लेह रनवे पर फंसा वायुसेना का C-17 ग्लोबमास्टर, रद्द हुईं सभी उड़ानें
ट्विटर पर एक पोस्ट में, विस्तारा ने कहा कि दिल्ली से लेह (DEL-IXL) जाने वाली उसकी उड़ान संख्या UK601 लेह में रनवे पर प्रतिबंध के कारण दिल्ली हवाई अड्डे पर लौट आई है।
भारतीय वायु सेना का भारी-भरकम C-17 ग्लोबमास्टर मंगलवार को लेह हवाई अड्डे के रनवे पर फंस गया जिसके चलते कई फ्लाइट्स को रद्द करना पड़ा। मामले से परिचित अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वायुसेना के C-17 ग्लोबमास्टर में खराबी के चलते रनवे ब्लॉक हो गया था जिससे लेह हवाई अड्डे का परिचालन बंद करना पड़ा। रनवे ब्लॉक होने के कारण कई फ्लाइट्स के कैंसिल और डायवर्ट करना पड़ा। इंडिगो, एयर इंडिया, स्पाइसजेट और विस्तारा जैसी घरेलू एयरलाइंस हर दिन लेह के लिए 10 उड़ानें संचालित करती हैं। C-17 की बात करें तो यह एक अमेरिकी मूल का विमान।
भारतीय वायुसेना के पास इस तरह के 11 विमान हैं। मंगलवार सुबह लेह में उतरने से पहले यह विमान अपने रुटीन रखरखाव के लिए उड़ान भर रहा था। मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सी-17 हेवी-लिफ्टर में आई तकनीकी समस्या गंभीर नहीं है और इसे ठीक किया जा रहा है। अधिकारियों में से एक ने कहा, "इस समस्या को सुलझाया जा रहा है और रनवे कल तक चालू हो जाना चाहिए।"
ट्विटर पर एक पोस्ट में, विस्तारा ने कहा कि दिल्ली से लेह (DEL-IXL) जाने वाली उसकी उड़ान संख्या UK601 लेह में रनवे पर प्रतिबंध के कारण दिल्ली हवाई अड्डे पर लौट आई है। इसके अलावा, लेह के लिए दो दैनिक उड़ानें संचालित करने वाली एयर इंडिया ने अपनी एक फ्लाइट को श्रीनगर की ओर मोड़ दिया। इसके अलावा, अपनी दूसरी फ्लाइट को रद्द कर दिया। इसके अलावा, स्पाइसजेट ने भी लेह से और लेह के लिए अपनी सभी तीन दैनिक उड़ानों में से दो को रद्द कर दिया, वहीं इंडिगो ने भी अपनी चार दैनिक उड़ानों को रद्द कर दिया है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हवाई अड्डे पर आने वाली सभी उड़ानों को रद्द कर दिया गया है। हवाईअड्डे के एक अधिकारी ने कहा, "आज के लिए सभी उड़ानें रद्द कर दी गई हैं और अगर रनवे कल तय कार्यक्रम के अनुसार चालू हो सकता है तो एयरलाइंस को सूचित किया जाएगा।" C-17s, IL-76s, C-130Js और AN-32s के साथ, लद्दाख सेक्टर में सेना की तैनाती को सपोर्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सी-17 ने सैनिकों और सैन्य उपकरणों को पूर्वी लद्दाख तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जब 2020 में चीन के साथ सीमा विवाद अपने चरम पर था।