हम अच्छे संबंध चाहते हैं लेकिन..; पाकिस्तान के साथ रिश्तों पर लोकसभा में विदेश मंत्री जयशंकर
- S. Jaishankar in Loksabha: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान के साथ रिश्तों को लेकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि हम पाकिस्तान के साथ बेहतर रिश्ते चाहते हैं लेकिन यह आतंक के साथ संंभव नहीं है। गेंद पाकिस्तान के पाले में है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकसभा में पाकिस्तान पर भारत सरकार की नीति को स्पष्ट किया है। जयशंकर ने कहा कि हम अपने हर एक पड़ोसी की तरफ पाकिस्तान के साथ भी बेहतर संबंध चाहते हैं लेकिन आतंकवाद और बेहतर संबंध दोनों एक साथ नहीं चल सकते। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार चालू था लेकिन 2019 में पाकिस्तान द्वारा लिए गए फैसलों की वजह से यह बंद हुआ।
संसद में सांसद नवीन जिंदल के सवाल का जवाब देते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों देशों के संबंधों की पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करते हैं कि पाकिस्तान की तरफ से आतंकवाद कब बंद होता है। यह पाकिस्तान को दिखाना है कि वह अब और आतंकवाद नहीं फैलाएगा। संबंधों की गेंद पूरी तरह से पाकिस्तान के पाले में ही है, जब वह आतंकवाद फैलाना बंद कर देंगे। हमारे संबंध सामान्य होना शुरू हो जाएंगे।
AIMIM नेता और हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने प्रश्नकाल के दौरान सवाल किया कि सरकार बांग्लादेशी हिंदुओं के लिए क्या कर रही है। दूसरी तरफ नेपाल ने हमारी जमीन को अपने नक्शे में दिखाने की कोशिश की है उसे लेकर सरकार का क्या रुख है। ओवैसी को जवाब देते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि बांग्लादेश के मुद्दे पर हमारी सरकार लगातार ध्यान बनाए हुए है। हमने अपनी चिंता को पड़ोसी देश की सरकार के साथ भी साझा किया है। हाल ही में हमारे विदेश सचिव भी बांग्लादेश दौरे पर गए थे। वहां उन्होंने व्यक्तिगत रूप से वहां की सरकार के समक्ष हमारी चिंताओं को रखा था।
नेपाल के मुद्दे पर बात करते हुए जयशंकर ने कहा कि हम अपनी सीमाओं को लेकर ही शुरुआत से ही स्पष्ट स्तिथि बनाए हुए हैं। हमारा रुख इस पूरे मुद्दे पर बिल्कुल साफ है। हमारे किसी पड़ोसी को अगर लगता है कि वह भारत को अपनी स्तिथि बदलने के लिए मजबूर कर सकता है तो मैं यह बता देना चाहता हूं कि ऐसा नहीं होने वाला।
विदेश मंत्री ने चीन के मुद्दे पर भी जवाब दिया। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि चीन के साथ सीमा मुद्दे को लेकर मैंने पहले ही एक विस्तृत भाषण दे चुका हूं। मैं सदन को बता देना चाहता हूं कि यह समझौता देपसांग और डेमचौक को लेकर हुआ है। इन दोनों ही जगहों पर भारतीय सेना अपने ऐतिहासिक गश्ती प्वाइंट्स तक गश्त कर करती है।