कर्नाटक से नक्सलवाद खत्म? 'आखिरी हथियारबंद नक्सलियों' ने किया सरेंडर, दो को कोर्ट ने किया बरी
- कृष्णमूर्ति को ‘चे’ के नाम से भी जाना जाता है। वह एक वकील थे और आत्मसमर्पण से पहले नक्सलियों के सबसे ऊंचे पद पर थे। उन्होंने 2021 में केरल के वायनाड में आत्मसमर्पण किया था।
विशेष आतंकवाद निरोधी अदालत ने शुक्रवार को कर्नाटक के एक नक्सली नेता बी.जी. कृष्णमूर्ति और उनकी पत्नी प्रभा होसगड़े को बरी कर दिया। उन पर 2005 में चिकमगलुरु जिले के श्रृंगेरी स्थित कुद्रेमुख नेशनल पार्क के एक वन चौकी पर हुए हमले का आरोप था। यह फैसला ऐसे समय आया है जब गुरुवार को इसी विशेष अदालत ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री के समक्ष आत्मसमर्पण करने वाले छह नक्सलियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इनमें से चार ऐसे हैं जिन्हें राज्य में बचे हुए आखिरी हथियारबंद नक्सली माना जा रहा है।
कृष्णमूर्ति और होसगड़े को मिली बड़ी राहत
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कृष्णमूर्ति (50) को दसवें और होसगड़े (30) को चौथे मामले में बरी किया गया है। दोनों ने क्रमशः 2021 में केरल और तमिलनाडु पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया था। हालांकि, कृष्णमूर्ति पर अभी भी कर्नाटक में 10 से अधिक और होसगड़े पर 16 से अधिक मामले लंबित हैं।
कृष्णमूर्ति को ‘चे’ के नाम से भी जाना जाता है। वह एक वकील थे और आत्मसमर्पण से पहले नक्सलियों के सबसे ऊंचे पद पर थे। उन्होंने 2021 में केरल के वायनाड में आत्मसमर्पण किया था। उनके साथ कबनी दलम की कमांडर सावित्री ने भी आत्मसमर्पण किया था। सावित्री पूर्व में एक अन्य नक्सली नेता विक्रम गौड़ा की पत्नी थीं, जो 2024 में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था।
क्या है पूरा मामला?
2005 में नक्सलियों ने कुद्रेमुख नेशनल पार्क के थनिकोडु वन चौकी पर हमला किया था। चौकी ने जंगल में रहने वाले आदिवासियों की आवाजाही को रोक दिया था। नक्सलियों ने चौकी में विस्फोट किया और चौकी पर तैनात गार्डों को धमकी दी थी। विशेष अदालत ने सबूतों की कमी के कारण कृष्णमूर्ति और होसगड़े को सभी आरोपों से बरी कर दिया। इन पर आपराधिक षड्यंत्र, हथियार कानून और आतंकवाद से जुड़े कानूनों के तहत कई आरोप थे।
नक्सलियों का आत्मसमर्पण और न्यायिक प्रक्रिया
गुरुवार को आत्मसमर्पण करने वाले छह नक्सलियों को चिकमगलुरु के जयपुरा पुलिस स्टेशन में दर्ज 2024 के एक मामले में न्यायिक हिरासत में भेजा गया। इनमें लता मुंडगरु, सुंदरी कूथलूर, वनजाक्षी बालेहोले, मरप्पा अरोली, जिशा और रमेश शामिल हैं। लता को विक्रम गौड़ा की मौत के बाद कर्नाटक में नक्सलियों की नेता माना जा रहा था। आत्मसमर्पण के बाद, इन नक्सलियों पर दर्ज सैकड़ों मामलों में अदालत सबूतों के आधार पर फैसला करेगी।
एंटी-नक्सल फोर्स का भविष्य
कर्नाटक पुलिस ने स्पष्ट किया है कि अंतिम नक्सलियों के आत्मसमर्पण के बावजूद एंटी-नक्सल फोर्स (एएनएफ) को भंग नहीं किया जाएगा। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने कहा, "एएनएफ सक्रिय रहेगी ताकि कोई नया व्यक्ति या समूह इस खाली स्थान को न भर सके।" विशेष अदालत के फैसले और आत्मसमर्पण की इन घटनाओं से कर्नाटक में नक्सल आंदोलन कमजोर हुआ है।