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कर्तव्य पथ पर संविधान की झांकी विपक्ष को संदेश कैसे, खुशी से हाथ लहराते दिखे PM मोदी

  • गणतंत्र दिवस पर संविधान की झांकी देख पीएम मोदी अपनी खुशी रोक नहीं पाए और हाथ हिलाकर झांकी का स्वागत किया। संविधान की झांकी से मोदी सरकार ने विपक्ष को संदेश भी देने की कोशिश की।

Gaurav Kala लाइव हिन्दुस्तानSun, 26 Jan 2025 08:02 PM
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कर्तव्य पथ पर संविधान की झांकी विपक्ष को संदेश कैसे, खुशी से हाथ लहराते दिखे PM मोदी

पूरा देश 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। राजधानी दिल्ली के ऐतिहासिक कर्तव्य पथ पर विभिन्न कार्यक्रम हुए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पीएम नरेंद्र मोदी और मुख्य अतिथि के तौर पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो समेत कई सम्मानित लोगों ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस मौके पर 16 राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेश और केंद्र सरकार के 10 विभागों की झांकियां निकाली गई। विभिन्न झांकियों में एक ने सभी का मन मोहा। वह रहा- संविधान की झांकी और संविधान के जनक भीमराव आंबेडकर की आवाज। संविधान की झांकी देख पीएम मोदी अपनी खुशी रोक नहीं पाए और हाथ हिलाकर झांकी का स्वागत किया। संविधान की झांकी से मोदी सरकार ने विपक्ष को संदेश भी देने की कोशिश की, कैसे जानते हैं।

संविधान की झांकी से विपक्ष को संदेश

पिछले कुछ महीनों से विपक्ष खासकर कांग्रेस पार्टी संविधान को लेकर मोदी सरकार पर हमलावर रही है। 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी कांग्रेस और विपक्षी दलों ने जनता के बीच जाकर जोर दिया कि अगर तीसरी बार मोदी सरकार जीत गई तो संविधान खत्म कर देगी। एक देश-चुनाव समेत कई मुद्दों को लेकर विपक्ष ने मोदी सरकार को खूब घेरा। जानकार मानते हैं कि विपक्ष द्वारा फैलाए गए इस नैरेटिव का असर लोकसभा चुनाव के परिणामों में भी देखने को मिला। भाजपा जहां चुनाव में 400 पार का नारा दे रही थी, 240 सीट ही ला सकी।

संविधान की कॉपी लेकर शपथ ग्रहण

चुनाव परिणामों के बाद भी राहुल गांधी, अखिलेश यादव समेत कई विपक्षी नेताओं ने हाथ पर संविधान की कॉपी लेकर पद और गोपनीयता की शपथ ली। विपक्ष ने संविधान बचाओ का नारा बुलंद किया और मोदी सरकार को जमकर घेरा। देशभर में रैलियां और कार्यक्रम आयोजित किए। सरकार को सत्र के दौरान कहना पड़ा कि वे संविधान से किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं कर रहे। गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस कार्यकाल के दौरान किए गए संविधान संशोधनों का हवाला देते हुए दावा किया कि कांग्रेस ने अपने फायदे के लिए कई बार संविधान से छेड़छाड़ की, जबकि मोदी सरकार ऐसा कभी नहीं करेगी।

विपक्ष का नैरेटिव तोड़ने की कोशिश

अब गणतंत्र दिवस पर सरकार ने संविधान की झांकी से विपक्ष के उस नैरेटिव पर कड़ा प्रहार किया है। विशेष रूप से, विपक्ष को यह संदेश दिया गया है कि वे केवल आलोचना तक सीमित न रहें, बल्कि देश के विकास और संविधान के मूल्यों की रक्षा के लिए एक जिम्मेदार भूमिका निभाएं।

झांकी में क्या रहा खास

गणतंत्र दिवस परेड में कर्तव्य पथ पर केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) की फूलों से सजी झांकी में संविधान लागू होने की 75वीं वर्षगांठ को रेखांकित किया गया। झांकी के सामने के हिस्से में अशोक चक्र था, जबकि इसके पिछले हिस्से में भारत का संविधान रखा था। अशोक चक्र ‘समय के पहिये’ को दर्शाता है। सीपीडब्ल्यूडी के मुताबिक, अशोक चक्र दर्शाता है कि चलते रहना ही जीवन है, जबकि ठहराव का मतलब अंत है। पूरी झांकी को रंग-बिरंगे प्राकृतिक फूलों से सजाया गया था।

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बाबा साहेब की आवाज

जब कर्तव्य पथ पर संविधान सभा की झांकी निकल रही थी, तब दर्शक दीर्घा में बैठे लोगों को झांकी में बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की आवाज आकर्षण का केंद्र रही। आंबेडकर कहते सुनाई दिए (हिन्दी अनुवाद के साथ) "जहां तक अंतिम लक्ष्य का सवाल है, मुझे लगता है कि हममें से किसी को भी कोई आशंका नहीं होनी चाहिए। हममें से किसी को भी कोई संदेह नहीं होना चाहिए। हमारी समस्या अंतिम भविष्य को लेकर नहीं है। हमारी समस्या यह है कि आज जो विविधता भरा समूह हमारे पास है, वह एक सामान्य निर्णय कैसे ले और उस सहयोगात्मक मार्ग पर आगे बढ़े जो हमें एकता की ओर ले जाता है। हमारी समस्या अंतिम लक्ष्य को लेकर नहीं है, हमारी समस्या शुरुआत को लेकर है।" बाबा साहेब ने ये बातें 17 दिसंबर 1946 को संविधान के लक्ष्य संबंधी प्रस्ताव पर बहस के दौरान कही थी।

राष्ट्रपति मुर्मू ने बताया संविधान का महत्व

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर संविधान के महत्व का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पिछले 75 वर्षों में हुई प्रगति पर प्रकाश डाला। मुर्मू ने कहा, "वर्ष 1947 में हमने स्वाधीनता प्राप्त कर ली थी, लेकिन औपनिवेशिक मानसिकता के कई अवशेष लंबे समय तक विद्यमान रहे। हाल के दौर में, उस मानसिकता को बदलने के ठोस प्रयास हमें दिखाई दे रहे हैं।" उन्होंने कहा, ''स्वाधीनता के समय देश के बड़े हिस्से में घोर गरीबी और भुखमरी की स्थिति बनी हुई थी। लेकिन, हमारा आत्म-विश्वास कभी डिगा नहीं। हमने ऐसी परिस्थितियां बनाने का संकल्प लिया, जिनमें सभी को विकास करने का अवसर मिल सके।''

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