भारत को टेंशन दे रहा पाकिस्तान सहित 3 देशों का गठजोड़? सेना प्रमुख ने इस बात पर जताई चिंता
- सेना प्रमुख ने कहा कि बांग्लादेश के संदर्भ में कहा कि उस देश की सेना के साथ हमारी सेना के अच्छे संबंध है और वहां चुनाव के बाद नई सरकार के बनने का इंतजार करना चाहिए।

सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पाकिस्तान और चीन के बीच बढ़ती मिलीभगत को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि "हमें इस उच्च स्तर की साजिश को स्वीकार करना होगा। वर्चुअल डोमेन में यह (मिलीभगत) लगभग 100 प्रतिशत है। भौतिक रूप से (पाकिस्तान के पास) अधिकतर सैन्य उपकरण चीनी मूल के हैं। दो मोर्चों पर युद्ध की आशंका एक वास्तविकता है।"
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2025 में बोलते हुए सेना प्रमुख ने भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश का भी जिक्र किया जो आजकल पाकिस्तान के साथ नजदीकियां बढ़ा रहा है। जब उनसे पूछा गया कि क्या पाकिस्तान, बांग्लादेश और चीन का नया गठजोड़ भारत के लिए चिंता की बात है, तो उन्होंने इसे पूरी तरह से खारिज नहीं किया। हालांकि उन्होंने बांग्लादेश के संदर्भ में कहा कि उस देश की सेना के साथ हमारी सेना के अच्छे संबंध है और वहां चुनाव के बाद नई सरकार के बनने का इंतजार करना चाहिए।
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा, "जहां तक भारतीय सेना की बात है तो हमारा काम हमारे अग्रिम मोर्चों को सुरक्षित रखना। हम कई देशों के साथ अपने अग्रिम मोर्चे शेयर करते हैं। इसलिए हमारी क्षमता इतनी होनी चाहिए कि हम अपने पड़ोसियों की क्षमता को हैंडल कर सकें। सेना को हमेशा इसके लिए तैयार रहना चाहिए।" उन्होंने कहा, "जहां तक बांग्लादेश की बात है, तो उसको लेकर हमें जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेना चाहिए। वहां चुनी हुई सरकार आने दीजिए। देखते हैं कि वह कैसे रिश्ते रखती है। फिर देखते हैं कि हम क्या करेंगे।"
सेना प्रमुख ने आगे कहा कि मौजूदा समय में दोनों देशों की सेनाओं के बीच संबंध बहुत मजबूत हैं। उन्होंने कहा, "हम समय-समय पर एक दूसरे नोट्स देते रहते हैं ताकि किसी भी संदेह की स्थिति से बचा जा सके।" उन्होंने बांग्लादेश और पाकिस्तान के संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि आतंकवाद का केंद्र केवल एक देश है। उन्होंने कहा, “अगर वह (पाकिस्तान) हमारे किसी भी पड़ोसी मुल्क के साथ संबंध रखता है तो मुझे चिंता होनी चाहिए। क्योंकि आतंकवाद का रास्ता उस देश से भी खुल सकता है। मौजूदा समय में मेरी यही सबसे बड़ी चिंता है।”
सीमा पर आतंकवादी गतिविधियों में कोई कमी नहीं
सेना प्रमुख ने एलओसी (LoC) पर पाकिस्तान की सैन्य तैनाती और गर्मियों में घुसपैठ की संभावनाओं पर भी चर्चा की। उन्होंने स्पष्ट किया कि "क्या कोई संकेत है कि आतंकवाद रुक गया है? क्या कोई कमी आई है? जवाब है- नहीं। हमें आतंकवादी गतिविधियों में बढ़ोतरी के लिए तैयार रहना होगा।" उन्होंने बताया कि भारतीय सेना ने 2018 से अब तक आतंकवादी घटनाओं में 83 प्रतिशत की कमी दर्ज की है। घाटी में आतंकी भर्ती भी बेहद कम हो गई है, और 2024 में केवल 45 युवाओं की आतंकवाद में भर्ती की सूचना है। वहीं, अमरनाथ यात्रा में इस बार 5 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने भाग लिया, जिससे यह साफ होता है कि क्षेत्र अब "आतंकवाद से पर्यटन" की ओर बढ़ रहा है।
"पाकिस्तान खुद अपने ही आतंकवाद के कारण गर्त में जा रहा है"
जनरल द्विवेदी ने कहा कि "पाकिस्तान अपने ही उग्रवाद का शिकार बन रहा है और खुद को संकट में डाल रहा है। हम चाहते हैं कि पाकिस्तान स्थिर रहे, न कि वह आतंकवाद का केंद्र बने।" उन्होंने यह भी बताया कि 2024 में मारे गए 60% से अधिक आतंकवादी पाकिस्तानी मूल के थे, जो सीमा पार से जारी खतरे को दर्शाता है।
चीन के साथ स्थिति और भविष्य की रणनीति
पूर्वी लद्दाख के डेपसांग और डेपचोक में तनाव कम होने के बाद चीन के रुख पर चर्चा करते हुए सेना प्रमुख ने कहा कि "सीमा पर तैनात जवान अधिक सहयोगी और समझदार होते हैं, जिससे परस्पर तालमेल बेहतर हुआ है।" सैन्य संसाधनों पर उन्होंने जोर देते हुए कहा कि "युद्ध के समय कितने भी संसाधन हों, वे कभी पर्याप्त नहीं होते। युद्ध के बाद भी किसी देश को 25-30% संसाधन सुरक्षित रखने पड़ते हैं, ताकि भविष्य के खतरों से निपटा जा सके।"
भारत हर तरह के युद्ध के लिए तैयार: सेना प्रमुख
भविष्य के युद्धों की प्रकृति पर उन्होंने कहा कि "भारत पहले से ही 'न युद्ध, न शांति' की स्थिति में है। हमें ढाई मोर्चों (पाकिस्तान, चीन और आंतरिक चुनौतियों) का खतरा बना रहेगा।" उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का हवाला देते हुए कहा कि "आप अपने दोस्त बदल सकते हैं, लेकिन अपने पड़ोसी नहीं"।
अग्निवीर योजना सफल, लेकिन सुधार जारी
अग्निवीर भर्ती योजना की सफलता पर सेना प्रमुख ने कहा कि "यह योजना बेहद सफल रही है। हमें बेहतरीन युवा मिल रहे हैं, जो सीखने के लिए बेहद उत्सुक हैं और प्रदर्शन भी शानदार कर रहे हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि अग्निवीरों की छुट्टियों और लाभों को नियमित सैनिकों के समान बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है। तकनीकी दक्षता वाले अग्निवीरों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए अधिकतम उम्र सीमा 21 से बढ़ाकर 23 वर्ष करने का सुझाव दिया गया है। यह पूछे जाने पर कि क्या अग्निवीरों की स्थायी भर्ती 25% से बढ़ाकर 50% की जाएगी, उन्होंने कहा कि "इस पर फैसला 2026 के अंत तक लिया जाएगा।"
जम्मू-कश्मीर से AFSPA हटाया जा सकता है? सेना प्रमुख ने क्या कहा
जम्मू-कश्मीर में सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (AFSPA) को हटाने की संभावना पर भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शनिवार को बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश से AFSPA को हटाना संभव तो है, लेकिन अभी यह व्यावहारिक नहीं है। ज्ञात हो कि जम्मू-कश्मीर में AFSPA 10 सितंबर, 1990 से लागू है। इसे क्षेत्र में आतंकवाद और अशांति को नियंत्रित करने के लिए लगाया गया था। तब से इसे हटाने को लेकर कई बार मांग हो चुकी है।
जनरल द्विवेदी ने बिना कोई समय सीमा बताए कहा कि जब सेना को लगेगा कि स्थानीय पुलिस स्थिति को संभाल सकती है और सेना के पास इस बात को मानने के लिए पर्याप्त सबूत होंगे, तो इस आधार पर अफस्पा को केंद्र शासित प्रदेश से हटाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि AFSPA को हटाने का फैसला सुरक्षा बलों को करना होगा।
आर्मी चीफ ने आगे कहा, "यह बहुत संभव है, लेकिन हमें समय-सीमा पर विचार करना होगा। हमने डोडा, राजौरी, किश्तवाड़ के उन इलाकों पर विचार किया, जहां आतंकवाद वापस नहीं आएगा। इस हद तक कि पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए उन इलाकों में बिस्तर और नाश्ते जैसी सुविधाएं स्थापित की जाएंगी।"
जनरल द्विवेदी ने हाल के वर्षों में आतंकवाद में कमी और स्थानीय लोगों के शांति के पक्ष में होने का जिक्र किया। उन्होंने कहा, "पिछले साल 2024 में केवल चार स्थानीय युवाओं ने आतंकवादी संगठनों में भर्ती की, जो एक सकारात्मक संकेत है। पर्यटन, विकास कार्य और अमरनाथ यात्रा जैसे आयोजन शांति की ओर बढ़ते कदमों को दर्शाते हैं।" हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि जम्मू क्षेत्र में हाल के महीनों में आतंकी गतिविधियों में कुछ वृद्धि देखी गई है, जिसके लिए सेना ने अपनी काउंटर-टेररिज्म ग्रिड को मजबूत किया है।
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