Hindi Newsदेश न्यूज़congress will start samvidhan bachao pad yatra from 26 january 2025 for one year Jairam Ramesh

अडाणी से लेकर आंबेडकर तक पर ठानेंगे रार; कांग्रेस का 'संविधान बचाओ पदयात्रा' निकालने का ऐलान

रमेश ने कहा कि कांग्रेस दिसंबर 2024 से जनवरी 2026 तक लोगों से जुड़े हरेक मुद्दों को उठाते हुए 'जय बापू, जय भीम, जय संविधान' राजनीतिक अभियान शुरू करेगी।

Pramod Praveen एएनआई, बेलगावीThu, 26 Dec 2024 09:20 PM
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मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस अगले साल 26 जनवरी से एक साल तक चलने वाली 'संविधान बचाओ राष्ट्रीय पद यात्रा' निकालने जा रही है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कर्नाटक के बेलगावी में कांग्रेस कार्य समिति की बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पार्टी एक साल तक देश भर के गांव-गांव तक पदयात्रा निकालेगी और इस दौरान अडाणी से लेकर आंबेडकर और चुनाव आयोग से लेकर अन्य मुद्दों पर रार ठानेगी और केंद्र सरकार के कारनामों का पर्दाफाश करेगी।

सीडब्ल्यूसी की बैठक के बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, “...हमारा मानना ​​है कि भारत जोड़ो यात्रा ने कांग्रेस को 'संजीवनी' दी और यह कांग्रेस की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। फिर, भारत जोड़ो न्याय यात्रा हुई और अब, 26 जनवरी 2025 को - हम एक साल तक चलने वाली 'संविधान बचाओ राष्ट्रीय पद यात्रा' शुरू करेंगे।” रमेश ने CWC में लिए गए अन्य फैसलों के बारे में भी जानकारी दी।

कांग्रेस कार्य समिति ने बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर के कथित अपमान को लेकर भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा और कहा कि गृह मंत्री अमित शाह को इस्तीफा देने के साथ ही देश से माफी मांगनी चाहिए। कार्य समिति की बैठक के बाद पारित प्रस्ताव में ‘एक देश-एक चुनाव’ संबंधी विधेयक, मंदिर-मस्जिद विवाद, मणिपुर की स्थिति, चीन के साथ सीमा समझौते, अर्थव्यवस्था की स्थिति और कुछ अन्य मुद्दों का उल्लेख करते हुए सरकार पर निशाना साधा गया है।

प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा संसद में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर का अपमान संविधान को कमज़ोर करने के आरएसएस-भाजपा के दशकों पुराने ‘प्रोजेक्ट’ का सबसे ताज़ा उदाहरण है। कार्य समिति केंद्रीय गृह मंत्री के इस्तीफ़े के साथ-साथ देश से माफी मांगने की मांग दोहराती है।’’ प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘कार्य समिति हमारे लोकतंत्र में लगातार आ रही गिरावट से बेहद चिंतित है। न्यायपालिका, निर्वाचन आयोग और मीडिया जैसी संस्थाओं का कार्यपालिका के दबाव के जरिए राजनीतिकरण किया गया है। संसद की साख को ख़त्म कर दिया गया है। हाल ही में संपन्न शीतकालीन सत्र में सत्ता पक्ष द्वारा जिस तरह कार्यवाही में बाधा डाली गई, उसे पूरे देश ने देखा।’’

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कार्य समिति ने दावा किया कि संविधान के संघीय ढांचे पर लगातार हमले हो रहे हैं, केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक से इसे विशेष रूप से ख़तरा है। उसने कहा, ‘‘भारत के निर्वाचन आयोग की सिफारिश पर चुनाव संचालन नियम 1961 में किए गए केंद्र के संशोधन की वह निंदा करती है जो चुनावी दस्तावेजों के महत्वपूर्ण हिस्सों तक सार्वजनिक पहुंच को रोकता है। यह पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों को कमजोर करता है जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की आधारशिला हैं। हमने इन संशोधनों को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। ख़ासकर हरियाणा और महाराष्ट्र में जिस तरह से चुनाव कराए गए हैं, उसने पहले ही चुनावी प्रक्रिया की सत्यनिष्ठा को खत्म कर दिया है।’’

कार्य समिति ने देश के कई स्थानों पर सांप्रदायिकता और जातीय घृणा के मामलों को लेकर चिंता जताई। उसने कहा, ‘‘2023 से हिंसा की आग में जल रहे मणिपुर को प्रधानमंत्री और उनकी सरकार की उदासीनता का सामना करना पड़ रहा है। मई 2023 में हिंसा भड़कने के बाद से प्रधानमंत्री ने इस अशांत राज्य का दौरा नहीं किया है।’’ कार्य समिति ने आरोप लगाया कि राजनीतिक लाभ के लिए संभल और अन्य स्थानों में जानबूझकर सांप्रदायिक तनाव भड़काया गया है। प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘उपासना स्थल अधिनियम, 1991, जिसके प्रति भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पूरी तरह से प्रतिबद्ध है, भी अनावश्यक बहस के दायरे में आ गया है।’’

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