इससे बचा जा सकता था, अमेरिका को बता दिया; हथकड़ी लगाकर डिपोर्ट किए जाने पर भारत की दो टूक
अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे भारतीयों को अमानवीय हालत में डिपोर्ट किए जाने पर भारत सरकार ने संज्ञान लिया है। विदेश मंत्रालय ने बताया है कि इस मुद्दे को अमेरिका के सामने रखा गया है और इस तरह के मामलों पर नजर रखी जा रही है।
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अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की सख्ती के बीच अवैध रूप से रह रहे प्रवासियों को बेरहमी से देश से बाहर निकाला जा रहा है। इस बीच बीते बुधवार को अमेरिका ने एक विमान से बिना दस्तावेज के US में रह रहे 100 से ज्यादा भारतीयों को भारत डिपोर्ट कर दिया है। वहां से लौटे लोगों ने अपनी आपबीती बताते हुए है कि अमेरिका में उनके साथ बेहद अमानवीय व्यवहार किया गया है और उन्हें हथकड़ियां और बेड़ियां लगाकर वतन लौटाया गया है। इस खबर के सामने आने के बाद भारत सरकार की कूटनीति को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर संसद में हंगामा भी किया। अब भारत ने अमेरिका के सामने इस मुद्दे को उठाया है। विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा है कि भारत ने डिपोर्ट किए गए भारतीय प्रवासियों के साथ किए गए दुर्व्यवहार को लेकर अमेरिका के सामने चिंता जताई है।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि अमेरिका से लाए गए लोगों के साथ दुर्व्यवहार का मुद्दा जायज है। विदेश मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया है कि इस तरह के मामलों पर नजर रखी जा रही है और इन पर संज्ञान भी लिया जाएगा। वहीं भारतीयों को हथकड़ी पहनाकर भेजे जाने के जवाब में भारत ने कहा है कि इससे बचा जा सकता था। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रवासियों को भेजे जाने से जुड़े सवालों के जवाब में कहा, ‘‘हमने अपनी चिंताओं से अमेरिका को अवगत कराया है कि इस तरह के व्यवहार से बचा जा सकता है।’’
विदेश सचिव ने क्या बताया?
इस दौरान विदेश सचिव ने बताया है कि अमेरिका से भेजे जाने के लिए 487 भारतीय नागरिकों को चिह्नित कर लिया गया है और अमेरिका ने 298 लोगों के डिटेल भारत को भेजे हैं, भारत जिनकी जांच कर रहा है। वहीं विदेश सचिव ने यह भी कहा कि हथकड़ी लगाकर अवैध प्रवासियों को वापस भेजने की अमेरिकी नीति 2012 से ही लागू है। विदेश सचिव से जब पूछा गया कि क्या भारत ने 2012 में हथकड़ी लगाकर अवैध प्रवासियों को वापस भेजने पर अपना विरोध दर्ज कराया था, तो उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि कोई विरोध जताया गया था। हमारे पास आपत्ति के संबंध में कोई रिकॉर्ड नहीं है।’’
उन्होंने विदेश मंत्री द्वारा दिए गए बयानों का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसी प्रक्रिया 2012 से ही प्रचलन में है। विदेश सचिव ने कहा कि भारत अमेरिकी अधिकारियों के समक्ष लगातार जोर देकर कह रहा है कि भेजे जाने वाले प्रवासियों के साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे ध्यान में दुर्व्यवहार का कोई भी मामला सामने आने पर हम उस पर संज्ञान लेंगे।’’