पटरी पर लौट रहे भारत और मालदीव के रिश्ते? अब क्या करने वाले हैं मोहम्मद मुइज्जू
- भारत की तरफ से सैन्य कर्मियों को वापस बुलाने के बाद दोनों देशों के बीच यह पहली रक्षा वार्ता थी। इससे पहले दोनों देश इस मुद्दे पर तत्कालीन राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह के कार्यकाल के दौरान माले में मिले थे। बाद में चुनाव हुए, जिसमें मुइज्जू ने जीत हासिल कर मालदीव की कमान संभाली थी।
महीनों तक चली तानातनी के बाद अब मालदीव, भारत के साथ रिश्ते सुधारने की कवायद करता नजर आ रहा है। खबर है कि राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू आधिकारिक दौरे पर नई दिल्ली आ सकते हैं। हालांकि, अब तक इसे लेकर भारत सरकार की ओर से आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। फिलहाल, यह साफ नहीं है कि इस द्विपक्षीय बैठक के दौरान मुख्य तौर पर किन मुद्दों पर चर्चा हो सकती है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मुइज्जू अगले सप्ताह भारत आ सकते हैं। राष्ट्रपति कार्यालय की प्रवक्ता हीना वलीद ने माले में कहा, 'राष्ट्रपति जल्द ही भारत जाने वाले हैं। जैसा कि आप जानते हैं, ऐसी यात्राएं दोनों देशों के नेताओं की सहूलियत के हिसाब से तय होती हैं। इस संबंध में चर्चाओं का दौर जारी है।' खास बात है कि यह बैठक ऐसे मसमय पर होने जा रही है, जब कुछ दिन पहले ही नई दिल्ली में भारत और मालदीव ने रक्षा मुद्दों पर बात की थी।
भारत की तरफ से सैन्य कर्मियों को वापस बुलाने के बाद दोनों देशों के बीच यह पहली रक्षा वार्ता थी। इससे पहले दोनों देश इस मुद्दे पर तत्कालीन राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह के कार्यकाल के दौरान माले में मिले थे। बाद में चुनाव हुए, जिसमें मुइज्जू ने जीत हासिल कर मालदीव की कमान संभाली थी। तीन महीने पहले ही 9 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान मुइज्जू भारत पहुंचे थे।
फरवरी में भारत अपने 80 सैन्य कर्मियों को वापस बुलाने के लिए तैयार हो गया था। यह प्रक्रिया 10 मार्च से 10 मई के बीच हुई। खास बात है कि चीन समर्थक माने जाने वाले मुइज्जू ने मालदीव में 'इंडिया आउट' के मुद्दे पर चुनाव लड़ा था। जीतने के कुछ समय बाद ही उन्होंने भारत के सामने सैन्य कर्मियों को वापस बुलाने की मांग रख दी थी। इतना ही नहीं मालदीव ने 2019 के एक समझौते को भी रिन्यू करने से इनकार कर दिया था।
इसके बाद मुइज्जू सरकार के तीन मंत्रियों की प्रधानमंत्री मोदी की लक्षद्वीप यात्रा को लेकर की गई टिप्पणी ने खासा विवाद खड़ा कर दिया था। भारत में मालदीव पर्यटन के खिलाफ विरोध के सुर उठने लगे थे। दरअसल, मालदीव की पर्यटन हिस्सेदारी में भारतीयों की हिस्सेदारी काफी ज्यादा है।