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वन नेशन वन इलेक्शन से चुनाव आयोग को मिलेगी बेतहाशा पावर, क्यों कहा जा रहा ऐसा

  • विपक्षी दलों का तर्क है कि इससे चुनाव आयोग को बेतहाशा पावर मिल जाएगी। लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने कहा कि ये दोनों विधेयक संविधान और नागरिकों के वोट देने के अधिकार पर आक्रमण हैं।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 17 Dec 2024 04:50 PM
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One Nation One Election: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने मंगलवार (17 दिसंबर) को भाजपा के एक पुराने वादे को लागू करने की दिशा में पहला कदम उठा दिया है। ये कदम है देश में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का। इसके लिए भाजपा सरकार ने संसद के निचले सदन लोकसभा में "वन नेशन, वन इलेक्शन" वाला बिल पेश कर दिया है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के प्रावधान वाले ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024’ और उससे जुड़े ‘संघ राज्य क्षेत्र विधि (संशोधन) विधेयक, 2024’ को निचले सदन में पेश होने के लिए रखा, जिनका विपक्षी दलों ने पुरजोर विरोध किया। फिलहाल सरकार ने कहा है कि इस बिल पर व्यापक विचार-विमर्श के लिए इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा जाएगा।

चुनाव आयोग को बेतहाशा पावर मिल जाएगी?

बिल को लेकर विपक्षी दलों का तर्क है कि इससे चुनाव आयोग को बेतहाशा पावर मिल जाएगी। लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने कहा कि ये दोनों विधेयक संविधान और नागरिकों के वोट देने के अधिकार पर आक्रमण हैं। उनका कहना था कि निर्वाचन आयोग की सीमाएं अनुच्छेद 324 में निर्धारित हैं और अब उसे बेतहाशा ताकत दी जा रही है। गोगोई ने कहा कि इस विधेयक से निर्वाचन आयोग को असंवैधानिक ताकत मिलेगी। आइए जानते हैं कि इस बिल में ऐसा क्या है जो चुनाव आयोग को और भी पावरफुल बना देगा।

प्रस्तावित संविधान संशोधन विधेयक के तहत, अनुच्छेद 82 के बाद एक नया अनुच्छेद 82A जोड़ा जाएगा। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 82 लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में सीटों के पुनः परिसीमन (Delimitation) से संबंधित है। प्रत्येक जनगणना के बाद संसद को परिसीमन अधिनियम (Delimitation Act) बनाने और लागू करने का अधिकार है। इस अधिनियम के तहत लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में सीटों के क्षेत्रों का पुनः निर्धारण किया जाता है।

वन नेशन वन इलेक्शन वाले इस विधेयक के तहत तीन मौजूदा संविधान के अनुच्छेदों में संशोधन किया जाएगा और एक नया अनुच्छेद 82A प्रस्तावित किया गया है। अब अगर ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024’ पास हो जाता है तो अनुच्छेद 82 के बाद एक नया अनुच्छेद 82A जोड़ा जाएगा। प्रस्तावित अनुच्छेद 82A में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ आयोजित करने की व्यवस्था की जाएगी। इसके तहत कई प्रावधान किए गए हैं।

अनुच्छेद 82A के प्रावधान

प्रस्तावित अनुच्छेद 82A के अनुसार, राष्ट्रपति सार्वजनिक अधिसूचना के माध्यम से उस तिथि को लागू करेंगे जब पहली बार लोकसभा के सामान्य चुनाव के बाद उस सदन की बैठक होगी। इसके बाद, राज्य विधानसभाओं की पांच साल की अवधि को लोकसभा की अवधि के साथ समायोजित किया जाएगा, जिसका मतलब है कि कुछ राज्य विधानसभाओं की अवधि को घटा दिया जाएगा ताकि समान चुनाव संभव हो सकें।

अनुच्छेद 82A(3) में यह भी कहा गया है कि चुनाव आयोग "लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के सामान्य चुनावों को एक साथ आयोजित करेगा" और अनुच्छेद 82A(4) में "समान चुनाव" की परिभाषा दी गई है। हालांकि, अनुच्छेद 82A(5) के तहत चुनाव आयोग को यह अधिकार दिया गया है कि वह यदि कोई विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ नहीं करवा सकता है, तो राष्ट्रपति से आदेश प्राप्त कर सकता है कि उस विधानसभा चुनाव को बाद की तारीख पर आयोजित किया जाए।

यानी अगर चुनाव आयोग किसी विधानसभा के चुनाव को लोकसभा चुनाव के साथ कराना असंभव मानता है, तो वह राष्ट्रपति को सिफारिश करेगा, जिसके बाद चुनाव को किसी अन्य तिथि के लिए स्थगित किया जा सकता है। चुनाव प्रक्रिया में किसी संशोधन की आवश्यकता होने पर आयोग उसके लिए आदेश जारी कर सकता है। अगर किसी विधानसभा का चुनाव स्थगित किया जाता है, तो उसका कार्यकाल लोकसभा के कार्यकाल की समाप्ति के साथ ही समाप्त होगा।

यह विधेयक चुनाव आयोग को कैसे अत्यधिक शक्ति प्रदान करेगा?

यह बिल चुनाव आयोग को चुनावों के समय और तारीखों के निर्धारण में पूरी स्वतंत्रता देगा। चुनाव आयोग को यह निर्णय लेने का अधिकार होगा कि कौन से विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ होंगे और कौन से चुनाव बाद में आयोजित किए जाएंगे।

अनुच्छेद 82A(5) में यह भी कहा गया है कि यदि चुनाव आयोग किसी राज्य विधानसभा चुनाव को लोकसभा चुनाव के साथ नहीं करवा सकता, तो वह राष्ट्रपति से अनुरोध कर सकता है कि उस विधानसभा चुनाव को बाद की तारीख पर आयोजित किया जाए। इस प्रावधान से चुनाव आयोग को समय और चुनावी कार्यक्रम में लचीलापन मिलेगा, जिससे वह विभिन्न परिस्थितियों के अनुसार निर्णय ले सकेगा।

अनुच्छेद 82A(6) के तहत चुनाव आयोग के पास यह शक्ति होगी कि वह यह निर्धारित कर सके कि अगर किसी विधानसभा चुनाव को स्थगित किया जाता है, तो उस विधानसभा का कार्यकाल लोकसभा के कार्यकाल के साथ समाप्त होगा। यह प्रावधान चुनाव आयोग को राज्यों के चुनावी कार्यक्रम में समन्वय और अनुशासन बनाए रखने की शक्ति देगा।

चुनाव आयोग को यह अधिकार दिया जाएगा कि वह राष्ट्रपति से अनुरोध कर सकता है कि किसी विशेष विधानसभा चुनाव को लोकसभा चुनाव से अलग समय पर आयोजित किया जाए। यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा क्योंकि चुनाव आयोग को यह शक्ति मिलेगी कि वह आवश्यकता पड़ने पर राज्यों के चुनावी समय में बदलाव कर सके, जो देश की राजनीति पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।

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