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उनके 10 में से 1 ले लिया है अब जीरो बचा, कांशीराम का नाम ले अखिलेश का मायावती पर तंज

अखिलेश यादव ने कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण पर मायावती की टिप्पणी पर जवाब देते हुए कहा कि कांशीराम ने जिस बहुजन समाज पार्टी को बनाया, आज उनकी प्रतिमा लगने पर उसके नेता ही आपत्ति जता रहे हैं।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, रायबरेलीMon, 3 April 2023 06:16 PM
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उनके 10 में से 1 ले लिया है अब जीरो बचा, कांशीराम का नाम ले अखिलेश का मायावती पर तंज

रायबरेली के एक कॉलेज में बसपा के संस्थापक कांशीराम की प्रतिमा का अखिलेश यादव ने अनावरण किया है। इस मौके पर अखिलेश यादव ने एक तरफ कांशीराम और लोहिया की विचारधारा को एक बताते हुए दलितों को भी साधने का प्रयास किया तो वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती पर जमकर हमला भी बोला। अखिलेश यादव ने कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण पर मायावती की टिप्पणी पर जवाब देते हुए कहा कि कांशीराम ने जिस बसपा को बनाया, आज उनकी प्रतिमा लगने पर उसके नेता ही आपत्ति जता रहे हैं।

यही नहीं अखिलेश यादव ने इशारों में ही मायावती पर भाजपा से मिलीभगत का आरोप लगा दिया। अखिलेश यादव ने कहा, 'कई बार भाजपा दूसरों का साथ लेकर हमला करती है, इसलिए सावधान रहना होगा। उन लोगों से भी सावधान रहना होगा, जो भाजपा से आगे हैं।' पूर्व मुख्यमंत्री ने इस दौरान बसपा से आए स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे नेताओं का भी जिक्र किया और कहा कि आज वहां के टॉप नेता हमारे पास आ गए हैं। अखिलेश यादव ने 2019 लोकसभा चुनाव में गठबंधन का जिक्र करते हुए कहा कि हम बसपा को जीरो से 10 तक लाए थे।

सपा मुखिया ने कहा, 'हम बसपा को साथ लाए थे, वह जीरो से 10 पहुंच गई थी। लेकिन अब बसपा के नंबर एक के नेता हमारे साथ आ गए हैं। सोचिए कि 10 में से एक हटा दोगे तो क्या बचेगा।' दलितों और ओबीसी को साथ लाने की बात करते हुए अखिलेश ने कहा कि  कांशीराम पहली बार इटावा से जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। यहीं से यूपी की नई राजनीति शुरू हुई थी। राममनोहर लोहिया ने जो रास्ता दिखाया, वह वही है, जो कांशीराम ने दिखाया था और बाबासाहेब आंबेडकर ने दिखाया था। जो लोग सबका साथ सबका विकास का नारा देते हैं, उन्हें समझना होगा कि जब तक समाज नहीं गिना जाएगा, तब तक कैसे सबका विकास होगा।

अखिलेश बोले- बहुजन समाज में सेंध नहीं लगानी, साथ लाना है 

एसपी चीफ ने कहा कि मान्यवर कांशीराम ने देश और प्रदेश में नई राजनीति की शुरुआत की थी। उन्होंने पंजाब में जन्म लिया, पुणे में नौकरी और देश भर में दलितों को एकजुट किया। बामसफे, डीएसफोर जैसे संगठनों से वह आगे बढ़े। आंबेडकर के रास्ते पर चलकर उन्होंने उस समाज को आगे लाने का प्रयास किया, जिसे कोई सम्मान नहीं दे रहा था। बाबासाहेब आंबेडकर ने संविधान के जरिए दलितों को जो अधिकार दिए थे, वह नहीं मिल पा रहे थे। ऐसी स्थिति से बचाव के लिए कांशीराम ने लोगों को जोड़ा था। आज जो लोग कह रहे हैं कि हम बहुजन समाज में सेंध लगाने आए हैं। मैं कहना चाहता हूं कि हमें बहुजन समाज में सेंध नहीं नहीं लगानी है, साथ लेकर चलना है।

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