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अब आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में सपा को टेंशन दे रहीं मायावती, कैसे भाजपा उठा सकती है इसका फायदा

तीसरी और सबसे अहम प्लेयर बसपा है, जिसने पूर्व विधायक उर्फ गुड्डू जमाली को मौका दिया है। कहा जा रहा है कि भले ही मुकाबला सपा और भाजपा के बीच दिख रहा है, लेकिन निर्णायक तो बसपा का ही उम्मीदवार होगा।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, आजमगढ़Thu, 16 June 2022 04:43 PM
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अब आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में सपा को टेंशन दे रहीं मायावती, कैसे भाजपा उठा सकती है इसका फायदा

उत्तर प्रदेश की आजमगढ़ लोकसभा सीट पर 23 जून को मतदान होने वाला है, जो पूर्व सीएम अखिलेश यादव के इस्तीफे के बाद खाली हुई है। उन्होंने मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से जीत के बाद यहां से इस्तीफा दे दिया था और दिल्ली की बजाय लखनऊ में प्रदेश की सियासत में सक्रिय रहने का फैसला लिया था। अब अखिलेश यादव ने इस सीट से अपने चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को यहां से उतारा है तो वहीं भाजपा ने एक बार फिर से दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को मौका दिया है। लेकिन मुकाबले में तीसरी और सबसे अहम प्लेयर बसपा है, जिसने पूर्व विधायक उर्फ गुड्डू जमाली को मौका दिया है। कहा जा रहा है कि भले ही मुकाबला सपा और भाजपा के बीच दिख रहा है, लेकिन निर्णायक तो बसपा का ही उम्मीदवार होगा।

भाजपा यहां योगी आदित्यनाथ सरकार के कामकाज, कानून-व्यवस्था के मुद्दे और पीएम नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के दम पर वापसी की राह देख रही है। वहीं समाजवादी पार्टी मुख्य तौर पर अपने मुस्लिम, यादव वोटबैंक एवं कुछ अन्य पिछड़ी जातियों के भरोसे है। लेकिन यहां पूरा गेम मायावती पलटाती दिख रही हैं। उन्होंने स्थानीय नेता गुड्डू जमाली को मौका दिया है और अब स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा उठा दिया। बसपा लगातार प्रचार कर रही है कि हमने स्थानीय उम्मीदवार उतारा है, जबकि सपा ने धर्मेंद्र यादव को उतारा है, जो बाहरी नेता हैं। इसके अलावा निरहुआ भी स्थानीय कैंडिडेट नहीं हैं। 

क्यों सपा के लिए अहम है आजमगढ़ की सीट

आजमगढ़ को सपा अपने गढ़ के तौर पर देखती रही है। 2019 में समाजवादी पार्टी को जब महज 5 लोकसभा सीटों पर जीत मिली थी, तब अखिलेश यादव यहां से चुने गए थे। इससे पहले 2014 में मुलायम सिंह यादव जीते थे। दोनों चुनाव भाजपा की लहर में लड़े गए थे और सपा की जीत बताती है कि यहां उसका कैसा प्रभाव रहा है। लेकिन इस बार बसपा के कैंपेन के चलते भाजपा अपने लिए फायदा देख रही है। मार्च में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा जिले की सभी 5 सीटों गोपालपुर, सगरी, मुबारकपुर, आजमगढ़ सदर और मेहनगर में हार गई थी।

जमाली बोले- धर्मेंद्र सैफई के और निरहुआ मुंबई बसे हैं

लेकिन इस बार बसपा की ओर से बाहरी बनाम स्थानीय का नारा दिया गया है। माना जा रहा है कि इस मुद्दे का कुछ वोटरों पर असर हो सकता है। इसके अलावा गुड्डू जमाली मुस्लिम हैं और स्थानीय कारोबारी हैं। ऐसे में एक बड़े वर्ग पर उनका निजी प्रभाव है। इससे वह सपा के वोट बांटने की स्थिति में है और यदि यह काट ज्यादा होती है तो फिर नजदीकी मुकाबले में भाजपा को लाभ हो सकता है। खुद गुड्डू जमाली यही कैंपेन कर रहे हैं। उनका कहना है कि निरहुआ तो मुंबई में रहते हैं तो धर्मेंद्र यादव सैफई परिवार के हैं। इसलिए मैं स्थानीय व्यक्ति हूं और हमेशा लोगों के काम आऊंगा।