2022 में चंद्रचूड़ की मौखिक टिप्पणियों ने खोल दिया भानुमति का पिटारा, पूर्व CJI पर क्यों भड़क गई कांग्रेस
- जयराम रमेश ने कहा कि चंद्रचूड़ द्वारा की गई पहले की टिप्पणियों की वजह से पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 इन दिनों चर्चा का प्रमुख विषय बन गया है। उनका दावा था कि 2022 में चंद्रचूड़ की मौखिक टिप्पणियों ने इस मुद्दे को और अधिक विवादास्पद बना दिया है।
कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने हाल ही में संभल और अजमेर शरीफ से संबंधित निचली अदालतों के फैसलों को लेकर पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ पर निशाना साधा है। रमेश ने शनिवार को कहा कि चंद्रचूड़ द्वारा की गई पहले की टिप्पणियों की वजह से पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 इन दिनों चर्चा का प्रमुख विषय बन गया है। उनका दावा था कि 2022 में चंद्रचूड़ की मौखिक टिप्पणियों ने इस मुद्दे को और अधिक विवादास्पद बना दिया है। जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि चंद्रचूड़ द्वारा 20 मई 2022 को की गई मौखिक टिप्पणियों ने भानुमति का पिटारा (कभी खत्म न होने वाला विवाद) खोल दिया है।
रमेश ने 1991 में संसद में इस विधेयक पर हुई बहस का उल्लेख किया, जिसे बाद में पूजा स्थल अधिनियम के रूप में लागू किया गया। उन्होंने प्रसिद्ध लेखक और तत्कालीन जनतादल सांसद राजमोहन गांधी के भाषण की प्रशंसा की, जिसे उन्होंने राज्यसभा के इतिहास के सबसे महान भाषणों में से एक बताया।
राजमोहन गांधी ने उस समय महाभारत का संदर्भ देते हुए कहा था, "इतिहास के अन्याय को बदले की भावना से सुधारने की कोशिश विनाश ही लाएगी।" इस भाषण का जिक्र करते हुए रमेश ने इसे भारतीय संस्कृति, परंपराओं और राजनीति का मास्टरक्लास करार दिया।
जयराम रमेश के बयान ऐसे समय में आए हैं जब यूपी के संभल में एक मस्जिद और राजस्थान के अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर दावों को लेकर विवाद गरमाया हुआ है। शुक्रवार को कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्लूसी) ने एक प्रस्ताव पारित कर पूजा स्थल अधिनियम की भावना और अक्षरश: पालन की बात दोहराई। कांग्रेस ने बीजेपी पर इस कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाया।
इस अधिनियम के अनुसार, धार्मिक स्थलों की स्थिति को 15 अगस्त 1947 की स्थिति से बदलना प्रतिबंधित है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 2019 के अयोध्या फैसले में अधिनियम की धारा 3 पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि यह किसी धार्मिक स्थल की पहचान का पता लगाने पर रोक नहीं लगाता।
गौरतलब है कि ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने यह मौखिक टिप्पणी की थी कि पूजा स्थल अधिनियम धार्मिक स्थलों की पहचान की जांच करने से नहीं रोकता। इस टिप्पणी ने पूजा स्थल अधिनियम और उससे जुड़े मुद्दों को लेकर देशभर में नए सिरे से बहस को जन्म दिया है।