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लोकसभा में सपा को मिल सकती हैं दो फ्रंट सीटें, अब अखिलेश यादव किसे बैठाएंगे साथ?

  • लोकसभा में समाजवादी पार्टी को दो सामने की सीटें मिल सकती हैं। इसके अलावा कांग्रेस को चार और डीएमके को एक सीट मिलने की उम्मीद है। अभी लोकसभा में स्थायी सीटों का आवंटन नहीं किया गया है।

Ankit Ojha लाइव हिन्दुस्तानSun, 29 Sep 2024 06:46 AM
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लोकसभा में अब समाजवादी पार्टी को दो आगे की सीटें मिलने वाली हैं। इसके बाद अखिलेश यादव के साथ एसपी का कोई अन्य सांसद भी सामने वाली सीट पर बैठेगा। वहीं कांग्रेस को चार और डीएमके को एक सामने की सीट मिलेगी। कांग्रेस की फ्रंट सीट पर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी बैठेंगे। उनके अलावा गौरव गोगोई, कोडिकुन्निल सुरेश और कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल फ्रंट सीट पर बैठा करेंगे।

अब सभी यह जानना चाहते हैं कि लोकसभा में अखिलेश यादव के साथ आगे की सीट पर और कौन बैठेगा। अब तक लोकसभा में स्थायी सीटों का आवंटन नहीं किया गया था। ऐसे में अखिलेश यादव अपने साथ फैजाबाद से सांसद अवधेश प्रसाद को बैठाते थे। अखिलेश यादव ने बीजेपी को चिढ़ाने के मकसद से अवधेश प्रसाद को अपने बगल बैठाया था। इस बार लोकसभा चुनाव में फैजाबाद सीट पर बीजेपी की हार हुई है। राम मंदिर में प्राणप्रतिष्ठा हो जाने के बाद भी बीजेपी के लल्लू सिंह को अवधेश प्रसाद के आगे हार का सामना करना पड़ा।

अखिलेश यादव ने फैजाबाद की सामान्य सीट पर भी दलित चेहरे अवधेश प्रसाद को उतारा था। समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में अब दलितों में पैठ बनाने की कोशिश कर रही है। बीएसपी के कमजोर पड़ने के बाद इस वोटबैंक पर एसपी की निगाहें हैं। लोकसभा सत्र के दौरान कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दोनों ने ही अवधेश प्रसाद को आगे करके बीजेपी को घेरने की कोशिश की।

विपक्ष लोकसभा का डिप्टी स्पीकर बनाने को लेकर भी आगे आ रहा है। 2024 के लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन ने 240 सीटें जीती हैं। टीएमसी को भी फ्रंट सीट मिल सकती है। रिपोर्ट्स की मानें तो सीटिंग अरेंजमेंट को लेकर अभी चर्चा चल रही है। बता दें कि लोकसभा सत्र के दौरान अखिलेश यादव ने कई बार अवधेश प्रसाद के कंधे पर हाथ रखकर बीजेपी पर तंज कसा।

इस बार लोकसभा चुनाव से पहले राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से माना जा रहा था कि बीजेपी को इसका फायदा मिलेगा। हालांकि चुनाव में राम मंदिर का मुद्दा ही नहीं रहा। दलित चेहरे को आगे करने का फायदा भी अखिलेश को मिला। बीएसपी का उम्मीदवार कमजोर होने की वजह से दलित वोट एसपी में काफी शिफ्ट हो गया।

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