भारत के सुदर्शन चक्र S-400 ने पाकिस्तान की हर मिसाइल को किया फुस्स, जानें कैसे करता है काम
भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ए400 ने पाकिस्तान की ओर से गुरुवार देर शाम जम्मू-कश्मीर और पंजाब में किए गए हमले को विफल करते हुए आठ मिसाइलों को नष्ट कर दिया।

भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ए400 ने पाकिस्तान की ओर से गुरुवार देर शाम जम्मू-कश्मीर और पंजाब में किए गए हमले को विफल करते हुए आठ मिसाइलों को नष्ट कर दिया।
पाकिस्तानी सेना ने गुरुवार को सीमा से सटे कई शहरों मिसाइल और ड्रोन से ताबड़तोड़ हमले किए, लेकिन हमारे एयर डिफेंस सिस्टम S-400 ने हर हमले को विफल कर दिया। पाकिस्तान की ओर से जम्मू-कश्मीर और पंजाब में किए गए हमले को विफल करते हुए पाकिस्तान की आठ मिसाइलों को नष्ट कर दिया। पाकिस्तान की ओर से सतवाड़ी, सांबा, आर एस पुरा और अरनिया में मिसाइलों से हमला किया गया। इसके अलावा पाकिस्तानी सैनिकों ने जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा और बारामूला जिलों में एलओसी पर बिना उकसावे के गोलाबारी की, जिसका भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया।
किन ठिकानों को बनाया गया निशाना?
पाकिस्तान ने जिन स्थानों को निशाना बनाने की कोशिश की, उनमें अवंतीपुरा, श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, कपूरथला, जालंधर, लुधियाना, आदमपुर, भटिंडा, चंडीगढ़, नल, फलोदी, उत्तरलाई और भुज जैसे रणनीतिक सैन्य ठिकाने शामिल थे। रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि देश की एकीकृत काउंटर-यूएएस ग्रिड और एयर डिफेंस सिस्टम ने इन हमलों को पूरी तरह से विफल कर दिया।
क्या है S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम?
S-400 रूस द्वारा विकसित एक उन्नत एयर डिफेंस सिस्टम है, जो एक साथ कई लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है। यह प्रणाली हवाई जहाज, क्रूज़ मिसाइलों और बैलिस्टिक मिसाइलों को ऊंचाई पर मार गिरा सकती है। इसमें मुख्य रूप से तीन भाग होते हैं—मिसाइल लॉन्चर, शक्तिशाली रडार और एक कमांड सेंटर। रक्षा मंत्रालय ने 2021 में कहा था, 'S-400 प्रणाली के आने से देश के एयर डिफेंस सिस्टम में काफी वृद्धि हुई है। यह एक बहुत बड़े क्षेत्र को लगातार और प्रभावी तरीके से सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम है।'
भारत-रूस में 7 साल पहले हुई थी डील
भारत और रूस के बीच इसकी डील 5 अक्टूबर 2018 को हुई थी। भारत ने रूस से लगभग 5 अरब डॉलर की लागत से S-400 के पांच यूनिट खरीदने का करार किया था। S-400 की लंबी दूरी तक मार करने की क्षमता इसे NATO देशों के लिए भी एक बड़ी चुनौती बनाती है। यह प्रणाली लगभग सभी आधुनिक लड़ाकू विमानों को ट्रैक और नष्ट करने की क्षमता रखती है।