बिहार में चिराग, मांझी और कुशवाहा को भाजपा ने साध लिया, ऐसे तय हुआ सीटों का फॉर्मूला
लोकसभा चुनाव में कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा, यह तय हो चुका है। भाजपा के एक सीनियर नेता ने कहा कि हम 30 से 36 सीटें जीतने का अनुमान लेकर चल रहे हैं। इसी के तहत हम अपनी उन सीटों पर लड़ेंगे।
बिहार में भाजपा कई साझेदारों के साथ लोकसभा चुनाव में उतरने की तैयारी में है। इसी वजह से माना जा रहा था कि एकता तो आसान है, लेकिन सीटों का फॉर्मूला कैसे तय होगा। अब पार्टी उस पर भी आगे बढ़ती दिख रही है और उसने चिराग पासवान, जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा समेत सभी को साध लिया है। पार्टी के सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा, यह तय हो चुका है। भाजपा के एक सीनियर नेता ने कहा कि हम 30 से 36 सीटें जीतने का अनुमान लेकर चल रहे हैं। इसी के तहत हम अपनी उन सीटों पर लड़ेंगे, जिन पर पिछली बार बड़ी जीत मिली थी।
भाजपा नेता ने कहा, 'पार्टी के केंद्रीय नेताओं से बातचीत के आधार पर सीटों का फॉर्मूला तय हो गया है। हमारा लक्ष्य है कि 30 से 36 तक सीटें मिल जाएं। हालांकि गठबंधन साझेदारी के रुख और अगले 6 महीनों की स्थितियों पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा।' भाजपा के फिलहाल बिहार से 17 सांसद हैं और जेडीयू ने पिछली बार साथ मिलकर 13 सीटें जीत ली थीं। हालांकि इस बार दोनों अलग हैं। ऐसे में भाजपा को ज्यादा सीटें किसी एक दल को नहीं देनी पड़ेंगी। मौजूदा जानकारी के मुताबिक भाजपा 30 से 31 सीटों पर लड़ेगी। इसके बाद बाकी बची 9 से 10 सीटों को लोजपा के गुटों, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी और मांझी के दल में बांट दिया जाएगा।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि लोजपा को 6 सीटें दी जा सकती हैं। ये वही सीटें होंगी, जिन पर 2019 में संयुक्त लोजपा ने जीत हासिल की थी। अब तो पार्टी चाचा और भतीजा के दो गुटों में बंटी हुई है। इसके अलावा उपेंद्र कुशवाहा को दो सीटें और मांझी की 'हम' को 1 सीट देने का फैसला हुआ है। यही नहीं खबर तो यहां तक है कि भाजपा ने विधानसभा चुनाव के लिए भी अभी से प्लान तैयार कर लिया है। पार्टी यहां 2025 में कम से कम 183 विधानसभा सीटों पर कैंडिडेट उतारेगी।
भाजपा ने 10 सीटों के लिए बनाया खास प्लान, प्रभारी भी तय किए
फिलहाल भाजपा ने 10 सीटों वाल्मीकी नगर, कटिहार, पूर्णिया, गया, झंझारपुर, सुपौल, मुंगेर, किशनगंज, नवादा और वैशाली में खास तैयारियां शुरू कर दी हैं। पिछली बार पार्टी यहां जीत गई थी, लेकिन अब थोड़ा चुनौती मान रही है। भाजपा के उपाध्यक्ष संतोष पाठक ने कहा कि पार्टी किसी भी तरह की ढिलाई नहीं चाहती। उन्होंने कहा कि भाजपा तो उन सीटों पर भी बेहद मजबूत है, जहां पिछली बार साझेदार पार्टी के कैंडिडेट जीते थे। फिलहाल भाजपा ने सीटों के आधार पर प्रभारी तक बना दिए हैं और उन्हें जनाधार बढ़ाने के लिए जनसंपर्क का आदेश मिला है।
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