कौन हैं CBI की 2 टॉप लेडी अफसर, जिन्हें मिला कोलकाता केस; हाथरस-उन्नाव कांड का किया था पर्दाफाश
- साल 2017 का उन्नाव रेप मामला भी काफी चर्चित रहा है। इस केस में भाजपा नेता और स्थानीय विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को 17 वर्षीय दलित लड़की के सामूहिक बलात्कार का दोषी पाया गया। उसे आजीवन कारावास की सजा दी गई।
कोलकाता ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर मामले की जांच की जिम्मेदारी सीबीआई की 2 टॉप महिला अधिकारियों को सौंपी गई है। खास बात यह कि ये दोनों पहले भी ऐसे ही कुछ कुख्यात मामलों का पर्दाफाश चुकी हैं। इनमें एक झारखंड से 1994 बैच की आईपीएस ऑफिसर संपत मीना हैं, जो हाथरस बलात्कार-हत्या मामले और उन्नाव रेप केस की जांच जुड़ी रहीं। दूसरी शीर्ष अधिकारी सीमा पाहुजा हैं, जो हाथरस जांच टीम का हिस्सा थीं। एडिशनल डायरेक्टर मीना 25 अधिकारियों की एक टीम की प्रभारी हैं। वह इस मामले में सुपरवाइजरी कैपेसिटी के तौर पर काम करेंगी। जमीनी स्तर की जांच की जिम्मेदारी पाहुजा को दी गई है।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, सीमा पाहुजा हिमाचल प्रदेश में कक्षा 10 की छात्रा के साथ बलात्कार-हत्या मामले की जांच का हिस्सा थीं। इस केस को सुलझाना का मुश्किल माना जाने लगा था। साल 2017 के इस गुड़िया मामले ने पहाड़ी राज्य को झकझोर कर रख दिया। स्कूल से लौटते समय नाबालिग छात्रा लापता हो गई थी। वह रास्ता घने जंगल से होकर जाता था, जहां उसका अपहरण किया गया। बच्ची के लापता होने के 2 दिन बाद उसका शव मिला। जांच के दौरान पता चला कि उसका रेप किया गया और फिर गला घोंटकर मार डाला गया। इस मामले में लकड़हारे अनिल कुमार को दोषी पाया गया। 2021 में उसे आजीवन कारावास की सजा हुई।
उन्नाव केस में क्या हुआ था?
साल 2017 का उन्नाव रेप मामला भी काफी चर्चित रहा है। इस केस में भाजपा नेता और स्थानीय विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को 17 वर्षीय दलित लड़की के सामूहिक बलात्कार का दोषी पाया गया। उसे आजीवन कारावास की सजा दी गई। घटना के बाद सेंगर को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। कुलदीप सेंगर को न्यायिक हिरासत में लड़की के पिता की मौत का भी दोषी ठहराया गया, जिसके लिए वह 10 साल की जेल की सजा काट रहा है।
जानें क्या है हाथरस कांड
इसी तरह, साल 2020 के हाथरस मामले ने पूरे देश में सुर्खियां बटोरीं। 19 वर्षीय लड़की के साथ तथाकथित उच्च जाति के चार लोगों ने कथित तौर पर मारपीट और सामूहिक बलात्कार किया था। इसके कुछ दिनों बाद उसने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया। मालूम हो कि इस मामले के चार आरोपियों में से 3 रिहा हो चुके हैं। चौथे का नाम संदीप ठाकुर है जिसे बलात्कार या हत्या के लिए नहीं, बल्कि गैर इरादतन हत्या के लिए दोषी ठहराया गया। कोर्ट ने अपने फैसले को लेकर कहा कि यह महिला के बयान और फॉरेंसिक सबूतों के बेमेल होने से जुड़ा है। पुलिस का दावा था कि बलात्कार का सबूत नहीं है और महिला की मौत गर्दन पर चोट लगने से हुई थी।