2029 में हुए एक देश, एक चुनाव तो आपके राज्य पर होगा क्या असर, आधा दर्जन सूबे क्यों बेअसर?
पिछले साल 2023 में करीब 10 राज्यों में नई विधानसभाओं का गठन हुआ है, जिनका कार्यकाल 2028 तक है। यानी 2028 में फिर से वहां चुनाव होंगे लेकिन 2029 में ये सभी विधानसभाएं भंग हो जाएंगी। ऐसे में इन 10 राज्य सरकारों का कार्यकाल केवल एक साल या उसकेे करीब ही रह सकेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में बुधवार (18 सितंबर को) ‘एक देश, एक चुनाव’ पर गठित उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट मंत्रिमंडल के समक्ष रखी गई, जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने लोकसभा चुनावों की घोषणा से पहले मार्च में ये रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट को कैबिनेट के समक्ष रखना विधि मंत्रालय के 100 दिवसीय एजेंडे का हिस्सा था।
उच्च स्तरीय समिति ने पहले कदम के रूप में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने और उसके बाद 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराने की सिफारिश की है। समिति ने 2029 में एक देश एक चुनाव को लागू करने का सुझाव दिया है। पिछले साल मोदी सरकार ने इस उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था। माना जा रहा है कि सरकार इसे संसद के शीतकालीन सत्र में संसद में पारित कराने की कोशिश करेगी। सरकार को अपने सहयोगी दलों से उम्मीद है कि इससे जुड़े बिल को संसद में पारित कराने में मदद करेगी।
किस राज्य पर कितना असर?
अगर ये कानून पारित होता है और 2029 में एक साथ देश भर में लोकसभा और विधान सभाओं के चुनाव होते हैं तो कई राज्य विधान सभाओं का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उसे भंग करना होगा। पिछले साल यानी 2023 में करीब 10 राज्यों में नई विधान सभा का गठन हुआ है, जिनका कार्यकाल 2028 तक है। यानी 2028 में फिर से वहां चुनाव होंगे लेकिन 2029 में ये सभी विधानसभाएं भंग हो जाएंगी। ऐसे में इन 10 राज्य विधानसभाओं और राज्य सरकारों का कार्यकाल केवल एक साल के करीब ही रह सकेगा। इन 10 राज्यों में हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, कर्नाटक, तेलंगाना, मेघालय, नगालैंड, त्रिपुरा और मिजोरम शामिल हैं।
तीन साल से भी कम हो सकता है कार्यकाल
इनके अलावा कुछ ऐसे राज्य हैं, जहां 2027 में अगला विधान सभा चुनाव होना है। वहां की सरकारें दो साल या उससे कम समय के लिए ही कार्यरत रह सकती हैं। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गुजरात शामिल है। हालांकि, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम और केरल ऐसे राज्य हैं, जहां 2026 में विधान सभा चुनाव होने हैं। एक देश एक चुनाव की दशा में इन राज्यों की सरकारें तीन साल या उससे भी कम समय तक काम कर सकती हैं। बिहार में अगले साल नवंबर में और दिल्ली में भी अगले साल फरवरी में विधान सभा चुनाव प्रस्तावित हैं। इस लिहाज से यहां की सरकारें चार साल तक काम कर सकती हैं।
करीब आधा दर्जन राज्यों पर नहीं खास असर
इससे इतर करीब आधा दर्जन राज्य ऐसे भी हैं, जिनकी राज्य सरकारों और विधानसभा पर एक देश एक चुनाव की नीति से कोई खास असर नहीं पड़ने वाला है। इस श्रेणी में वैसे राज्य हैं, जहां 2024 में अब तक या तो चुनाव हो चुके हैं या आगे होने वाले हैं। इस कैटगरी में जो राज्य शामिल है, उनमें ओडिशा, आंध्र प्रदेश, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं, जहां इस साल लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव हुए हैं। इसके अलावा हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया जारी है। महाराष्ट्र और झारखंड में इस साल नवंबर तक विधान सभा चुनाव होने हैं। वहां 2029 में एक साथ चुनाव होने से अधिकतम छह महीने के कार्यकाल पर असर पड़ सकता है।