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आतंकियों की तरफ दोस्ती का हाथ? पुतिन की चालाकी या मजबूरी, बना डाला नया कानून

  • रूस की संसद ने एक नया कानून पास किया है। इसके बाद रूस की अदालतें उन संगठनों से प्रतिबंध हटा सकेंगी, जिन्हें मॉस्को ने आतंकी की लिस्ट में डाल रखा है।

Deepak लाइव हिन्दुस्तानWed, 18 Dec 2024 09:39 AM
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रूस की संसद ने एक नया कानून पास किया है। इसके बाद रूस की अदालतें उन संगठनों से प्रतिबंध हटा सकेंगी, जिन्हें मॉस्को ने आतंकी की लिस्ट में डाल रखा है। इसे अफगानिस्तान की तालिबान सरकार से संबंध सामान्य करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। इसके अलावा रूस सीरिया के नए नेतृत्व से भी बेहतर संबंध अच्छे रखना चाहता है। बता दें कि किसी भी देश ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है। बता दें कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जुलाई में अफगानिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में नया साथी बताया था। रूस का फैसला पश्चिमी देशों से अलग है जो अफगानिस्तान में तालिबान शासन को मान्यता नहीं देने पर अड़े हुए हैं। पश्चिमी राजनयिकों का कहना है कि महिला अधिकारों पर तालिबान का रवैया स्वीकार्य नहीं है। तालिबान ने लड़कियों और महिलाओं के लिए हाई स्कूलों और विश्वविद्यालयों को बंद कर दिया है।

रूस के मुस्लिम क्षेत्र चेचन्या के नेता रमजान कादिरोव ने सोमवार को सीरियाई समूह हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) को मास्को की प्रतिबंधित आतंकवादी समूहों की सूची से हटाने का आह्वान किया। एचटीएस ने इस महीने सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद के तख्तापलट का नेतृत्व किया। पुतिन के करीबी सहयोगी कादिरोव ने कहा कि रूस को स्थिरता सुनिश्चित करने और मानवीय तबाही को रोकने के लिए नए सीरियाई अधिकारियों के साथ संबंधों की जरूरत है। क्रेमलिन ने इस सप्ताह कहा था कि रूस सीरिया में नए नेतृत्व के संपर्क में है। जहां वह एक हवाई क्षेत्र और एक नौसैनिक अड्डे के उपयोग को बनाए रखने की उम्मीद करता है। यह इसे भूमध्य सागर में एक महत्वपूर्ण सैन्य पैर जमाने में मदद करेगा।

संसद के निचले सदन, स्टेट ड्यूमा द्वारा पारित नया कानून, आतंकवाद से संबंधित गतिविधि को रोकने पर अदालत के आदेश से रूस की प्रतिबंधित सूची से एक समूह को हटाने की अनुमति देता है। तालिबान फरवरी 2003 में लिस्ट में शामिल होने वाले समूहों के पहले बैच में था। सीरिया के एचटीएस को 2020 इसमें जोड़ा गया था। मॉस्को को अफगानिस्तान से लेकर मध्य पूर्व तक के देशों में स्थित इस्लामी आतंकवादी समूहों से एक बड़ा सुरक्षा खतरा दिखाई दे रहा है। मार्च में बंदूकधारियों ने मॉस्को के बाहर एक कॉन्सर्ट हॉल में 145 लोगों की हत्या कर दी थी। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि उनके पास खुफिया जानकारी है कि इसके लिए इस्लामिक स्टेट खुरासान (आईएसआईएस-के) समूह की अफगान शाखा जिम्मेदार है। तालिबान का कहना है कि वह अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट की मौजूदगी को खत्म करने के लिए काम कर रहा है।

गौरतलब है कि अफगानिस्तान में रूस का एक जटिल और रक्तरंजित इतिहास रहा है। सोवियत सैनिकों ने कम्युनिस्ट सरकार को सहारा देने के लिए दिसंबर 1979 में देश पर हमला किया। लेकिन अमेरिका द्वारा सशस्त्र मुजाहिदीन लड़ाकों के खिलाफ एक लंबे युद्ध में फंस गए। सोवियत नेता मिखाइल गोर्बाचेव ने 1989 में अपनी सेना को वापस बुला लिया, उस समय तक लगभग 15,000 सोवियत सैनिक मारे गए थे। वहीं, सीरिया में असद के साथ रूस के संबंध काफी करीबी थे। हालांकि असद के पतन के बाद रूस ने एक प्रमुख सहयोगी खो दिया है।

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