पाकिस्तान के साथ बातचीत का दौर अब खत्म, विदेश मंत्री जयशंकर की पड़ोसी देश को दो टूक
- जयशंकर ने कहा कि राजीव ने अपनी किताब में सुझाव दिया है कि शायद भारत मौजूदा स्तर के संबंधों को जारी रखने से संतुष्ट है। शायद हां, शायद नहीं... हम निष्क्रिय नहीं हैं, और चाहे घटनाएं सकारात्मक या नकारात्मक दिशा में जाएं, हम उस पर प्रतिक्रिया करेंगे।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ भारत के संबंधों के बारे में खुलकर बात की। राजदूत राजीव सीकरी की नई किताब 'स्ट्रैटेजिक कॉनड्रम्स: रीशेपिंग इंडियाज फॉरेन पॉलिसी' के विमोचन पर बोलते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान के साथ बातचीत का दौर खत्म हो चुका है। उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि पाकिस्तान के साथ निर्बाध बातचीत का युग खत्म हो चुका है। हर काम के परिणाम होते हैं। और जहां तक जम्मू-कश्मीर का सवाल है, मुझे लगता है कि अनुच्छेद-370 खत्म हो चुका है, इसलिए, आज मुद्दा यह है कि हम पाकिस्तान के साथ किस तरह के संबंधों पर विचार कर सकते हैं?''
'हम निष्क्रिय नहीं, देंगे प्रतिक्रिया'
एस जयशंकर ने आगे कहा, ''राजीव ने अपनी किताब में सुझाव दिया है कि शायद भारत मौजूदा स्तर के संबंधों को जारी रखने से संतुष्ट है। शायद हां, शायद नहीं... हम निष्क्रिय नहीं हैं, और चाहे घटनाएं सकारात्मक या नकारात्मक दिशा में जाएं, हम उस पर प्रतिक्रिया करेंगे।'' विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान के साथ लोगों के बीच मजबूत संबंध हैं। उन्होंने कहा, "जहां तक अफगानिस्तान का सवाल है, वहां लोगों के बीच मजबूत संबंध हैं। वास्तव में, सामाजिक स्तर पर, भारत के लिए एक निश्चित सद्भावना है। लेकिन जब हम अफगानिस्तान को देखते हैं, तो मुझे लगता है कि शासन कला की बुनियादी बातों को नहीं भूलना चाहिए। यहां अंतरराष्ट्रीय संबंध काम कर रहे हैं। इसलिए जब हम आज अपनी अफगान नीति की समीक्षा करते हैं, तो मुझे लगता है कि हम अपने हितों के बारे में बहुत स्पष्ट हैं। हम अपने सामने मौजूद विरासत में मिली बुद्धि से भ्रमित नहीं हैं।''
'US के बिना काफी अलग है अफगानिस्तान'
किताब लॉन्च में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि अमेरिकी सेना की मौजूदगी वाला अफगानिस्तान अमेरिका की मौजूदगी के बिना अफगानिस्तान से बहुत अलग है। उन्होंने कहा, ''हमें यह समझना चाहिए कि हमारे लिए अमेरिका की मौजूदगी वाला अफगानिस्तान अमेरिका की मौजूदगी के बिना अफगानिस्तान से बहुत अलग है।'' जयशंकर ने कहा कि भारत को बांग्लादेश के साथ आपसी हितों का आधार तलाशना होगा और भारत 'वर्तमान सरकार' से निपटेगा। वहीं, एक और पड़ोसी देश बांग्लादेश के बारे में बात करते हुए एस जयशंकर ने कहा कि बांग्लादेश की स्वतंत्रता के बाद से हमारे संबंधों में उतार-चढ़ाव आते रहे हैं और यह स्वाभाविक है कि हम तत्कालीन सरकार के साथ व्यवहार करेंगे। लेकिन हमें यह भी मानना होगा कि राजनीतिक परिवर्तन हो रहे हैं और वे विध्वंसकारी हो सकते हैं और स्पष्ट रूप से यहां हमें हितों की पारस्परिकता पर ध्यान देना होगा।"
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