गलवान से लेकर डोकलाम और सियाचिन तक, इन युद्धभूमियों में मना सकते हैं छुट्टियां; बड़ी पहल
- इसमें डोकलाम भी शामिल है, जो भारत और चीन के बीच सैन्य गतिरोध का स्थल है। जून 2017 में, चीन ने यहां एक सड़क का निर्माण शुरू किया था तब भारतीय सैनिकों ने निर्माण को रोकने के लिए यहां कदम रखा था।
भारतीय सेना और पर्यटन मंत्रालय के संयुक्त प्रयास से "भारत रणभूमि दर्शन" नामक एक नई पहल की शुरुआत की गई है। 15 जनवरी को 77वें सेना दिवस के अवसर पर रक्षा मंत्रालय ने इस पहल का शुभारंभ किया। इसका उद्देश्य देश की सीमाओं और ऐतिहासिक युद्धभूमियों को पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित करना है।
इस पहल के तहत, लोंगेवाला, गलवान, कारगिल, सियाचिन, और अरुणाचल प्रदेश के किबिथू और बुम-ला जैसे स्थानों को युद्ध पर्यटन के लिए खोला जा रहा है। इस परियोजना का लक्ष्य न केवल देशवासियों को भारत के सैन्य इतिहास से जोड़ना है, बल्कि इन दूरस्थ क्षेत्रों में आर्थिक और सामाजिक विकास को भी प्रोत्साहित करना है।
ऐतिहासिक महत्व और रणभूमि पर्यटन
लोंगेवाला युद्धस्थल 1971 के भारत-पाक युद्ध का प्रतीक है। इसको रणभूमि पर्यटन का हिस्सा बनाया गया है। यहां भारतीय सेना के केवल 120 जवानों ने 2,000 से 3,000 पाकिस्तानी सैनिकों और 40 टैंकों को रोककर दुश्मन के इरादों को नाकाम किया था। इस युद्ध में भारतीय वायुसेना की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही। दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर को 2023 में पर्यटन के लिए खोला गया था। पर्यटक अब सियाचिन बेस कैंप (12,000 फीट) से 15,000 फीट तक के क्षेत्र का दौरा कर सकते हैं। इसके अलावा, गलवान घाटी और 1999 के भारत-पाक युद्ध का प्रमुख स्थल कारगिल भी इस सूची में शामिल है।
लद्दाख में गलवान घाटी, 2020 में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़पों का स्थल है। यह संघर्ष तब शुरू हुआ जब चीनी सेना ने भारतीय सैनिकों द्वारा गश्त किए जाने वाले हिस्से में भारतीय सड़क निर्माण पर आपत्ति जताई। इस संघर्ष में 20 भारतीय सैनिकों की जान चली गई और अघोषित संख्या में चीनी सैनिक भी मारे गए।
इस सूची में डोकलाम भी शामिल है, जो भारत और चीन के बीच सैन्य गतिरोध का एक और स्थल है। जून 2017 में, चीन ने यहां एक सड़क का निर्माण शुरू किया और भारतीय सैनिकों ने निर्माण को रोकने के लिए प्रवेश किया। गतिरोध दो महीने तक चला, बाद में दोनों देशों के बीच आपसी तनाव कम हो गया। 77 स्थल हैं जो इस पहल का हिस्सा होंगे। सियाचिन उनमें से एक है। सियाचिन ग्लेशियर पृथ्वी पर सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र है। भारत और पाकिस्तान ने 1984 से इस क्षेत्र में रुक-रुक कर लड़ाई लड़ी है। इसे 2023 में ही पर्यटकों के लिए खोला गया था। एक अन्य साइट जो युद्ध पर्यटन का हिस्सा होगी वह है राजस्थान में लोंगेवाला है। लोंगेवाला की लड़ाई (47 दिसंबर 1971) भारत-पाकिस्तान युद्ध में पहली बड़ी लड़ाइयों में से एक थी। यह राजस्थान के थार रेगिस्तान में लोंगेवाला की भारतीय सीमा चौकी पर हमलावर पाकिस्तानी सेना और भारतीय रक्षकों के बीच लड़ी गई थी।
परियोजना के उद्देश्य
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बताया कि इस पहल का उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्रों का समग्र विकास करना है। इसके तहत चार प्रमुख स्तंभों – बुनियादी ढांचा, संचार, पर्यटन और शिक्षा – पर ध्यान दिया जाएगा। "भारत रणभूमि दर्शन" वेबसाइट को लॉन्च किया गया है, जो पर्यटकों को इन स्थानों की ऐतिहासिक जानकारी, यात्रा के लिए आवश्यक परमिट, युद्ध स्मारकों और संग्रहालयों की जानकारी प्रदान करेगी।
देशभक्ति को बढ़ावा और स्थानीय अर्थव्यवस्था का विकास
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह पहल न केवल भारतीयों को अपने सैन्य इतिहास के करीब लाएगी, बल्कि सीमावर्ती इलाकों की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करेगी। इन क्षेत्रों में पर्यटन से स्थानीय रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और लोगों को वहां बसने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। इस पहल से न केवल इतिहास को सही परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया जाएगा, बल्कि नई पीढ़ी में देशभक्ति और सैन्य इतिहास के प्रति रुचि भी बढ़ेगी।