Hindi Newsदेश न्यूज़ISRO new chairman v Narayanan s Somnath to retire on 14 of january

कभी केरोसिन के लैंप में पढ़ते थे वी नारायणन, ऐसे तय किया था ISRO तक का सफर

  • वी नारायणन का जन्म तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले के मेलाकट्टुविलई गांव के गरीब परिवार में हुआ था। उन्होंने शुरुआती शिक्षा सरकारी स्कूल और तमिल माध्यम के हाई स्कूल से ली।

Nisarg Dixit लाइव हिन्दुस्तानMon, 13 Jan 2025 08:05 AM
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ISRO यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन को नए बॉस मिलने वाले हैं। 14 जनवरी को मौजूदा चीफ एस सोमनाथ का कार्यकाल होते ही वी नारायणन अध्यक्ष पद संभालेंगे। बगैर छत के स्कूल से लेकर स्पेस एजेंसी के चीफ बनने तक की उनकी कहानी किसी फिल्म से नहीं है। उन्होंने साल ISRO में अपनी वैज्ञानिक पारी का आगाज साल 1984 में किया था।

डॉक्टर वी नारायणन का सफर

दिवंगत किसान सी वेन्नियापेरुमल और दिवंगत एस थंगामल नारायणन के सबसे बड़े बेटे वी नारायणन का जन्म तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले के मेलाकट्टुविलई गांव के गरीब परिवार में हुआ था। उन्होंने शुरुआती शिक्षा सरकारी स्कूल और तमिल माध्यम के हाई स्कूल से ली। खास बात है कि कक्षा 9 में आने के बाद उनके घर में बिजली आई। इससे पहले वह केरोसिन के लैंप की रोशनी में पढ़ाई करते थे। यहां तक कि जिस स्कूल में उन्होंने शिक्षा हासिल की, वहां ठीक छत भी नहीं थी।

टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में ISRO के एक वैज्ञानिक बताते हैं, 'एक दिन उनके शिक्ष ने ऐलान किया कि चांद पर इंसान ने सफलतापूर्वक लैंडिंग कर ली है। वह आज भी उस बात को बड़े उत्साह से बताते हैं।' रिपोर्ट के अनुसार, तमाम मुश्किलों के बावजूद नारायण ने 10वीं में पहली रैंक हासिल की। इसके बाद उन्होंने AMIE मैकेनिकल इंजीनियरिंग की और बाद में IIT खड़गपुर से एमटेक और पीएचडी किया।

ISRO में चार दशक से ज्यादा के अनुभव के दौरान वह कई अहम पदों पर रहे हैं। खबर है कि वह रॉकेट और स्पेसक्राफ्ट प्रोपल्शन के विद्वान हैं। उनकी उपलब्धियों में GSLV Mk Ill व्हीकल का C25 क्रायोजैनिक प्रोजेक्ट शामिल है। वह इसके प्रोजेक्ट डायरेक्टर थे। डॉक्टर नारायणन के नेतृत्व में LPSC ISRO के कई मिशनों के लिए 190 लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम और कंट्रोल पावर प्लांट मुहैया करा चुका है। उन्होंने आदित्य अंतरिक्ष यान और GSLV Mk-Ill मिशनों, चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन सिस्टम में भी योगदान दिया था।

आगे क्या है प्लान

नारायणन ने बुधवार को कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी एक सफल दौर से गुजर रही है और उसके पास चंद्रयान-4 तथा गगनयान जैसे मिशन हैं। उन्होंने कहा था, 'यह एक महान संस्था है। कई श्रेष्ठ लोगों ने इसका नेतृत्व (अतीत में) किया है। मैं इसका हिस्सा बनना सौभाग्य मानता हूं।'

आगामी परियोजनाओं के बारे में जानकारी देते हुए नारायणन ने कहा कि इसरो ने 30 दिसंबर को ‘स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट’ (स्पाडेक्स) मिशन की शुरुआत की थी और ‘स्पाडेक्स’ उपग्रहों का डॉकिंग प्रयोग नौ जनवरी को किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि गगनयान इसरो का एक और प्रमुख कार्यक्रम है। इसके तहत मानवरहित मॉड्यूल या मानवरहित रॉकेट के प्रक्षेपण से संबंधित कार्य सफलतापूर्वक प्रगति पर हैं।

उन्होंने कहा कि इस महीने के अंत में जीएसएलवी के जरिए नौवहन उपग्रह ‘एनवीएस 02’ के प्रक्षेपण का कार्य श्रीहरिकोटा में प्रगति पर है।

उन्होंने कहा कि इसरो के मार्क III वाहन के जरिए अमेरिका के एक वाणिज्यिक उपग्रह को भेजने और गगनयान (जी 1) के हिस्से के रूप में ‘रॉकेट असेंबली’ का काम भी वहां (श्रीहरिकोटा) प्रगति पर है।

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