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नया तालिबानी फरमान- अफगानिस्तान में लड़कियों का पढ़ना और गाना हराम

  • अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत में लड़कियों और महिलाओं पर एक के बाद एक नए प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं। इस बीच अब नए कानूनों में उनके पढ़ने और गाने को लेकर रोक लगा दी गई है।

Jagriti Kumari लाइव हिन्दुस्तान, काबुलFri, 23 Aug 2024 06:29 PM
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अफ़गानिस्तान में तालिबान हुकूमत ने महिलाओं के लिए नए फरमान जारी कर दिए है। नए कानून के मुताबिक बुर्का पहनने और सार्वजनिक जगहों पर जाने को लेकर नए प्रतिबंध लगाए गए हैं। तालिबान के सर्वोच्च नेता हिबतुल्लाह अखुंदज़ादा ने इन कानूनों को मंजूरी दे दी है। इतना ही नहीं इन नए कानूनों को पाक कानून कहा जा रहा है। नए नियम को लागू करने के पीछे बुरे आचरण पर रोक लगाना है। इन कानूनों के तहत महिलाओं के लिए सार्वजनिक जगहों पर अपने चेहरे सहित पूरे शरीर को ढंकना जरूरी होगा।

कानून में साफ आदेश है कि कपड़े पतले, तंग या छोटे नहीं होने चाहिए और लड़कों को लुभाने से बचने के लिए चेहरे को ढंकना जरूरी है। इसके अलावा कानून महिलाओं को उन पुरुषों को देखने से रोकता है जो उनके खून से जुड़े नहीं है या उनके रिश्तेदार नहीं हैं। कानून में यह भी बताया गया है कि एक महिला की आवाज़ बेहद निजी होती है। महिलाओं को सार्वजनिक रूप से गाने, कविता पढ़ने या ज़ोर से पढ़ने से प्रतिबंध लगाया गया है। किसी भी सार्वजनिक या सामाजिक जगहों पर महिलाओं को सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों में उनकी भागीदारी को भी सीमित करता है।

मीडिया पर भी प्रतिबंध

नए नियम तालिबान के सद्गुण प्रचार मंत्रालय के तहत बनाए गए 114-पृष्ठ के 35-लेखों वाले दस्तावेज़ का हिस्सा हैं। यह मंत्रालय 2021 में तालिबान के अधिग्रहण के बाद फिर से स्थापित किया गया था। नए नियम में दस्तावेज़ के अनुच्छेद 17 में जिंदा प्राणियों की तस्वीर के प्रकाशन पर प्रतिबंध लगाया गया है। यह पहले से ही कमज़ोर अफ़गान मीडिया परिदृश्य के लिए और भी ख़तरा पैदा करता है। अनुच्छेद 19 में संगीत बजाने, अकेली महिला यात्रियों के आने-जाने और पुरुषों और महिलाओं के मिलने-जुलने पर प्रतिबंध लगाता है जो एक-दूसरे से संबंधित नहीं हैं।

लोग डर के माहौल में जीने को मजबूर

इन नए कानूनों ने दुनिया भर के मानवाधिकार संगठनों के बीच चिंताएं बढ़ा दी हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक हालिया रिपोर्ट में बताया गया था कि अफ़गानिस्तान में लोग डर के माहौल में जीने को मजबूर हैं। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि सद्गुण प्रचार मंत्रालय सार्वजनिक जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी अपना प्रभाव बढ़ा रहा है जिसमें मीडिया की निगरानी भी शामिल हैं।

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