'आरजी कर अस्पताल के सेमिनार हॉल में कोई नहीं गया', कोलकाता पुलिस ने वायरल वीडियो का भी दिया जवाब
- सीनियर आईपीएस अधिकारी ने कहा, 'सेमिनार हॉल का माप 51x32 है। इसके अंदर जिस जगह पर पीड़िता का शव मिला, उसे पर्दों से घेर दिया गया था। ऐसे में वहां पर किसी के प्रवेश करने का सवाल ही नहीं उठता है।'
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में रेप-मर्डर केस को लेकर जांच जारी है। एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने सोमवार को उन आरोपों का खंडन किया, जिसमें ट्रेनी डॉक्टर का शव मिलने के कुछ मिनट बाद सेमिनार हॉल में पुलिस और अस्पताल के अधिकारियों सहित लोगों की एंट्री का दावा किया गया। इस तरह का दावा करने को लेकर एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। 43 सेकंड के वीडियो में डॉक्टर्स, पुलिस अधिकारियों और अस्पताल में तैनात सुरक्षा गार्डों को अंदर इकट्ठा होते दिखाया गया है, जहां पीड़ित का शव मिला था। एचटी स्वतंत्र रूप से इस वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है।
कोलकाता पुलिस मुख्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए सीनियर आईपीएस अधिकारी ने कहा, 'सेमिनार हॉल का माप 51x32 है। इसके अंदर जिस जगह पर पीड़िता का शव मिला, उसे पर्दों से घेर दिया गया था। ऐसे में वहां पर किसी के प्रवेश करने का सवाल ही नहीं उठता है। वीडियो में जिन लोगों को इकट्ठा होते दिखाया गया है, वे सभी उस घिरे हुए क्षेत्र के बाहर हैं।' मालूम हो कि 22 अगस्त को इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। अदालत को केस की जांच कर रही केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने बताया कि अपराध स्थल से छेड़छाड़ हुई थी। मगर, राज्य सरकार ने इन आरोपों का खंडन किया है।
बलात्कार और हत्या के मामले को छिपाने का प्रयास
सीबीआई ने एससी को बताया कि ट्रेनी डॉक्टर से बलात्कार और हत्या के मामले को छिपाने का प्रयास किया गया था, क्योंकि जब तक संघीय एजेंसी ने जांच अपने हाथ में ली, तब तक अपराध स्थल का परिदृश्य बदल चुका था। जांच एजेंसी की ओर से अदालत में पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ को यह बताया था। उन्होंने कहा, ‘हमने 5वें दिन जांच शुरू की। इससे पहले, स्थानीय पुलिस ने जो कुछ भी इकट्ठा किया था, वह हमें दे दिया गया। जांच अपने आप में एक चुनौती है, क्योंकि अपराध स्थल का परिदृश्य बदल दिया गया था। प्राथमिकी पीड़िता के अंतिम संस्कार के बाद रात पौने 12 बजे दर्ज की गई।’
मृतक के सहकर्मियों ने वीडियोग्राफी के लिए दिया जोर
सुप्रीम कोर्ट से कहा गया, ‘सबसे पहले अस्पताल के उपाधीक्षक ने पीड़िता के माता-पिता को बताया कि उसकी तबीयत ठीक नहीं है। जब वे अस्पताल पहुंचे, तो उन्हें बताया गया कि उसने आत्महत्या कर ली है। मृतक के सहकर्मियों ने वीडियोग्राफी के लिए जोर दिया। इससे पता चलता है कि उन्हें मामले को छुपाने का संदेह था।’ सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि जब 9 अगस्त की सुबह ताला पुलिस थाने को फोन किया गया तो डॉक्टर्स ने पुलिस को बताया कि पीड़िता बेहोश है, हालांकि उसकी पहले ही मौत हो चुकी थी। पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से अदालत में सीनियर वकील कपिल सिब्बल पेश हुए थे। उन्होंने ने मेहता की दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि हर चीज की वीडियोग्राफी की गई थी। अपराध स्थल पर कुछ भी नहीं बदला गया था।
(एजेंसी इनपुट के साथ)