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भारत के भी करीब पहुंच गया मंकी पॉक्स, जानें कैसे फैलता है खतरनाक वायरस; क्या हैं लक्षण

  • पाकिस्तान में भी मंकी पॉक्स के तीन मामले पाए गए हैं। अफ्रीकी देशों से शुरू हुआ संक्रमण पूरी दुनिया में फैल रहा है। डब्लूएचओ ने इसको लेकर इमर्जेंसी जारी कर दी है।

Ankit Ojha लाइव हिन्दुस्तानFri, 16 Aug 2024 12:17 PM
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मंकी पॉक्स की गंभीरता को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसको लेकर आपातकाल का ऐलान कर दिया है। पूरी दुनिया में इस वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। मध्य और पूर्वी अफ्रीका से शुरू हुआ यह संक्रमण अब भारत के करीब तक पहुंच गया है। पाकिस्तान में मंकी पॉक्स के तीन मामले पाए गए हैं। जानकारी के मुताबिक पहला मामला सऊदी अरब से वापस आए एक शख्स में पाया गया है। 34 साल का शख्स 3 अगस्त को सऊदी अरब से पाकिस्तान लौटा था। खैबर मेडिकल यूनिवर्सिटी में उसकी जांच करवाई गई थी। 13 अगस्त को रिपोर्ट पॉजिटिव आई।

क्या है मंकीपॉक्स वायरस

बता दें कि मंकीपॉक्सके सबसे ज्यादा मामले अफ्रीका में सामने आ रहे हैं। यह एक महामारी फैलाने वाला वायरस है। यह चेचक जैसा ही वायरस है और जानवरों से इंसानों में फैलता है। इंसान में पहुंचने के बाद यह तेजी से फैलने लगता है। 1958 में इस वायरस की सबसे पहले पहचान की गई थी। मध्य और पश्चिमी एशिया में इसके सबसे ज्यादा मामले पाए जाते हैं। यहां लोग जानवरों के ज्यादा करीब भी रहते हैं।

क्या हैं एमपॉक्स के लक्षण?

एमपॉक्स से संक्रमित होने पर शुरुआत में बुखार आता है। आम तौर पर पूरे शरीर में चकत्ते पड़ने लगते हैं। ये चकत्ते चेहरे और गुप्तांगों पर भी हो सकते हैं। ये सफेद और पीले फुंसी का भी रूप ले सकते हैं जिसमें मवाद भर जाती है। इन चकत्तों में खुजली और दर्द होता है। इसके अलावा बुखार, सिरदर्द, मांस पेशियों में दर्द हो जाता है। हालांकि इस वायरस से विरले ही मौत होती है। आम तौर पर यह खुद ही ठीक होता है।

कैसे खत्म होता है संक्रमण

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक वायरस के संक्रमण में आने के 21 दिन बाद तक लक्षण सामने आ सकते हैं। वहीं यह 14 से 21 दिन तक रहता है। इसके बाद यह खुद ही ठीक होता है। इस बीमारी की वैक्सीन होती है।

कैसे फैलता है वायरस

मंकी पॉक्स संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है। यौन संबंधों और त्वचा के कॉन्टैक्ट में आने से संक्रमण का खतरा ज्यादा रह सकता है। आंख, श्वास, नाक और मुंह के माध्यम से यह वायरस प्रवेश कर सकता है। संक्रमित व्यक्तियों द्वारा छुए गए सामान जैसे बिस्तर, तौलिया आदि से भी यह संक्रमण फैल सकता है। इसके अलावा चूहा, गिलहरी और बंदर के संपर्क में आने से भी यह वायरस फैल सकता है।

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