Hindi Newsदेश न्यूज़Amritpal Singh on Mother Statement writes Social Media post says will chose panth over family

अमृतपाल सिंह को अब भी खालिस्तान पर गर्व? मां के बयान के बाद लिखी ऐसी पोस्ट; कहा-खालसा का सपना पाप नहीं

Amritpal Singh Social Media: सांसद अमृतपाल सिंह ने सोशल मीडिया एक बयान जारी किया है। इस बयान में सांसद ने कहा है कि अगर मुझे परिवार और पंथ में से कुछ चुनना होगा तो मैं पंथ को चुनूंगा।

Deepak लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 7 July 2024 11:38 AM
share Share

Amritpal Singh Social Media: सांसद अमृतपाल सिंह ने सोशल मीडिया एक बयान जारी किया है। इस बयान में उन्होंने कहा है कि अगर मुझे परिवार और पंथ में से कुछ चुनना होगा तो मैं पंथ को चुनूंगा। इसके साथ ही अमृतपाल ने यह भी लिखा है कि खालसा राज्य का सपना देखना पाप नहीं, बल्कि गर्व की बात है। सांसद ने खुद को अपनी मां के बयान से भी खुद अलग कर लिया है। अमृतपाल की मां ने कहा था कि उनके बेटे को अब खालिस्तानी समर्थक नहीं कहा जाना चाहिए। गौरतलब है कि अमृतपाल सिंह पंजाब की खडूर साहिब सीट ने लोकसभा चुनाव जीते हैं। यहां पर उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी कुलबीर सिंह जीरा को शिकस्त दी थी।

क्या है सोशल मीडिया पोस्ट में
अमृतपाल सिंह ने यह पोस्ट एक्स पर पंजाबी में की है। इसकी शुरुआत में उसने लिखा है...

बिना राज्य के कोई धर्म नहीं है।
धर्म के बिना, सभी बुरे हैं। 
गुरु रूप गुरु प्यारी साध संगत जियो।
वाहेगुरु जी का खालसा वाहेगुरु जी की फतेह

इसके बाद अमृतपाल लिखता है, ‘कल मां के बयान के बारे में जब मुझे आज पता चला तो मेरा मन बहुत दुखी हुआ। बेशक, मुझे यकीन है कि यह बयान माताजी द्वारा अनजाने में दिया गया था, लेकिन फिर भी ऐसा बयान मेरे परिवार या मेरा समर्थन करने वाले किसी भी व्यक्ति से नहीं आना चाहिए।’

अमृतपाल ने लिखा है कि खालसा राज्य का सपना देखना पाप नहीं, बल्कि गर्व की बात है। हम उस रास्ते पर वापस जाने का सपना भी नहीं देख सकते जिसके लिए लाखों सिखों ने अपने जीवन का बलिदान दिया है।

मैंने कई बार मंच से बात की है और कहा है कि अगर मुझे पंथ और परिवार में से चुनना होगा, तो मैं हमेशा पंथ चुनूंगा। उसने लिखा है कि इस बिंदु पर इतिहास की वह घटना बहुत प्रासंगिक है जहां बंदा सिंह बहादुर के साथ सिंह शहीद हो रहे थे। तभी एक 14 वर्षीय युवक की मां ने उसे बचाने के लिए कहा कि यह युवक सिख नहीं है। तो युवक ने आगे कहा कि अगर यह महिला कहती कि मैं गुरु का सिख नहीं हूं, तो मैं यह बात कहता हां, यह मेरी मां नहीं है। बेशक, यह उदाहरण इस घटना के लिए बहुत कठोर है, लेकिन सैद्धांतिक दृष्टिकोण से यह समझ में आता है। 

उसने आगे लिखा कि मैं अपने परिवार को डांटता हूं कि सिख राज्य से समझौता करने के बारे में सोचना भी बुरा नहीं है, कहना तो दूर की बात है। सामने से संगत रूप में बोलते समय ऐसी कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए। 

अगला लेखऐप पर पढ़ें