BJP in Rajasthan trying to get out of Vasundhara Raje influence Shekhawat and Om Birla active - India Hindi News राजस्थान में वसुंधरा राजे के प्रभाव से बाहर निकलने की कोशिश में भाजपा, शेखावत और ओम बिरला की बढ़ी सक्रियता, India Hindi News - Hindustan
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राजस्थान में वसुंधरा राजे के प्रभाव से बाहर निकलने की कोशिश में भाजपा, शेखावत और ओम बिरला की बढ़ी सक्रियता

राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थक और विरोधी खेमे के बीच बार-बार उभरने वाले टकराव ने पार्टी की चिंताएं बढ़ाई हुई हैं। राज्य में अगले साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे...

Himanshu रामनारायण श्रीवास्तव, हिन्दुस्तान, नई दिल्ली।Fri, 4 March 2022 05:39 AM
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राजस्थान में वसुंधरा राजे के प्रभाव से बाहर निकलने की कोशिश में भाजपा, शेखावत और ओम बिरला की बढ़ी सक्रियता

राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थक और विरोधी खेमे के बीच बार-बार उभरने वाले टकराव ने पार्टी की चिंताएं बढ़ाई हुई हैं। राज्य में अगले साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में पार्टी के सामने सभी को एकजुट रखने की चुनौती बनी हुई है। पार्टी को वसुंधरा राजे के एकछत्र प्रभाव से बाहर निकालने की कोशिशों के बीच केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की राज्य में सक्रियता लगातार बढ़ रही है।

अगले लोकसभा चुनाव के पहले राजस्थान में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के साथ दिसंबर-2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं। राजस्थान में अभी कांग्रेस सरकार है। हालांकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार बनने के बाद से ही कई बार उन्हें अपनी पार्टी के भीतर के असंतोष से ही चुनौती मिलती रही है। इसका लाभ भाजपा को मिलने की संभावना है।

केंद्रीय नेतृत्व को रास नहीं आ रहा वसुंधरा का कद
गहलोत को सबसे ज्यादा चुनौती सचिन पायलट से मिली है, लेकिन फिलहाल टकराव ठंडा पड़ा हुआ है। बीते सालों में सचिन पायलट के भाजपा के साथ आने की खबरें भी गर्म रही हैं पर यह कभी भी परवान चढ़ती नजर नहीं आई। हालांकि, भाजपा की चिंता कांग्रेस से ज्यादा अपने घर को लेकर है। राजस्थान में बीते दो दशकों से वसुंधरा राजे पार्टी की एकक्षत्र नेता हैं। लेकिन, अब उनका कद केंद्रीय नेतृत्व को रास नहीं आ रहा है। ऐसे में पिछले पांच साल से पार्टी ने दूसरे नेताओं को उभारने की काफी कोशिशें की हैं, लेकिन वसुंधरा राजे के सामने उसकी कोशिशें सफल नहीं हो पाई हैं।

केंद्रीय नेतृत्व से कई बार हो चुका है टकराव
वसुंधरा राजे और केंद्रीय नेतृत्व के बीच कई बार टकराव की स्थिति भी बनी। अब अगले विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा नेतृत्व एक बार फिर पार्टी को वसुंधरा राजे के प्रभाव से बाहर लाकर, सबको साथ लेकर चुनाव मैदान में जाने की कोशिश में है। पार्टी ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को लगातार राजस्थान में सक्रिय रखा है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी राजस्थान के मामलों में काफी रुचि ले रहे हैं। वह अपने संसदीय क्षेत्र कोटा के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी विभिन्न केंद्रीय योजनाओं, जनता के सरोकारों से जुड़े कामों को लेकर सक्रिय रहे हैं। इन दोनों नेताओं को पार्टी राज्य में भावी नेतृत्व के रूप में उभार रही है।

वसुंधरा खेमा करेगा शक्ति प्रदर्शन
अभी यह साफ नहीं है कि वसुंधरा राजे की भूमिका अगले विधानसभा चुनाव में कैसी होगी, लेकिन वसुंधरा खेमा पूरी ताकत से विरोधियों के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है। आगामी 08 मार्च को वसुंधरा राजे का जन्मदिन है। ऐसे में उनका खेमा इसे एक बड़ा शक्ति प्रदर्शन मौका भी बनाने की कोशिश में है। इसके जरिए वह प्रदेश के अन्य नेताओं को वसुंधरा राजे की ताकत का एहसास भी कराने की कोशिश करेगा। गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा नेतृत्व ने मौजूदा केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की तैयारी कर ली थी, लेकिन वसुंधरा राजे ने इसमें अड़ंगा डाल दिया।

वसुंधरा के कांग्रेस नेताओं से भी अच्छे संबंध
फिलहाल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया वसुंधरा खेमे को नियंत्रित करने और हावी होने से रोकने की कोशिश में लगे हैं। चूंकि राजस्थान भाजपा में वसुंधरा राजे का कद इतना बड़ा है कि उनको रोक पाना काफी मुश्किल है। इसके अलावा उनके संबंध कांग्रेस के नेताओं से भी अच्छे रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, पिछले समय जब सचिन पायलट की बगावत के बाद गहलोत सरकार खतरे में दिख रही थी, तब उन्हें वसुंधरा राजे का अंदरूनी समर्थन मिलना काफी चर्चा में रहा था।

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