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गगनयान 2026, चंद्रयान-4 2028 में; ISRO चीफ सोमनाथ ने तय की चंद्रमा पर इंसान भेजने की तारीख

  • सोमनाथ ने कहा कि भारत के पास सितारों और आकाशगंगाओं का अध्ययन करने की एक पुरानी और समृद्ध परंपरा है। यह एक लंबे समय के बाद है कि देश खगोल विज्ञान के क्षेत्र में नया ज्ञान पैदा कर रहा है।

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तानSun, 27 Oct 2024 07:41 AM
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इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने शनिवार को आकाशवाणी पर सरदार पटेल मेमोरियल व्याख्यान देते हुए कुछ महत्वपूर्ण आगामी मिशनों की नई तारीखों का भी खुलासा किया। सोमनाथ के मुताबिक, मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन गगनयान संभवतः 2026 में लॉन्च किया जाएगा। साथ ही चंद्रमा से नमूना लेकर वापस लौटने वाला मिशन चंद्रयान-4 2028 में लॉन्च होने की संभावना है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि भारत-यूएस संयुक्त NISAR मिशन को अगले साल के लिए निर्धारित किया गया है।

इसरो के अध्यक्ष ने बताया कि जापान की स्पेस एजेंसी JAXA के साथ संयुक्त चंद्रमा लैंडिंग मिशन चंद्रयान-5 मिशन होगा। इसे मूल रूप से LUPEX (लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन) कहा जाता था। उन्होंने इसकी लॉन्च के लिए समय सीमा का उल्लेख नहीं किया। LUPEX मिशन पहले 2025 के भीतर लॉन्च करने के लिए निर्धारित था, लेकिन अब जब इसे चंद्रयान-5 के रूप में बताया गया है। इसकी उम्मीद 2028 के बाद ही की जा सकती है।

सोमनाथ ने कहा, “यह एक बहुत भारी मिशन होगा जिसमें लैंडर भारत द्वारा प्रदान किया जाएगा, जबकि रोवर जापान से आएगा। चंद्रयान-3 पर रोवर का वजन केवल 27 किलोग्राम था, लेकिन इस मिशन में 350 किलोग्राम का रोवर होगा। यह एक विज्ञान-प्रधान मिशन है जो हमें चंद्रमा पर मानवों के उतरने के एक कदम करीब ले जाएगा।” भारत ने 2040 तक चंद्रमा पर मानव मिशन की योजनाओं का अनावरण किया है।

सोमनाथ ने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी उद्यमों के लिए खोलने, नई सक्षम नीतियों और युवा उद्यमियों द्वारा दिखाए गए उत्साह ने भारत में एक जीवंत अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र तैयार किया है। उन्होंने कहा, “हमारी वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में योगदान अभी भी लगभग 2 प्रतिशत है। हमारी आकांक्षा इसे अगले 10-12 वर्षों में लगभग 10 प्रतिशत तक बढ़ाना है। लेकिन इसरो अकेले इसे हासिल नहीं कर सकता। हमें अन्य हिस्सेदारों की भागीदारी की आवश्यकता है। स्टार्ट-अप से लेकर बड़ी कंपनियों तक सभी को भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में आकर भाग लेना होगा। हम उन सक्षम तंत्रों को बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं जो कंपनियों के लिए इसरो के साथ काम करना आसान बनाएं।”

इसरो के अध्यक्ष ने बताया कि पिछले एक दशक में भारत की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के आयात पर निर्भरता काफी कम हुई है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। उन्होंने कहा, “अंतरिक्ष क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाली कई महत्वपूर्ण वस्तुएं अभी भी बाहर से आती हैं। हमें अपने देश में इनमें से कई का निर्माण करने की क्षमता विकसित करनी होगी।”

सोमनाथ ने कहा कि भारत के पास सितारों और आकाशगंगाओं का अध्ययन करने की एक पुरानी और समृद्ध परंपरा है। यह एक लंबे समय के बाद है कि देश खगोल विज्ञान के क्षेत्र में नया ज्ञान पैदा कर रहा है और अंतरिक्ष अन्वेषण में वैश्विक प्रयासों में योगदान कर रहा है।

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