अतीक को उसी के हथियार से इस लेडी ने दी थी शिकस्त, 3-3 CM की बिसात में यूं पिसता चला गया माफिया
अतीक पर आरोप है कि उसने 25 जनवरी 2005 को राजू पाल की हत्या करवा दी। राजू की पत्नी पूजा पाल ने हत्या का आरोप अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ समेत चार लोगों पर लगाया। हालांकि, बाद में पूजा पाल भी विधायक बनीं।
यूपी का माफिया डॉन अतीक अहमद अब अतीत बन चुका है लेकिन उसके कारनामे अब भी लोगों के लिए कौतूहल का विषय बने हुए हैं। लूट-पाट, छिनतई और चोरी से अपने आपराधिक करियर की शुरुआत करने वाले अतीक 17 साल की उम्र में ही हत्या का आरोपी बन गया था। एक समय ऐसा भी आया जब उसके नाम से लोग इलाहाबाद में खौफ खाते थे। यहां तक कि जब उसने राजनीति की दुनिया में कदम रखा तो उसके खिलाफ लोग खड़ा होने से भी डरते थे।
अतीक इसी खौफ की बदौलत 1989 से लगातार पांच बार इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा सीट से विधायक रहा। 2004 में जब वह सपा के टिकट पर लोकसभा पहुंचा तो उसने अपनी सीट पर अपने छोटे भाई अशरफ को सपा से टिकट दिलवा दिया लेकिन उससे खार खाईं बसपा नेता मायावती ने तब अशरफ के खिलाफ एक ऐसे शख्स को चुनावी मैदान में ला खड़ा किया जो कभी अतीक का खास गुर्गा हुआ करता था। वह शख्स था राजू पाल।
साल 2002 से पहले राजू पाल अतीक अहमद का खास आदमी था। वह भी इलाहाबाद पश्चिम का ही रहने वाला था। राजू भी तब तक छिनतई और चोरी की छोटी घटनाओं को अंजाम देता था लेकिन बाद में राजू पाल और अतीक अहमद के बीच खटपट हो गई। राजू पाल ने 2002 में राजनीति में एंट्री ले ली. वह बसपा खेमे में शामिल हो गया और बसपा उम्मीदवार का चुनाव प्रचार करने लगा।
इसी वजह से मायावती ने उसे अतीक के भाई के खिलाफ 2004 के उप चुनाव में बसपा का टिकट दे दिया। 2003 में मुलायम सिंह की सरकार बनाने में मदद करने से लेकर 1995 में हुए गेस्टहाउस कांड तक के कारण मायावती अतीक अहमद से खफा थीं। जब उप चुनाव में राजू पाल ने अतीक के छोटे भाई को हरा दिया तो अतीक को अपना साम्राज्य हिलता नजर आया।
उसने 25 जनवरी 2005 को राजू पाल की हत्या करवा दी। राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने हत्या का आरोप अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ समेत चार लोगों पर लगाया। हालांकि, बाद में पूजा पाल भी विधायक बनीं। इस हत्यकांड के वक्त अतीक लोकसभा सांसद था। 10 जजों ने उसे जमानत देने से इनकार कर दिया था लेकिन 11वें जज ने जमानत मंजूर कर ली थी।
अतीक जमानत तोड़कर फरार हो गया था, तब 2007 में कोर्ट ने उसे भगोड़ा घोषित किया था। इसी वजह से उसे भगोड़ा सांसद होने का रिकॉर्ड भी बनाया था। इसके बाद सपा ने उसे पार्टी से निकाल दिया था। हालांकि, तत्कालीन सीएम मायावती के सख्त रुख और कानूनी शिकंजा कसने के बाद अतीक ने सरेंडर कर दिया था। बाद में उसी राजू पाल की हत्या के चश्मदीद रहे उमेशपाल की भी हत्या कर दी गई। इसमें भी अतीक अहमद को आरोपी बनाया गया।
इसी कांड में यूपी पुलिस ने उसे साबरमती जेल से प्रयागराज रिमांड पर लाया था, जहां उसकी तीन बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी। इसके कुछ दिनों पहले ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में कहा था कि माफिया को मिट्टी में मिला देंगे।
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