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वक्फ बोर्ड बिल पर JPC बैठक में हो गई बहस, संजय सिंह समेत विपक्ष के कई नेता भिड़े

  • बैठक में भारतीय जनता पार्टी (BJP), तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के कल्याण बनर्जी और आम आदमी पार्टी (आप) के नेता संजय सिंह सहित विपक्ष के सदस्यों के बीच तीखी बहस भी हुई, जिसके कारण समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल को हस्तक्षेप करना पड़ा।

भाषा Fri, 6 Sep 2024 09:47 AM
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वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार कर रही संयुक्त संसदीय समिति की गुरुवार को हुई बैठक में सांसदों ने शीर्ष अधिकारियों से कई कड़े सवाल किए, जिसमें विपक्षी दलों के सदस्यों ने तर्क दिया कि मंत्रालय मसौदा विधेयक पर स्वतंत्र रूप से विचार नहीं कर रहे हैं और केवल सरकारी नजरिए का ही अनुसरण कर रहे हैं। सूत्रों ने यह जानकारी दी।

वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार कर रही संयुक्त संसदीय समिति को गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में मौजूद वक्फ संपत्तियों से अवगत कराया गया जिसमें सड़क परिवहन एवं रेल मंत्रालयों से संबंधित भूमि पर उपस्थित संपत्तियां शामिल हैं। इस बैठक में शहरी मामलों एवं सड़क परिवहन विभाग के सचिव अनुराग जैन और रेलवे बोर्ड के सदस्य (अवसंरचना) अनिल कुमार खंडेलवाल तथा संबंधित मंत्रालयों के अधिकारियों ने प्रस्तुति दी।

बैठक में भारतीय जनता पार्टी (BJP), तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के कल्याण बनर्जी और आम आदमी पार्टी (आप) के नेता संजय सिंह सहित विपक्ष के सदस्यों के बीच तीखी बहस भी हुई, जिसके कारण समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल को हस्तक्षेप करना पड़ा। मंत्रालयों ने तर्क दिया कि वक्फ (संशोधन) विधेयक से उन्हें सरकारी भूमि पर अतिक्रमण हटाने और विकास परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने में मदद मिलेगी।

विपक्षी सदस्यों ने तर्क दिया कि मौजूदा कानूनों में ऐसी स्थिति में चुनौती देने का प्रावधान है जब किसी संपत्ति को गलत तरीके से वक्फ के रूप में अधिसूचित किया गया है, जबकि सरकार तो यह कह रही है कि यदि वह ऐसी संपत्ति पर दावा करती है तो उससे कोई सवाल नहीं पूछा जाना चाहिए।

विपक्षी दल के एक सदस्य ने कहा, 'तीनों मंत्रालयों ने बिना किसी विचार के केवल केंद्र सरकार के रुख का समर्थन किया है।' शहरी मामलों के मंत्रालय के अधिकारियों ने दिल्ली शहर के निर्माण के लिए 1911 में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार द्वारा किए गए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया के बारे में समिति को जानकारी दी।

संसदीय सूत्रों ने बताया कि बैठक के दौरान उस समय तीखी बहस हुई जब शहरी मामलों के मंत्रालय के अधिकारी ब्रिटिश प्रशासन द्वारा अपनाई गई भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया पर सदस्यों के सवालों का जवाब नहीं दे पाए। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति में विपक्ष के एक सदस्य ने दावा किया, ‘कुछ सूचनाओं को दबाने की भी कोशिश की गई।’

संसदीय सूत्रों ने बताया कि द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के सदस्य ए. राजा ने कहा कि 1913 में एक वक्फ कानून पारित किया गया था और शहरी मामलों के मंत्रालय ने इसके बारे में प्रस्तुतीकरण में कोई जिक्र नहीं किया। मंत्रालय द्वारा प्रस्तुति के अनुसार, वक्फ बोर्ड ने 1970 और 1977 के बीच 138 संपत्तियों पर दावे किए, जिन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा नई दिल्ली के निर्माण के लिए अधिग्रहित किया गया था।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के निर्माण के लिए कुल 341 वर्ग किलोमीटर भूमि का अधिग्रहण किया गया और प्रभावित व्यक्तियों को उचित मुआवजा दिया गया। इस दावे का कुछ सदस्यों ने विरोध किया। समिति के सदस्य चाहते थे कि सरकार यह पता लगाए कि क्या दिल्ली में संपत्तियों पर वक्फ बोर्ड का दावा 1954 के वक्फ अधिनियम में निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन करने के बाद किया गया था।

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