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कश्मीरी लोगों पर थर्ड डिग्री केस में आज हुई गवाही, पीड़ितों ने क्या-क्या बयां किया

22 दिसंबर को सेना की कथित यातना में जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले में टोपा पीर गांव के कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई थी। पुलिस सेना के अज्ञात आरोपियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर चुकी है।

Gaurav Kala रवि कृष्णन खजुरिया, हिन्दुस्तान टाइम्स, जम्मूTue, 23 Jan 2024 04:57 PM
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22 दिसंबर को सेना की कथित यातना में जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले में टोपा पीर गांव के कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई और छह अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे। स्थानीय  पुलिस ने ग्रामीणों की शिकायत पर आईपीसी की धारा 302 के तहत सेना के अज्ञात आरोपियों के खिलाफ एफआईआर की है। गंभीर रूप से घायलों में से पांच लोग 23 जनवरी को गवाही देने के लिए पुलिस स्टेशन में पेश हुए। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मामले में जांच की जा रही है और घायलों के बयान जल्द ही जज के सामने दर्ज किए जाएंगे। उधर, सेना भी इस मामले में अपने स्तर पर 25 दिसंबर से जांच शुरू कर चुकी है।

यह कथित घटना तब सामने आई थी, जब एक दिन पहले आतंकवादियों ने धत्यार मोड़ पर सेना के दो वाहनों पर घात लगाकर हमला किया था। इस आतंकी हमले में चार सैनिक शहीद हुए थे। टोपा पीर गांव के पूर्व पंच मोहम्मद सादिक का आरोप है कि आतंकी हमले के बाद सेना ने 22 दिसंबर को कथित तौर पर 9 लोगों को हिरासत में लिया। जिसमें से तीन की उसी शाम को कस्टडी में मौत हो गई थी।  मृतकों की पहचान टोपा पीर गांव के 44 वर्षीय सफीर हुसैन, 22 वर्षीय शौकत अली और वली 32 वर्षीय शाबिर हुसैन के रूप में हुई थी।

हिरासत में कथित तौर पर मरने वाले शौकत अली के चाचा मोहम्मद सादिक ने बताया कि 22 दिसंबर को सेना की कथित थर्ड-डिग्री यातना में तीन लोग मारे गए थे। बाकी 6 लोगों की हालत बहुत गंभीर थी। जिसमें से पांच लोग मंगलवार को पुलिस जांच के तहत पुंछ जिले के सुरनकोट पुलिस स्टेशन में पेश हुए।

सुरनकोट पुलिस स्टेशन के थाना प्रभारी राजेश थप्पा ने कहा, "जांच जारी है और घायलों के बयान जल्द ही एक न्यायाधीश के सामने दर्ज किए जाएंगे।" उधर, सादिक ने कहा, “गांव का छठा घायल  अब्दुल हमीद का 18 वर्षीय बेटा इरफान, वर्तमान में श्रीनगर के खैबर अस्पताल में भर्ती है। उन्हें सबसे पहले पोथा स्थित सेना के अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उनके पेशाब में खून आने लगा था। नतीजतन, उन्हें उधमपुर के कमांड अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया और फिर से पोथा वापस लाया गया। कुछ दिन पहले, उन्हें घर भेज दिया गया था लेकिन उन्हें मूत्र संक्रमण के चलते फिर से श्रीनगर के खैबर अस्पताल में भर्ती करना पड़ा।

आरोप- कम से कम 29 को हिरासत में लिया
पूर्व पंच सादिक का आरोप है कि 22 दिसंबर को कम से कम 29 लोगों को उठाया गया। सादिक के अनुसार, आतंकी हमले के एक दिन बाद 22 दिसंबर को सेना ने राजौरी के थन्नमंडी, सवानी और पुंछ जिले के टोपा पीर के पंगई से 29 लोगों को उठाया था। “उस दिन सेना ने पंगाई से 10, सवानी से 10 और टोपा पीर गांव से नौ लोगों को उठाया था। जबकि हमने अपने भतीजे सहित तीन लोगों को खो दिया और छह अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए, पंगाई और सवानी के 20 अन्य लोग  भी बुरी तरह घायल थे।”

राजनाथ और फारूक ने घायलों से मुलाकात की
यहां बता दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 27 दिसंबर को राजौरी अस्पताल में पंगाई के पांच गंभीर घायलों से मुलाकात की थी। नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला भी सुरनकोट अस्पताल में सवानी गांव के घायलों से मिले थे।

गौरतलब है कि 21 दिसंबर को आतंकी हमले के ठीक 25 दिन बाद 16 जनवरी को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने टोपा पीर गांव के तीन मारे गए लोगों के सात परिवार के सदस्यों और पांच घायलों का बयान दर्ज किया। 22 दिसंबर को जम्मू-कश्मीर पुलिस सुरनकोट पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 302 के तहत सेना के 'अज्ञात' आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर चुकी है।

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