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किरेन रिजिजू की किस बात पर भड़कीं महुआ मोइत्रा, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठा दिया मुद्दा

  • महुआ मोइत्रा ने दावा किया है कि उन्होंने अंतर संसदीय संघ को पत्र लिखकर किरेन रिजिजू की शिकायत की है। उन्होंने कहा कि किरेन रिजिजू ने उन्हें संसद में खुलेआम धमकाया।

Ankit Ojha भाषाSat, 14 Dec 2024 09:14 AM
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लोकसभा में शुक्रवार को संविधान पर चर्चा के दौरान टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के बीच तीखी बहस हो गई। मोइत्रा के बयानों से सदन में जमकर हंगामा हुआ और दो बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। मोइत्रा ने कहा का जस्टिस लोया की मौत समय से बहुत पहले हो गई थी। इसके बाद किरेन रिजिजू ने उनपर संसदीय कार्रवाई की चेतावनी दे दी। इसके बाद महुआ मोइत्रा ने दावा किया है कि उन्होंने अंतर संसदीय संघ (IPU) को पत्र लिखकर किरेन रिजिजू के खिलाफ धमकाने का आरोप लगाया है।

मोइत्रा ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में आरोप लगाया, ‘किरेन रीजीजू ने संसदीय नियमों और प्रक्रिया का पूरी तरह उल्लंघन करते हुए आज लोकसभा में मुझे खुलेआम धमकाया।’ उन्होंने कहा, ‘लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि वह रीजीजू के शब्दों को हटवा देंगे, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।’ बता दें कि अंतर संसदीय संघ एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है। इसमें कई लोकतांत्रिक देश शामिल हैं। इसका उद्देश्य लोकतांत्रिक व्यवस्था को बनाए रखना और आपसी संसदीय सहयोग है।

मोइत्रा ने कहा, ‘इस निरंतर लैंगिक उत्पीड़न और धमकी के खिलाफ अंतर-संसदीय संघ को पत्र लिखा है।’ लोकसभा में आज मोइत्रा की कुछ टिप्पणियों पर सत्तापक्ष के सदस्यों ने हंगामा किया जिसके कारण सदन की कार्यवाही दो बार कुछ देर के लिए स्थगित करनी पड़ी।

मोइत्रा ने न्यायमूर्ति बी एच लोया की मृत्यु ‘समय से बहुत पहले’ होने की बात कही जिस पर सदन में हंगामा हुआ और केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू ने उन्हें ‘उचित संसदीय कार्रवाई’ की चेतावनी दी। मोइत्रा ने सदन में ‘संविधान के 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा पर चर्चा’ में भाग लेते हुए केंद्र सरकार पर संविधान को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया।

मोइत्रा ने सदन में ‘संविधान के 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा पर चर्चा’ में भाग लेते हुए केंद्र सरकार पर संविधान को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले दस वर्ष में राजनीतिक ओहदेदारों ने लोकतंत्र को क्रमिक तरीके से नुकसान पहुंचाया है।’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं सभी को याद दिलाना चाहती हूं कि न्यायमूर्ति खन्ना 1976 के बाद भी 32 साल तक रहे जिसमें अधिकतर समय कांग्रेस की सरकार थी और उन्होंने अपनी आत्मकथा भी लिखी।’’

मोइत्रा ने एक अन्य दिवंगत न्यायाधीश का नाम लेते हुए सरकार पर निशाना साधा और कहा कि ‘न्यायमूर्ति लोया तो अपने समय से बहुत पहले इस दुनिया से विदा हो गए।’

तृणमूल कांग्रेस सांसद के भाषण के बाद सत्तापक्ष के सदस्यों ने इस मुद्दे को उठाते हुए आपत्ति जताई। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने जब यह मुद्दा उठाने का प्रयास किया तो पीठासीन सभापति कुमारी सैलजा ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी।

बाद में आसन पर अध्यक्ष ओम बिरला आसीन हुए और उनके अनुमति देने के बाद दुबे ने कहा कि न्यायमूर्ति बी एच लोया की मौत का जिक्र तृणमूल कांग्रेस सांसद ने किया है, जबकि उनकी असामयिक मौत की पुष्टि अन्य न्यायाधीशों ने भी की थी।

भाजपा सांसद ने मोइत्रा के इस बयान और एफसीआरए को लेकर की गई टिप्पणी को प्रमाणित करने को कहा। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा, ‘सदस्य ने न्यायमूर्ति लोया के बारे में जो कहा वह बहुत गंभीर विषय है। न्यायपालिका में सारा मामला खत्म हो चुका है। यह एक ‘सेटल्ड केस (सुलझ चुका मामला)’ है...इसमें किसी हस्तक्षेप का सवाल ही नहीं उठता।’ उन्होंने कहा कि सदस्य ने जिस तरह का बयान दिया है, उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

रीजीजू ने चेतावनी भरे अंदाज में कहा, ‘अध्यक्ष ने मामले को संज्ञान में लिया है। मैं सदन को सूचित करना चाहता हूं कि इस पर कार्रवाई होगी। हम लोग की तरफ से उचित संसदीय कार्रवाई की जाएगी। इस तरह की टिप्पणी पर आप बच नहीं सकते। यह गलत परंपरा है।’ मंत्री के बयान पर तृणमूल कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के सदस्य हंगामा करने लगे। सत्तापक्ष के सदस्य भी तृणमूल सांसद के बयान पर आपत्ति जता रहे थे। दोनों पक्षों के हंगामे के कारण अध्यक्ष ने शाम करीब 5.23 बजे कार्यवाही आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी।

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