यह 1971 में जन्मा बांग्लादेश नहीं, नया पाकिस्तान है; हिंदू संत के वकील ने मोहम्मद यूनुस को धोया
- दो दिन पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता अर्जुन सिंह ने वकील रवींद्र घोष से मुलाकात की और वहां (बांग्लादेश में) हिंदू अल्पसंख्यकों के अधिकारों के वास्ते खड़े होने के लिए उन्हें सम्मानित किया था।
बांग्लादेश के प्रमुख वकील रवींद्र घोष इस समय भारत में हैं। वे पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के कल्याणी स्थित एम्स में इलाज के लिए भारत आए हैं। इस दौरान उन्होंने साफ कहा है कि वे गिरफ्तार हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास का केस लड़ने के लिए वापस अपने देश जाएंगे। उन्होंने बांग्लादेश में सत्ताधारी मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार को जमकर धोया। रवींद्र घोष ने कहा कि वे कायर नहीं हैं और ना ही बांग्लादेश से भागे हैं।
इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में 75 वर्षीय रवींद्र घोष ने कहा, "मैं कायर नहीं हूं। मैं बांग्लादेश से भागा नहीं हूं। मैं अपने देश लौटूंगा और न्याय व इस्कॉन मठ के भिक्षु चिन्मय कृष्ण दास की रिहाई के लिए लड़ाई जारी रखूंगा।" घोष कोलकाता के बैरकपुर स्थित अपने बेटे के घर पर रुके हुए हैं जहां उनसे मिलने वालों का तांता लगा हुआ है। दो दिन पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता अर्जुन सिंह ने वकील रवींद्र घोष से मुलाकात की और वहां (बांग्लादेश में) हिंदू अल्पसंख्यकों के अधिकारों के वास्ते खड़े होने के लिए उन्हें सम्मानित किया था।
घोष: बांग्लादेश अब 1971 वाला देश नहीं
बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता और बांग्लादेश माइनॉरिटी वॉच के अध्यक्ष रवींद्र घोष ने कहा, "मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार दावा करती है कि वे नई सरकार हैं, लेकिन यह 1971 में बना बांग्लादेश नहीं है। यह 8 अगस्त, 2024 को बना एक और बांग्लादेश है। इरादा देश को नष्ट करने का है। वे एक नया बांग्लादेश और एक नया पाकिस्तान बनाने की कोशिश कर रहे हैं।" ज्ञात हो कि 8 अगस्त, 2024 को शेख हसीना सरकार का पतन हुआ था।
घोष ने बताया कि वह दो दिन पहले इलाज के लिए एम्स, कल्याणी पहुंचे थे। उन्होंने कहा, "देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़ गए हैं। कानून-व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं बची है। शेख हसीना के शासन में जीवन सुरक्षित था, लेकिन अब सुरक्षा का नामोनिशान नहीं है।"
चिन्मय कृष्ण दास के मामले पर रवींद्र घोष
घोष ने बताया कि इस्कॉन मठ के भिक्षु चिन्मय कृष्ण दास को झूठे देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने कहा, "चिन्मय कृष्ण दास एक समर्पित व्यक्तित्व हैं। वह समाज और देश के लिए अच्छा कार्य कर रहे थे, लेकिन उनकी बढ़ती लोकप्रियता को देखकर कुछ लोगों ने उन्हें निशाना बनाया। यह गिरफ्तारी राजनीतिक साजिश है।"
घोष ने दो बार चिटगांव की अदालत में दास की जमानत याचिका दाखिल करने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो सके। उन्होंने बताया, "अदालत में मेरे साथ दुर्व्यवहार हुआ। वहां के वकीलों ने मुझे 'भारत का दलाल' कहकर नारेबाजी की। पुलिस ने मुझे बचाया। मुझे धमकियां दी गईं और दास से जेल में मिलने के दौरान हर कदम पर परेशान किया गया।"
"अल्पसंख्यकों पर बढ़ा अत्याचार"
घोष ने कहा कि शेख हसीना सरकार के पतन के बाद अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़ गए हैं। उन्होंने कहा, "लोगों को उनके घरों से बेदखल किया जा रहा है। बांग्लादेश की आजादी भारत के सहयोग से मिली थी। लेकिन अब लोग इसे भूल गए हैं। लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता की बहाली के लिए सभी को एकजुट होना होगा।" अपने परिवार की चिंताओं के बावजूद घोष ने बांग्लादेश लौटने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने कहा, "मुझे मौत से डर नहीं है। मैं अपने देश लौटूंगा और न्याय के लिए लड़ाई जारी रखूंगा।"