51 डिब्बों में भरकर नेहरू की चिट्ठियां उठा ले गईं सोनिया गांधी, आखिर उनमें क्या लिखा: भाजपा
- भाजपा नेता संबित पात्रा ने सोमवार को सवाल उठाया कि देश इनके बारे में जानना चाहता है। आखिर इन लेटर्स में ऐसा क्या था कि इन्हें जल्दबाजी में उठवा लिया गया और अब इन्हें कहां रखा गया है। राहुल गांधी क्या इन लेटर्स को पीएम संग्रहालय वापस लाने में मदद करेंगे।
प्रधानमंत्री संग्रहालय से जुड़े एक पदाधिकारी की ओर से राहुल गांधी को एक पत्र लिखा गया है। इसमें मांग की गई है कि जवाहर लाल नेहरू की ओर से एडविना माउंटबेटन, जयप्रकाश नारायण समेत कई नेताओं को लिखे गए खत सोनिया गांधी उठा ले गई थीं। उन्हें वापस किया जाए। अब इसे लेकर भाजपा भी हमलवार और सवाल उठा रही है कि आखिर इन पत्रों को कांग्रेस के राज में क्यों उठा लिया गया। भाजपा नेता संबित पात्रा ने सोमवार को सवाल उठाया कि देश इनके बारे में जानना चाहता है। आखिर इन लेटर्स में ऐसा क्या था कि इन्हें जल्दबाजी में उठवा लिया गया और अब इन्हें कहां रखा गया है। राहुल गांधी क्या इन लेटर्स को पीएम संग्रहालय वापस लाने में मदद करेंगे।
संबित पात्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री संग्रहालय का नाम पहले नेहरू म्यूजियम एंड लाइब्रेरी था। पहले यहां सिर्फ नेहरू जी का ही इतिहास था। अब सभी पीएम के बारे में यहां जानकारी दी गई है। नेहरू जी ने एडविना माउंटबेटन, जयप्रकाश नारायण समेत कई नेताओं को चिट्ठियां लिखी थीं। 2008 में यूपीए की तत्कालीन चेयरपर्सन आई थीं और उन चिट्ठियों को उठा ले गईं। अब इतिहासकार जाकिर ने इसके लिए लेटर लिखा है कि आखिर माता जी ये चिट्ठियां क्यों ले गईं। इन्हें वापस पाने के लिए उन्होंने राहुल गांधी को चिट्ठी लिखी है। पात्रा ने कहा कि हम जानना चाहते हैं कि आखिर नेहरू जी ने एडविना माउंटबेटन को क्या लिखा था। उन्हें जय प्रकाश नारायण समेत अन्य कई नेताओं को क्या लिखा था।
भाजपा नेता ने कहा कि आखिर 2010 में जब यह फैसला हुआ था कि पूरी सामग्री को डिजिटल तौर पर अपलोड किया जाएगा तो सोनिया गांधी आखिर इतनी जल्दबादी में 51 कार्टन में भरकर चिट्ठियों को क्यों ले गईं। उन्हें आखिर कहां रखा गया है। आखिर उन चिट्ठियों में क्या है, जिन्हें गांधी परिवार दिखाना नहीं चाहते। ऐसे मौके पर क्यों इन्हें छिपाया जा रहा है, जब देश में संविधान पर चर्चा हो रही है।
संबित पात्रा ने कहा कि देश उन चिट्ठियों के बारे में जानना चाहता है। उन्होंने कहा कि आखिर दस्तावेजों के डिजिटाइनेशनल से ठीक पहले इन पत्रों को क्यों उठा लिया गया। ऐसी सेंसरशिप क्यों लागू की गई है, जबकि आज संविधान पर डिबेट चल रही है। हम जानना चाहते हैं कि गांधी परिवार में सेंसरशिप का भाव क्यों था।