ISRO और SpaceX की साझेदारी कामयाब, एलन मस्क ने लॉन्च कराई भारत की सैटेलाइट
- 4700 किलोग्राम वजनी GSAT-N2 या GSAT 20 इस सैटेलाइट की मदद से दूर दराज के इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी उपलब्ध कराई जा सकेगी। इस सैटेलाइट की मिशन लाइफ 14 वर्षों की है।
SpaceX ISRO: भारत की सबसे एडवांस कम्युनिकेशन सैटेलाइट GSAT-N2 अंतरिक्ष की यात्रा पर निकल गई है। खास बात है कि ISRO यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की इस सैटेलाइट को अरबपति एलन मस्क के SpaceX के फाल्कन 9 रॉकेट की मदद से लॉन्च किया गया। अमेरिका के फ्लॉरिडा स्थित केप कार्निवल से सैटेलाइट को लॉन्च किया गया है। कहा जा रहा है कि इसका संचालन शुरू होते ही भारत की संचार व्यवस्था और मजबूत होगी।
4700 किलोग्राम वजनी GSAT-N2 या GSAT 20 इस सैटेलाइट की मदद से दूर दराज के इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी उपलब्ध कराई जा सकेगी। इस सैटेलाइट की मिशन लाइफ 14 वर्षों की है। ISRO चीफ एस सोमनाथ ने इसकी जानकारी दी है। लॉन्चिंग के समय उन्होंने बताया, 'GSAT 20 की मिशन लाइफ 14 साल है और ग्राउंड इंफ्रा स्ट्रक्चर सैटेलाइट की मदद के लिए तैयार है।'
लगभग 33 मिनट की उड़ान अवधि के बाद एलन मस्क के स्वामित्व वाले स्पेसएक्स का फाल्कन-9 रॉकेट 4,700 किलोग्राम के जीसैट-एन 2 को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में इंजेक्ट करेगा। केप कैनावेरल लॉन्च स्थल पर मौजूद स्पेसएक्स और ISRO के वैज्ञानिक इस विशेष वाणिज्यिक मिशन में उड़ान के प्रक्षेप पथ की निगरानी कर रहे हैं।
इसरो के एलएमवी-3 में जीटीओ में 4,000 किलोग्राम तक के उपग्रहों को प्रक्षेपित करने की क्षमता है लेकिन भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने इसे एलन मस्क के स्पेसएक्स के अमेरिका से फाल्कन-9 लॉन्च वाहन का उपयोग करके लॉन्च करने का विकल्प चुना। इसका वजन 4,700 किलोग्राम है।
न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड की जीसैट-20, संचार उपग्रहों की जीसैट श्रृंखला का हिस्सा होगी और इसका उद्देश्य भारत के स्मार्ट सिटी मिशन द्वारा आवश्यक संचार अवसंरचना में डेटा संचरण क्षमता को जोड़ना है। इसको विद्युत ऊर्जा प्रणाली को लगभग 6 किलोवाट की बिजली की आवश्यकता को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है। उपग्रह में एक सन सेंसर, अर्थ सेंसर, इनर्शियल रेफरेंस यूनिट और स्टार सेंसर है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)