को 31 अगस्त 2024 से एक साल के लिए अतिरिक्त न्यायाधीश के तौर पर नियुक्त किया जाए।
हाईकोर्ट कॉलेजियम ने यह फैसला 29 अप्रैल को सर्वसम्मति से सिफारिश करने के बावजूद लिया था कि नौ जजों को स्थायी किया जाना चाहिए और केंद्र सरकार भी इससे सहमत थी।
हाईकोर्ट कॉलेजियम ने बुधवार को इसकी सिफारिश की थी। सीजेआई के अलावा जस्टिस संजीव खन्ना और बी आर गवई भी कॉलेजियम का हिस्सा हैं। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के द्वारा हाईकोर्ट के जजों के नाम तय किए जाते हैं। कॉलेजियम ने इस स्तर पर हाईकोर्ट के स्थायी न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए न्यायाधीशों के नामों की सिफारिश नहीं की।
केंद्र सरकार के न्याय विभाग ने प्रक्रिया ज्ञापन के पैरा 14 का हवाला देते हुए सिफारिश को आगे बढ़ाया था। इसमें प्रावधान है कि यदि राज्य में संवैधानिक अधिकारियों के द्वारा निर्धारित समय-सीमा के भीतर प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं होती है, तो कानून और न्याय मंत्री को यह मान लेना चाहिए कि राज्यपाल और मुख्यमंत्री के पास प्रस्ताव में जोड़ने के लिए कुछ नहीं है। इसी के अनुसार इसे आगे बढ़ना चाहिए।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने कलकत्ता हाईकोर्ट के मामलों से परिचित शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों से परामर्श किया। नौ जजों के निर्णयों का योग्यता और इसकी जरूरत का मूल्यांकन किया गया। इन तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए कॉलेजियम ने सभी नौ जजों को स्थायी करने के बजाय उन्हें एक साल का नया कार्यकाल देने का फैसला किया।