Hindi Newsदेश न्यूज़I want to become a mother a divorced woman approached the High Court with a request for surrogacy

मां बनना चाहती हूं मीलॉर्ड; सरोगेसी की दरख्वास्त ले तलाकशुदा औरत पहुंची हाई कोर्ट, क्या मिला जवाब

  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने तलाकशुदा महिला की सरोगेसी की अर्जी पर तत्काल राहत देने से इनकार किया, कहा इससे भविष्य में सरोगेसी के व्यवसायीकरण और बच्चों के हक पर असर पड़ सकता है।

Himanshu Tiwari पीटीआईMon, 21 April 2025 11:23 PM
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मां बनना चाहती हूं मीलॉर्ड; सरोगेसी की दरख्वास्त ले तलाकशुदा औरत पहुंची हाई कोर्ट, क्या मिला जवाब

मुंबई से एक तलाकशुदा 36 साल की महिला ने सरोगेसी के जरिए मां बनने की इजाजत मांगी थी, लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस अर्जी पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे आगे चलकर सरोगेसी का व्यवसायीकरण हो सकता है। अदालत ने कहा इससे जन्म लेने वाले बच्चों के अधिकार भी प्रभावित हो सकते हैं। अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए याचिकाकर्ता को सुप्रीम कोर्ट का रुख करने की सलाह दी है।

न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी और न्यायमूर्ति अद्वैत सेठना की खंडपीठ ने कहा, "यह कोई मामूली मामला नहीं है। इसमें बड़ी कानूनी और सामाजिक पेचीदगियां शामिल हैं। एक बार अगर इजाजत दे दी गई तो इसका असर देशभर में सरोगेसी कानून के दायरे पर पड़ सकता है।"

महिला ने अदालत में दलील दी कि उसका गर्भाशय एक सर्जरी के बाद हटा दिया गया था और वह दोबारा शादी नहीं करना चाहती। इसलिए सरोगेसी ही एकमात्र रास्ता है जिससे वह मां बनने का सपना पूरा कर सकती है। लेकिन पुणे के सिविल अस्पताल ने उसकी अर्जी यह कहकर ठुकरा दी कि वह पहले से दो बच्चों की मां है और सरोगेसी कानून में 'इंटेंडिंग वुमन' की परिभाषा में फिट नहीं बैठती।

इंटेंडिंग वुमन कौन होती हैं?

सरोगेसी (रेगुलेशन) एक्ट, 2021 के मुताबिक, सिर्फ वही महिला 'इंटेंडिंग वुमन' मानी जाती है जो तलाकशुदा या विधवा हो, 35 से 45 साल की उम्र के बीच हो और उसका कोई जीवित बच्चा न हो। चूंकि याचिकाकर्ता के दो बच्चे हैं, भले ही वो उनके संपर्क में नहीं हैं इसलिए उसे इजाजत नहीं दी जा सकती।

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अदालत ने यह भी सवाल उठाया कि अगर भविष्य में कोई अविवाहित जोड़ा सरोगेसी से बच्चा चाहता है और बाद में उनका रिश्ता टूट जाए तो उस बच्चे का भविष्य क्या होगा। "क्या कानून ऐसा इरादा रखता है? हमें सिर्फ औरत के अधिकार नहीं, बच्चे के भविष्य को भी देखना होगा," अदालत ने कहा। फिलहाल हाई कोर्ट ने मामला अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया है और महिला को सलाह दी है कि वो सुप्रीम कोर्ट जाकर राहत की मांग करे, क्योंकि वहां पहले से ऐसे कई मामले लंबित हैं।

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