6-5 percent of Covid patients died within year after discharged from hospital ICMR study - India Hindi News स्वस्थ होकर हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के एक साल के अंदर चल बसे  6.5%  कोविड के मरीज, ICMR की स्टडी, India Hindi News - Hindustan
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स्वस्थ होकर हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के एक साल के अंदर चल बसे  6.5%  कोविड के मरीज, ICMR की स्टडी

यह अध्ययन इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च के ताजा अंक में प्रकाशित हुआ है। यह देखा गया कि पुरुषों की मृत्यु दर महिलाओं की तुलना में 65% ज्यादा रही।जिन लोगों की मौतें हुई, वह डिस्चार्ज होने के 10 दिन के

Pramod Kumar मदन जैड़ा, हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 22 Aug 2023 06:40 AM
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स्वस्थ होकर हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के एक साल के अंदर चल बसे  6.5%  कोविड के मरीज, ICMR की स्टडी

कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान जिन लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण का गंभीर प्रभाव हुआ था और उन्हें 14 दिन या उससे ज्यादा अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा था, उनमें से 6.5 फीसदी लोगों की एक साल के भीतर मृत्यु हो गई। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के एक अध्ययन में यह बात समाने आई है। हालांकि इनमें से 73.3 फीसदी लोग ऐसे थे जो कम से कम एक या एक से अधिक बीमारियों से ग्रस्त थे।

नेशनल क्लिनिकल रजिस्ट्री फॉर कोविड-19 (NCRC) के शोधकर्ताओं ने देश के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित 31 अस्पतालों में गंभीर रूप से भर्ती रहे लेकिन बाद में स्वस्थ हुए मरीजों की एक साल तक निगरानी की। यह सिलसिला फरवरी 2023 तक जारी रहा। इस दौरान कुल 14419 मरीजों से हर तीन-तीन महीने में संपर्क किया गया। इस अध्ययन में पाया गया कि एक साल में 6.5 फीसदी यानी 952 मरीजों की मृत्यु हो गई।

यह अध्ययन इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च के ताजा अंक में प्रकाशित हुआ है। यह देखा गया कि पुरुषों की मृत्यु दर महिलाओं की तुलना में 65 फीसदी ज्यादा रही। दूसरे जिन लोगों की मौतें हुई, वह डिस्चार्ज होने के 10 दिनों के भीतर हुई। इस प्रकार डिस्चार्ज की मध्यकालिक अवधि 28 दिन निर्धारित की गई है। आंकड़े यह भी बताते हैं कि कम उम्र के लोगों की मृत्यु दर कम थी और ज्यादा उम्र के लोगों की बहुत ज्यादा।

इसी अध्ययन में यह भी कहा गया है कि 17.1 फीसदी लोगों में कोविड बाद के दुष्प्रभाव 4-8 सप्ताह के भीतर प्रकट होने लगे थे। दूसरे 73.3 फीसदी लोग ऐसे थे जो किसी न किसी सह बीमारी से ग्रस्त थे। शोधकर्ताओं ने कहा कि यह अध्ययन सिर्फ उन मरीजों की स्थिति को दर्शाता है जिन पर कोविड का भयावह प्रभाव हुआ था और जिन्हें 14 या इससे अधिक दिन अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा था। इसे कोरोना संक्रमित सभी मरीजों पर लागू नहीं माना जाए।

इसी अध्ययन में कहा गया कि जिन लोगों ने कोविड संक्रमण से पूर्व टीके लगा लिए थे या कम से कम एक डोज भी ले ली थी, उन्हें गंभीर कोरोना होने के बाद भले ही अस्पताल में भर्ती होना पड़ा हो लेकिन डिस्चार्ज होने के बाद मृत्यु से 60 फीसदी तक सुरक्षा प्राप्त हुई। मरने वालों में 197 लोग ऐसे थे जिन्होंने टीके की कम से कम एक खुराक ली थी। दो और अध्ययन जल्द आएंगे।

आईसीएमआर ने कोविड पर इसके समेत कुल तीन अध्ययन शुरू किए थे। शेष दो अध्ययनों को भी जल्द प्रकाशित किए जाने की संभावना है। इनमें एक 18-45 आयु वर्ग के लोगों में कोविड टीके से क्लौटिंग होने पर तथा दूसरा इसी आयु वर्ग के लोगों की अचानक मौतों पर है।

अध्ययन के कुछ प्रमुख आंकड़े
लिंग        मौतों की संख्या       प्रतिशत
महिलाएं         325                34.5
पुरुष             616                65.5

आयु वर्ग       मौतों की संख्या     प्रतिशत

0-18 साल         43                  4.6
19-39              94                  9.9

40-59             331                35.2
60+                 473               50.3

जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ प्रोफेसर जुगल किशोर ने कहा,  "आमतौर पर एक हजार लोगों में सामान्यत: 7-8 मौतें होती हैं लेकिन इस अध्ययन के अनुसार 65 मौतें हो रही हैं। यह स्पष्ट दर्शाता है कि यह कोरोना का दीर्घावधि प्रभाव है। दूसरे देशों में हुए अध्ययन भी कोरोना के दीर्घावधि दुष्प्रभावों की पुष्टि करते हैं। इस विषष पर और आगे बड़े अध्ययनों की जरूरत है।"

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