एक दशक में भी नहीं सुलझ पाई हत्या की गुत्थी, कोर्ट ने सीबीआई को लताड़ा, SIT को सौंपी जांच, जानें पूरा मामला
डीएमके के दिग्गज नेता और मंत्री रहे केएन नेहरू के भाई केएन रामाजेयम की हत्या के सनसनीखेज मामले को सीबीआई 10 साल में भी सुलझाने में नाकामयाब रही। इसपर मद्रास हाई कोर्ट ने एसआईटी बनाने का आदेश दिया है...
डीएमके के दिग्गज नेता और मंत्री रहे केएन नेहरू के भाई केएन रामाजेयम की हत्या के सनसनीखेज मामले को सीबीआई 10 साल में भी सुलझाने में नाकामयाब रही। इसपर मद्रास हाई कोर्ट ने एसआईटी बनाने का आदेश दिया है और कहा है कि जांच की पूरी निगरानी कोर्ट करेगा। इससे पहले 2017 में मदुरै बेंच ने इस केस को सीबी-सीआईडी से सीबीआई को ट्रांसफर किया था।
सीबीआई ने कोर्ट को आश्वासन दिया था कि वे दोषियों को जरूर पकड़ लेंगे लेकिन ऐसा हो न सकता। 10 साल बीत गए लेकिन राज्य की जांच एजेंसी सीबी-सीआईडी और सीबीआई यह भी नहीं पता कर पाईं कि आखिर हत्या क्यों की गई थी। कोर्ट ने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। कोर्ट ने कहा कि लोगों को सही और समय पर न्याय पाने का अधिकार है। एसआईटी से कोर्ट ने कहा है कि जितनी जल्दी हो सके जांच की रिपोर्ट सौपें। कोर्ट ने कहा है कि हर 15 दिन में स्टेटस रिपोर्ट दी जाए। अदालत ने कहा है कि पहली रिपोर्ट 3 महीने से पहले आ जानी चाहिए।
बेरहमी से की गई थी हत्या
रामाजेयम की हत्या के बाद पूरे जिले में सनसनी का माहौल था। वह बड़े कारोबारी थे। लोगों में दहशत इसलिए भी ज्यादा थी क्योंकि हत्या का अंदाज बिल्कुल अलग था। उनका शव सेलो टेप से लपेटा हुआ पाया गया था और हाथ-पैर लोगे के तार से बंधे थे। कावेरी नदी के किनारे उनका शव बरामद हुआ था। उनके मुंह में कपड़ा ठूसा गया था। कोर्ट ने कहा था कि हत्या बेहद बेरहमी से की गई है।
पहले स्थानीय पुलिस ने जांच शुरू की थी लेकिन फिर मामले को सीबीसीआईडी को सौंप दिया गया। पांच साल के बाद भी सीबीसीआईडी हत्या के पीछे की वजह का पता नहीं लगा पाई तब जनवरी 2018 में इसे सीबीआई को सौंप दिया गया। सीबीआई भी दोषी का पता लगाने में सफल नहीं हो पाई। वरिष्ठ वकील एनआर एलांगो ने कोर्ट में तर्क दिया कि दशक पहले घटना हुई और सीबीआई जांच ठीक से नहीं कर पाई। वो दूसरे ही केसों में उलझी रही इसलिए अब इसे किसी और को सौंपना चाहिए।
कहां फंसा है पेच
इसके बाद सीबीआई की तरफ से पेश हुए सरकारी वकील ने कहा कि सीबीआई के पास यह केस छह साल पहले आया है और इसके बाद सीबीआई ने बहुत सारे गवाहों के बयान भी दर्ज किए हैं। अब तक कोई बड़ा सबूत हाथ नहीं लगा है। दरअसल राजनीतिक परिवार और बड़े कारोबारी घराने से ताल्लुक रखने वाले शख्स के दुश्मनों की कमी नहीं होती है इसलिए यह मामला ज्यादा पेचीदा है। इस मामले में न तो फिंगर प्रिंट हैं और न ही कोई प्रत्यक्षदर्शी, उस समय सीसीटीवी कैमरे भी बहुत कम थे। ऐसे में केस सुलझाना बहुत मुश्किल हो गया है।