आजम खान अब जाएंगे कहां? अखिलेश यादव से ज्यादा नहीं मिला साथ, रामपुर हारने से होंगे हताश
भाजपा के लिए खुश होने का मौका रामपुर ने दिया है, जहां से उसके उम्मीदवार आकाश सक्सेना को 37,000 वोटों से जीत मिली है। आकाश सक्सेना की जीत सामान्य नहीं है। इसका संदेश पूरी यूपी में जाएगा।
गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव के साथ ही यूपी की मैनपुरी लोकसभा सीट और दो विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव था। इन उपचुनावों के नतीजे भी भाजपा के लिए मिले-जुले ही रहे हैं। एक तरफ मैनपुरी में डिंपल यादव को 2.80 लाख वोटों से बड़ी जीत मिल गई तो वहीं खतौली में आरएलडी के मदन भैया को जीत मिल गई। लेकिन भाजपा के लिए खुश होने का मौका रामपुर ने दिया है, जहां से उसके उम्मीदवार आकाश सक्सेना को 37,000 वोटों से जीत मिली है। आकाश सक्सेना की जीत सामान्य नहीं है और यूपी की सियासत में बड़ा संदेश देने वाली है।
रामपुर में पहली बार होगा कोई हिंदू विधायक
आकाश की जीत के साथ ही रामपुर विधानसभा से अब तक किसी हिंदू के न जीतने का रिकॉर्ड भी टूट गया है। उन्होंने आजम खान के करीबी आसिम रजा को हराकर यह जीत हासिल की है। आजम खान को विधायकी से अयोग्य ठहराए जाने के बाद यह चुनाव हो रहा था और मुकाबले में न होते हुए भी सपा के सीनियर नेता मुद्दा बने हुए थे। नुक्कड़ों तक में आजम खान ने ताबड़तोड़ सभाएं कीं और कई जगहों पर भावुक भी नजर आए थे। उन्होंने तो यहां तक कहा था कि इतने उत्पीड़न के बाद इसलिए जिंदा हूं क्योंकि इस्लाम में खुदकुशी करना हराम है। उन्होंने जनता से अपील करते हुए कहा था कि आसिम को जिता देना वरना मेरा दिल टूट जाएगा।
आजम खान को लगातार दूसरी बार चुनावी झटका
आजम खान के इमोशनल प्रचार के बाद भी नतीजा विपरीत आया तो साफ है कि अब उनकी सियासी राह कठिन रहने वाली है। आजम खान के इस्तीफे से ही खाली रामपुर लोकसभा सीट पर भी इसी साल चुनाव हुआ था और भाजपा के घनश्याम लोधी ने जीत हासिल की थी। उनके मुकाबले हारने वाले भी आसिम रजा ही थे। इस तरह लोकसभा उपचुनाव से लेकर विधानसभा तक में आसिम रजा की यह लगातार दूसरी हार है। उनकी हार में आजम खान का भी नाम जुड़ गया है। ऐसे में आजम खान के सियासी भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं। बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव के बाद आजम खान के सपा छोड़ने तक की अटकलें लगने लगी थीं।
क्या सपा से नाराज हैं आजम खान, प्रचार में नहीं मिला ज्यादा साथ
ऐसे में यह देखना होगा कि आजम खान अब किस राह पर जाते हैं। आजम खान को तल्ख तेवरों और बयानों के लिए जाना जाता रहा है। लेकिन यूपी की सियासत में वह फिलहाल अकेले दिख रहे हैं। रामपुर के चुनाव प्रचार में भी वह अकेले नजर आए थे। अखिलेश यादव एवं सैफई परिवार ने जितना फोकस मैनपुरी में किया, उसके मुकाबले रामपुर में मेहनत कहीं नहीं दिखी। यही वजह है कि एक बार फिर से आजम खान के सपा से ही नाराज होने की अटकलें शुरू हो गई हैं। वहीं भाजपा ने रामपुर जीत कर संदेश दे दिया है कि वह मुस्लिम बहुल इलाकों में भी अच्छी जीत हासिल कर सकती है।