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कोलकाता में अनशन पर बैठे जूनियर डॉक्टर की तबीयत बिगड़ी, अस्पताल में कराना पड़ा भर्ती

  • चिकित्सकों ने 10 सूत्री मांगों का ज्ञापन दिया। इसमें महिला डॉक्टर की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों को कड़ी सजा और सरकारी अस्पतालों में भ्रष्टाचार में शामिल लोगों की गिरफ्तारी शामिल है।

Niteesh Kumar भाषाSun, 13 Oct 2024 03:14 PM
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पश्चिम बंगाल के कोलकाता में अनशन पर बैठे डॉक्टर अनुस्तूप मुखर्जी को पेट दर्द के बाद शहर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। प्रदर्शन पर बैठे जूनियर डॉक्टरों का प्रदर्शन रविवार को 10वें दिन में प्रवेश कर गया। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मुखर्जी को शनिवार देर रात कोलकाता मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की क्रिटिकल केयर यूनिट (CCU) में भर्ती कराया गया। वह पिछले 48 घंटों में अस्पताल में भर्ती होने वाले तीसरे जूनियर डॉक्टर हैं। मुखर्जी से पहले डॉ. अनिकेत महतो और डॉ. आलोक वर्मा क्रमशः आरजी कर अस्पताल और नॉर्थ बंगाल मेडिकल हॉस्पिटल में भर्ती कराए गए। मालूम हो कि पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट के बैनर तले डॉक्टर्स 31 वर्षीय ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के बाद से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

चिकित्सकों ने 10 सूत्री मांगों का ज्ञापन दिया, जिसमें महिला डॉक्टर की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों को कड़ी सजा और सरकारी अस्पतालों में भ्रष्टाचार में शामिल लोगों की गिरफ्तारी शामिल है। उन्होंने राज्य के स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम को हटाने की भी मांग की है। जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल अस्पताल, कल्याणी के लगभग 77 डॉक्टरों ने रविवार को जूनियर डॉक्टरों की मांगें नहीं माने जाने पर सामूहिक रूप से इस्तीफा देने की धमकी दी। 8 सरकारी अस्पतालों से जुड़े सैकड़ों सीनियर डॉक्टर, शिक्षक और प्रोफेसर पहले ही जूनियरों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करने के लिए सामूहिक इस्तीफा पत्र पर हस्ताक्षर कर चुके हैं। समूहों में वे एस्प्लेनेड में प्रदर्शनकारियों के साथ प्रतीकात्मक उपवास में भी शामिल हुए हैं।

विरोध प्रदर्शन पर बंगाल सरकार का क्या कहना

पश्चिम बंगाल सरकार ने शनिवार को स्पष्ट किया कि विभिन्न सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में सीनियर डॉक्टरों के सामूहिक इस्तीफे का कोई कानूनी मूल्य नहीं है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मुख्य सलाहकार अलपन बंद्योपाध्याय ने राज्य सचिवालय नबन्ना में कहा, 'इन सामूहिक इस्तीफों का कोई कानूनी मूल्य नहीं है। इस्तीफा नियोक्ता और कर्मचारी के बीच विशिष्ट सेवा नियमों के संदर्भ में चर्चा का विषय है। अगर कोई व्यक्ति सरकारी सेवा से इस्तीफा देना चाहता है, तो दिए गए सेवा नियमों के अनुसार व्यक्ति को नियोक्ता को लिखना होगा। इस तरह के सामान्य पत्र की कोई कानूनी मान्यता नहीं है।'

इस बीच, शहर के 4 और निजी अस्पतालों (बीएम बिड़ला, वुडलैंड्स, पीयरलेस और कोठारी) के डॉक्टरों ने आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टरों की मांगों के समर्थन में सोमवार और मंगलवार को गैर-जरूरी सेवाओं से दूर रहने की धमकी दी है। उन्होंने कहा कि आपात स्थिति को छोड़कर बाहरी सहित सभी गैर-आपातकालीन कार्य इन 2 दिनों में नहीं होंगे और भविष्य की कार्रवाई पर 15 अक्टूबर को निर्णय लिया जाएगा।

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