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अंग्रेजों की लूट ने ही तो गरीब किया, चंद्रयान पर BBC के सवाल से भड़के आनंद महिंद्रा; पुराना वीडियो वायरल

कारोबारी आनंद महिंद्रा ने भी एक लंबा ट्वीट कर बीबीसी के सवाल का तीखा जवाब दिया है और ब्रिटेन को ही भारत की गरीबी का जिम्मेदार बताया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह मिशन हमारे सम्मान का है।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 24 Aug 2023 12:02 PM
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भारत के चांद पर पहुंचने की सफलता का देश भर में जश्न मन रहा है। इस बीच सोशल मीडिया पर चंद्रयान की कवरेज वाला बीबीसी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसे लेकर सवाल उठ रहे हैं। यह वीडियो 2019 का है, जब भारत ने चंद्रयान-2 मिशन की लॉन्चिंग की थी। इस वीडियो में बीबीसी एंकर रिपोर्टर से सवाल पूछते हैं कि आखिर जिस देश में करोड़ों लोगों के पास टॉयलेट तक की सुविधा नहीं है, उसे स्पेस प्रोग्राम में सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च करना चाहिए? इसी को लेकर बीबीसी की आलोचना की जा रही है। चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद यह वीडियो फिर से वायरल हो रहा है। 

भले ही यह वीडियो चंद्रयान मिशन-2 के दौर का है, लेकिन लोग बीबीसी के सवाल को बेतुका बताते हुए आलोचना कर रहे हैं। कारोबारी आनंद महिंद्रा ने भी एक लंबा ट्वीट कर बीबीसी के सवाल का तीखा जवाब दिया है और ब्रिटेन को ही भारत की गरीबी का जिम्मेदार बताया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह मिशन हमारे सम्मान का है और आकांक्षाओं की गरीबी से बढ़कर कोई गरीबी नहीं होती। अब भारत ऐसी गरीबी से उबर रहा है। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन ने हमसे यहीं आकांक्षाएं छीन ली थीं और हमें एक गरीब मुल्क में तब्दील करके चले गए।

'ब्रिटेन ने ही तो हमें ढंग से लूटा और गरीब करके चले गए'

आनंद महिंद्रा ने लिखा, 'सच यह है कि भारत की गरीबी में दशकों के औपनिवेशिक शासन का योगदान है, जिसने पूरे भारतीय उपमहाद्वीप की दौलत को बहुत ढंग से लूटा। हमारी जिस सबसे कीमती चीज को लूट लिया गया, वह कोहिनूर हीरा नहीं था बल्कि हमारा आत्मसम्मान और अपनी क्षमताओं पर विश्वास है। इसकी वजह यह है कि औपनिवेशक सत्ता का लक्ष्य यही था कि उसके द्वारा शासित लोग यह मान लें कि वह कमतर हैं। इसलिए यह जरूरी है कि हम टॉयलेट और स्पेस रिसर्च दोनों पर ही खर्च करें। इसमें कोई विरोधाभास नहीं है।'

चांद के सफर से हमारा सम्मान और आत्मगौरव लौटा

महिंद्रा ने ट्वीट में आगे लिखा, 'चांद का सफर तय करन से हमारा सम्मान और आत्मगौरव वापस लौटा है। इससे हमें विज्ञान के जरिए प्रगति का भरोसा मिला है। यह हमें गरीबी से ऊपर उठने की आकांक्षा प्रदान करता है। आकांक्षाओं की गरीबी ही सबसे बड़ी गरीबी होती है।'

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