जज होना आसान नहीं... जब SC में भिड़ गईं इंदिरा जयसिंह तो क्यों बोल पड़े SG तुषार मेहता
हालांकि, जस्टिस सूर्यकांत की दखल के बाद इंदिरा जयसिंह का गुस्सा शांत हो गया और वह कोर्टरूम से बाहर जाने से रुक गईं। फिर उन्होंने अपनी बहस पूरी की लेकिन सॉलिसिटर जनरल पर वह नाराज दिखीं।

सुप्रीम कोर्ट में आज (गुरुवार,24 अप्रैल को) तब अजीबीगरीब स्थिति उत्पन्न हो गई, जब वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता आपस में भिड़ गए। इसमें जज साहब को बीच में दखल देनी पड़ गई। बावजूद इसके दोनों के बीच तकरार काफी देर तक चलती रही और इंदिरा जयसिंह ने सॉलिसिटर जनरल की टिप्पणियों पर कड़ी आपत्ति जताई और पुरुषवादी मानविसकता अपनाने तक का आरोप मढ़ डाला।
दरअसल, हुआ ये कि जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ राधिका वेमुला और आबेदा सलीम तड़वी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। ये दोनों क्रमश: उस रोहित वेमुला और पायल तड़वी की मां हैं, जिन्होंने कॉलेज परिसर में जातीय भेदभाव से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी।
PIL पर हो रही थी सुनवाई
उच्च शिक्षण संस्थानों में जातीय भेदभाव और पूर्वाग्रह के खिलाफ संस्थागत उदासीनता और नियमों के पालन में होने वाली हीला-हवाली के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर की गई थी। उसी की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह राधिका वेमुला और आबेदा सलीम तड़वी की तरफ से उसमें अपना पक्ष रख रही थीं, लेकिन तभी सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उनका विरोध करना सुरू कर दिया। इस पर जयसिंह नाराज हो गईं।
तुषार मेहता के कमेंट से उखड़ीं जयसिंह
उन्होंने अदालत के सामने इस बात पर आपत्ति जताई कि सॉलिसिटर जनरल उनकी दलीलों के बीच में दखल दे रहे हैं। इंदिरा जयसिंह ने तुषार मेहता से कहा, "मुझे अपनी दलील रखने दें और उसे पूरा करने दें। आप बीच में दखल न दें।" जयसिंह ने कहा कि उन्हें बीच में दखलंदाजी बिल्कुल पसंद नहीं है। तभी जस्टिस सूर्यकांत ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि मामले में स्थिति क्या है?
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जब SG मेहता जवाब देने के लिए खड़े हुए, तो उन्होंने यह कहकर अपनी दलील की शुरुआत की, "उनकी (जयसिंह की) अनुमति से..." इस पर जयसिंह ने मेहता की टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा कि आपने मेरे प्रति व्यंग्यात्मक टिप्पणी की है। इंदिरा जयसिंह ने इस बावत कोर्ट से सवाल किया, "क्या आप (न्यायालय) उनसे न्यायालय में इस तरह के पुरुषवादी रवैये को रोकने के लिए कहेंगे! मैंने उन्हें कभी किसी पुरुष अधिवक्ता के साथ ऐसा करते नहीं देखा। मैं आपको कई ऐसे पुरुष अधिवक्ता दिखा सकती हूं, जिन्होंने मुझसे कहीं अधिक दखल दिया हो। आज मैंने बिल्कुल भी हस्तक्षेप नहीं किया है। मैं न्यायालय से सुरक्षा की भीख मांगती हूं। मैं इससे तंग आ चुकी हूं, कृपया आप जो चाहें करें!"
कोर्टरूम से जाने लगीं इंदिरा जयसिंह
इसके बाद गुस्से में इंदिरा जयसिंह कोर्ट रूम से बाहर जाने के इरादे से आगे बढ़ने लगीं। हालांकि, फिर वह रुक गईं और कहा, "मेरे कई विद्वान जूनियर यहाँ हैं। आप जो चाहें कर सकते हैं। मिस्टर मेहता को बोलने दीजिए।" इसी दौरान कोर्ट ने उनसे कोर्ट रूम में ही रहने को कहा। जस्टिस कांत ने कहा, “मैडम इंदिरा...हमने आपको बिना किसी रुकावट के बहस करने की अनुमति दी है। कृपया देखें कि हम क्या हस्तक्षेप कर रहे हैं...हमने किसी को भी आपको बीच में टोकने की अनुमति नहीं दी। इसका कोई सवाल ही नहीं है...”
इस पर एसजी मेहता के आचरण से नाराज जयसिंह ने कहा, "यह कैसा रवैया है? 'उनकी अनुमति से'। क्या कोर्ट में बात करने का यह सही तरीका है? यह पहली बार नहीं है, जब मैं ऐसा यह सुन रही हूँ।"
मेरी कोर्ट में गुस्सा नहीं होता: जस्टिस कांत
इसके बाद जस्टिस कांत ने कहा, "आमतौर पर, मेरी कोर्ट में गुस्सा कभी नहीं होता..." इसके बाद जयसिंह की शिकायतों का जवाब दिए बिना, मेहता ने कोर्ट की टिप्पणी का जवाब दिया। उन्होंने कहा, "न्यायाधीश बनना बहुत मुश्किल होता है, मीलॉर्ड!" हालांकि, जयसिंह ने कहा कि मेहता उनसे इस तरह बात नहीं कर सकते। इसके बाद जस्टिस कांत ने वरिष्ठ वकील को शांत करने की कोशिश की। आखिरकार जयसिंह ने फिर से बहस शुरू की और कोर्ट रूम में अपनी आवाज ऊंची करने के लिए माफी भी मांगी।