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यह तो बस शुरुआत है, LAC पर आज पीछे हट जाएंगी भारत-चीन की सेनाएं; क्या हैं मायने

  • पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर डिसइंगेजमें आज और कल में पूरा हो जाएगा। विदेश मंत्री ने कहा है कि दोनों देशों के बीच संबंध सुधारने का यह पहला चरण है।

Ankit Ojha लाइव हिन्दुस्तानMon, 28 Oct 2024 08:01 AM
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लंबे समय के बाद भारत और चीन के रिश्तों में नरमी दिखाई दे रही है। कजान में पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद एलएसी पर डिसइंगेजमेंट का ऐलान कर दिया गया और चीन ने अपने तंबू उखाड़ने शुरू कर दिए। इसके बाद डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया भी शुरू हो गई। अब 28 और 29 अक्टूबर को ही दोनों तरफ की सेनाएं पीछे हट जाएंगी। वहीं एलएसी के कई इलाकों में पहले की तरह गश्त शुरू हो जाएगी।

2020 में गलवान हिंसा के बाद पहली बार है जब भारत और चीन के बीच किसी मुद्दे पर सहमति बन पाई है। एलएसी पर पूर्वी लद्दाख के डेमचोक और देपसांग के फ्रिक्शन पॉइंट पर यह डिसइंगेजमेंट हो रहा है। एएनाई की रिपोर्ट के मुताबिक यह समझौता डेपसांग और डेमचोक में ही लागू होगा। दोनों तरफ की सेनाएं उसी जगह पर लौट जाएंगी जहां अप्रैल 2020 से पहले थीं। इसके अलावा पहले की ही तरह पट्रोलिंग शुरू हो जाएगी।

समझौते के बाद भारतीय सेना ने भी कई जगहों से अपने घातक हथियार हटा लिए हैं। बता दें कि इन दो जगहों को लेकर विवाद ज्यादा गहरा गया था। हालांकि फिलहाल अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है कि इस समझौते का असर आगे क्या होगा और क्या बाकी की सीमा पर विवाद भी खत्म हो पाएगा।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि लद्दाख की सीमा पर दो फ्रिक्शन पॉइंट पर डिसइंगेजमेंट तनाव को और कम करने का पहला चरण है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों में विश्वास और शांति के प्रयास स्थापित करने में समय लगेगा। शनिवार को विदेश मंत्री ने कहा, सीमा पर स्थिति बहुत खराब थी और इससे दोनों देशों के संबंध काफी खराब हो गए थे। उन्होंने कहा कि इस समझौते में तीन बड़े मुद्दे शामिल हैं। पहला है कि दोनों देशों की सेनाओं को दूर कर दिया जाए जिससे कि तनाव और झड़प की स्थिति संभावना कम हो जाए। दूसरा है डीएस्कलेशन और तीसरा है कि सीमा पर किस तरह प्रबंधन किया जाएगा और सीमा विवाद को निपटाने के लिए चर्चा कैसे आगे बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि सीमा पर इतना तनाव होने के साथ बातचीत संभव नहीं थी।

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