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सपने में भी नहीं सोच सकते, शराब पीकर सास से रेप करने वाले दामाद की करतूत सुनकर भड़का HC

  • हाई कोर्ट सास से रेप करने वाले दामाद की सजा को बरकरार रखा। हाई कोर्ट ने कहा कि महिला ने सपने में भी इसके बारे में सोचा नहीं होगा, यह बहुत शर्मनाक कृत्य है।

Gaurav Kala भाषा, मुंबईWed, 13 Nov 2024 06:35 PM
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बॉम्बे हाई कोर्ट ने सास से रेप करने करने वाले दामाद की सजा को बरकरार रखा है। हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने मामले में तल्ख टिप्पणी करते हुए इसे शर्मनाक कृत्य बताया। जज ने कहा कि पीड़िता दोषी की मां समान थी। महिला ने सपने में भी इस कृत्य के बारे में सोचा नहीं होगा। दामाद शराब पीकर अपनी सास के साथ तीन बार रेप करने का दोषी है।

न्यायमूर्ति जीए सनप की एकल पीठ ने मंगलवार को पारित आदेश में कहा कि पीड़िता दोषी की मां की उम्र की थी और उसने “उसके नारीत्व को कलंकित किया।” पीठ ने कहा कि पीड़िता ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी कि उसका दामाद इस तरह की घिनौनी हरकत कर सकता है और वह जीवन भर इस कलंक को झेलती रहेगी।

सास ने सपने में भी नहीं सोचा होगा दामाद की घिनौनी करतूत

अदालत ने कहा, “इस बात का संज्ञान लिया जाता है कि याचिकाकर्ता (दोषी), जो वादी (शिकायतकर्ता पीड़िता) का दामाद है, ने अपनी सास, जो उसकी अपनी मां की उम्र की है, के साथ यह शर्मनाक कृत्य किया। याचिकाकर्ता ने पीड़िता के नारीत्व को कलंकित किया।” पीठ ने कहा, “याचिकाकर्ता ने पीड़िता के साथ अपने संबंधों का फायदा उठाया। पीड़िता ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उसका दामाद उसके साथ ऐसी घिनौनी हरकत करेगा।”

पीठ ने याचिकाकर्ता की दोषसिद्धि बरकरार रखते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए गए सबूत दुष्कर्म के अपराध को साबित करने के लिए पर्याप्त हैं और दोषी को सुनाई गई सजा अपराध की गंभीरता के अनुरूप थी।

पहले शराब पी और फिर तीन बार रेप किया

दोषी व्यक्ति ने सत्र अदालत के मार्च 2022 के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, जिसके तहत उसे दिसंबर 2018 में अपनी 55 वर्षीय सास के साथ दुष्कर्म का दोषी ठहराते हुए 14 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि उसका दामाद और बेटी अलग हो गए थे, जिसके बाद उसके दोनों नाती अपने पिता के साथ रहते थे। उसने बताया था कि घटना के दिन उसका दामाद उसके घर पहुंचा, उससे झगड़ा किया और कहा कि वह अपनी बेटी को फिर से उससे मिलाने की कोशिश करे। शिकायकर्ता के मुताबिक, दामाद के दबाव डालने पर पीड़िता उसके साथ उसके घर जाने को तैयार हो गई, लेकिन रास्ते में आरोपी ने शराब पी और उसके साथ तीन बार बलात्कार किया।

पीड़िता ने अपनी बेटी को कथित घटना के बारे में बताया और फिर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। दोषी व्यक्ति ने अपनी याचिका में दावा किया कि यह सहमति से बनाया गया यौन संबंध था और उसे बलात्कार के झूठे मामले में फंसाया गया है। हालांकि, उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता की दलील मानने से इनकार कर दिया और कहा कि घटना के समय पीड़िता की उम्र 55 साल थी और वह झूठे आरोप थोपकर अपने चरित्र पर ऐसा कलंक नहीं लगाना चाहेगी।

उच्च न्यायालय ने कहा, “पुलिस में ऐसे मामले की शिकायत दर्ज कराना चरित्र पर कलंक लगने का कारण बन सकता है। अगर यह सहमति से किया गया कृत्य होता, तो वह पुलिस को घटना की सूचना ही नहीं देती। अगर यह सहमति से किया गया कृत्य होता, तो वह इस बारे में अपनी बेटी को भी नहीं बताती।”

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