गलवान जैसी घटना दोबारा न हो, मुस्तैदी से तैनात है सेना; आर्मी चीफ ने बताया उत्तरी सीमाओं का हाल
- गलवान में भारत-चीन के सैनिकों के बीच घातक झड़प हुई थी जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे। चीन की सेना के भी जवान हताहत हुए थे लेकिन उसने कोई संख्या नहीं बताई।
भारतीय सेना प्रमुख (सीओएएस) जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बुधवार को कहा कि उत्तरी सीमा पर स्थिति संवेदनशील लेकिन स्थिर बनी हुई है और सेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार और सक्षम है। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना की मजबूत उपस्थिति के कारण उत्तरी सीमाएं सुरक्षित हैं। उन्होंने पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहा, "उत्तरी सीमाएं सुरक्षित हैं क्योंकि भारतीय सेना वहां तैनात है, और सेना उस संख्या में मौजूद है, जो सीमा की रक्षा के लिए आवश्यक है।"
हालांकि, जनरल द्विवेदी ने सतर्कता बरतने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि गलवान जैसी घटना दोबारा नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा, "हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि जो गलवान में हुआ, वह दोबारा न हो। इसका मतलब है कि हमारी नजरें और कान खुले रहने चाहिए और राष्ट्र का हर नागरिक इस मुद्दे पर केंद्रित रहना चाहिए।" उन्होंने यह भी कहा कि "हमें सभी को मिलकर इस मुद्दे पर एकजुट होना चाहिए ताकि भविष्य में हमें किसी प्रकार के अप्रत्याशित घटनाक्रम का सामना न करना पड़े।" लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून 2020 को भारत-चीन के सैनिकों के बीच घातक झड़प हुई थी जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे। चीन की सेना के भी जवान हताहत हुए थे लेकिन उनकी आधिकारिक तौर पर कोई संख्या नहीं बताई गई थी।
पुणे में 77वें सेना दिवस समारोह में अपने संबोधन में द्विवेदी ने यह भी कहा कि नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर संघर्ष विराम कायम है, लेकिन ‘‘घुसपैठ के प्रयास जारी हैं’’। उन्होंने कहा कि उत्तरी सीमा पर स्थिति संवेदनशील लेकिन स्थिर बनी हुई है। सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘हमारी सेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार और सक्षम है।’’ उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि उत्तरी सीमा पर आधुनिक उपकरण और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
सेना प्रमुख ने जोर देकर कहा, ‘‘हम भारतीय सेना को एक आधुनिक, चुस्त, हर परिस्थिति के लिए अनुकूल, प्रौद्योगिकी-सक्षम बल बनाने की दिशा में आगे बढ़ते रहेंगे।’’ सेना प्रमुख ने कहा कि पुणे में आयोजित 77वीं सेना दिवस परेड का विशेष महत्व है क्योंकि पुणे मराठा शासन के समय से ही शौर्य एवं वीरता का स्थान रहा है। उन्होंने कहा कि पुणे में सेना दिवस समारोह, इस क्षेत्र की विरासत के साथ हमारे गहरे जुड़ाव को दर्शाता है। पुणे में पहली बार समारोह का आयोजन हुआ। सेना दिवस परेड (एडीपी) यहां बॉम्बे इंजीनियर्स ग्रुप (बीईजी) एंड सेंटर में हुई जो सेना की दक्षिणी कमान के अंतर्गत आता है।