नागरिकता नहीं मिली तो लौटने लगे पाकिस्तानी शरणार्थी, 15 हजार को अभी भी इंतजार
विवादों में रहे नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर नए मामले सामने आने लगे हैं। 240 से ज्यादा पाक शरणार्थी जोधपुर, दिल्ली में चार साल भटकने के बाद वापस पाकिस्तान जाने लगे हैं। 15 हजार से...
विवादों में रहे नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर नए मामले सामने आने लगे हैं। 240 से ज्यादा पाक शरणार्थी जोधपुर, दिल्ली में चार साल भटकने के बाद वापस पाकिस्तान जाने लगे हैं। 15 हजार से अधिक लोग अब भी इंतजार में हैं, लेकिन 10 जनवरी 2020 को संसद से पारित इस सीएए कानून के अभी तक कोई नियम ही नहीं बन पाए हैं। नियम न बनने से राज्य सरकारें बाध्य हैं और 31 दिसंबर 2014 के बाद आए एक भी पाक शरणार्थियों को 318 दिन बाद भी भारत की नागरिकता नहीं मिल पा रही है।
दूसरी तरफ इसकी प्रासंगिकता ऐसे भी सामने आ रही है कि 12 साल या अधिक समय से राजस्थान में रह रहे 30 पाक शरणार्थियों को सीएम अशोक गहलोत के विशेष प्रयास से ऑनलाइन नागरिकता का रास्ता साफ हुआ है। गृह विभाग ने जोधपुर कलेक्टर को निर्देशित किया है। लेकिन नए सीएए कानून के कोई नियम नहीं आने से पुराने लोगों के पीछे किसी तरह राजस्थान आए उनके कई रिश्तेदार और नए शरणार्थी वीजा खत्म होने के कारण लौटने को मजबूर हैं। यदि सीएए के नियम बनकर राज्यों के पास आ जाते तो 6 साल से यहां रह रहे लोगों को भी नागरिकता मिलनी शुरू हो जाती।
मुख्यमंत्री ने पुराने शरणार्थियों को नागरिकता देने को कहा था
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जोधपुर और आसपास रह रहे 30 पाक शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए संबंधित कलेक्टर को निर्देशित किया। गृह सचिव एल.एन. मीणा का कहना है कि सीएए के रूल्स बनकर नहीं आए हैं, पुराने नियमों से ही नागरिकता दी जा रही है।
10 माह घूमे, अब वाघा से लौट रहे 243 नागरिक
पिछले करीब 1 से 4 साल से करीब 243 लोग वीजा पर रह रहे थे। कई राजस्थान में जोधपुर में नागरिकता के लिए घूमें। पिछले 10 महीने से नए कानून के तहत नागरिकता का इंतजार कर रहे थे। अभी तक नियम नहीं बनने से अब लौटने को मजबूर है। कुछ लोग 4 साल से अधिक समय से यहां रह रहे थे।
राजस्थान सीएए, एनआरसी और एनपीआर तीनों के खिलाफ संकल्प वाला पहला राज्य
हालांकि सीएए कानून के नियम आ जाते तो संबंधित कलेक्टर सीधे नागरिकता देने के लिए स्वतंत्र थे लेकिन राजस्थान की कांग्रेस सरकार नए सीएए कानून के खिलाफ विधानसभा में 25 जनवरी को संकल्प पत्र पारित कर चुकी है। सीएए, एनआरसी और एनपीआर तीनों के खिलाफ संकल्प लेने वाला राजस्थान पहला राज्य था।
हम तो गजेंद्रसिंह, मेघवाल सहित कई को पत्र दे चुके
हिंदू विस्थापित संस्थान के संरक्षक गणेश बिजानी का कहना है हम कई दशक से पाक शरणार्थियों को नागरिकता दिलाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। 15 हजार से अधिक लोग नागरिकता का इंतजार कर रहे हैं। दिल्ली में भी इसकी मांग उठाई गई। राजस्थान के पूर्व वित्तमंत्री अर्जुन राम मेघवाल, जल शक्ति मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत आदि को कई पत्र दे चुके कि नए सीएए कानून के नियम बनाकर भेजें लेकिन अभी 10 महीने भी में नियम नहीं बने।